लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाथरस मामले में पीड़ित परिवार की अधिवक्ता से सुनवाई के दौरान दुर्व्यवहार व धमकी दिये जाने की कथित घटना की रिपोर्ट जनपद न्यायाधीश, हाथरस आईजी और सीआरपीएफ से मांगी है. कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद ट्रायल पर अंतरिम रोक लगाने व दूसरे जनपद में स्थानांतरित करने पर विचार किया जाएगा.
मामले में दो गवाहों का होना था परीक्षण
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान द्वारा दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है. मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार के अधिवक्ता ने पीड़िता के भाई की ओर से एक हलफनामा प्रस्तुत करते हुए, कोर्ट को बताया कि पांच मार्च को इस मामले में अभियोजन के दो गवाहों का परीक्षण होना था. गवाह अपनी अधिवक्ता सीमा कुशवाहा के साथ विशेष कोर्ट एससी-एसटी एक्ट हाथरस के समक्ष पेश हुआ. कुछ ही देर में तरुण हरि शर्मा नाम का स्थानीय अधिवक्ता अचानक कोर्ट रूम में आया. वह सीमा कुशवाहा पर चिल्लाने लगा तथा धमकियां देनीं शुरू कर दीं.
कोर्ट में अधिवक्ता को मिलीं धमकियां
अधिवक्ता का कहना था कि उसी समय एक भीड़ वहां पहुंची और अधिवक्ता सीमा कुशवाहा को घेर कर धमकियां देने लगे. इसे देखते हुए कोर्ट रूम में मौजूद जज बीडी भारती ने ट्रायल को रोक दिया और उन सभी को तत्काल कोर्ट रूम से बाहर निकलने को कहा. कुछ देर बाद जब प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई तो इस बार तरुण हरि शर्मा के वकील पिता हरि शर्मा कोर्ट रूम में आए और अधिवक्ता को धमकियां दीं. आखिरकार जज को प्रक्रिया रोकनी पड़ी.
जज बीडी भारती से मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए जनपद न्यायाधीश से रिपोर्ट तलब की है. साथ ही मामले का ट्रायल कर रहे जज बीडी भारती से भी रिपोर्ट मंगाने का आदेश दिया है. इसके साथ ही परिवार की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के जवानों से घटना के बावत सूचना एकत्र कर रिपोर्ट भेजने को कहा है.
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जज ने मामले का ट्रायल इन-कैमरा करने का भी आदेश पारित किया है. वहीं मामले की अगली सुनवाई सात अप्रैल को होगी. सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से बताया गया कि वह भी मामले का ट्रायल गैर जनपद में चलाने के लिए प्रार्थना पत्र देने पर विचार कर रही है.