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CMS में जनसूचना अधिकारी नियुक्ति आदेश पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लगाई रोक

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने लखनऊ के प्रतिष्ठित सिटी मांटेसरी स्कूल सहित अन्य संस्थानों में जन सूचना अधिकारी की नियुक्त करने सम्बंधित आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. न्यायालय ने कहा है कि नियमों के तहत यदि सीएमएस किसी सरकारी अधिकारी या पब्ल्कि अथॉरिटी को कोई सूचना देने के लिए बाध्य है तो उसे सूचना देनी पड़ेगी.

सीएमएस में जनसूचना अधिकारी नियुक्त  पर रोक
सीएमएस में जनसूचना अधिकारी नियुक्त पर रोक
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Published : Sep 8, 2021, 9:43 AM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी के प्रतिष्ठित सिटी मांटेसरी स्कूल सहित अन्य संस्थानों में जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने संबंधी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. न्यायालय ने राज्य सूचना आयोग की ओर से इस बारे में यूपी के मुख्य सचिव को जारी आदेश को अविधिक बताया है. न्यायालय ने कहा कि नियमों के तहत यदि सीएमएस किसी सरकारी अधिकारी या पब्ल्कि अथॉरिटी को कोई सूचना देने के लिए बाध्य है तो उसे सूचना देनी पड़ेगी.

मंगलवार को यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने सीएमएस के फाउंडर मैनेजर जगदीश गांधी की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर पारित किया. याचिका में राज्य सूचना आयोग के उस आदेश को उसके क्षेत्राधिकार से परे बताया गया है, जिसमें उसने सीधे प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दे दिया कि वह शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत आने वाले सभी संस्थानों में एक-एक जन सूचना अधिकारी नियुक्त करे. आयोग ने यह आदेश एक शिकायत पर दिया था.

सीएमएस ने अपनी याचिका में कहा कि आयोग का आदेश मनमाना व क्षेत्राधिकार से परे है. यह भी कहा गया कि सीएमएस लोक अधिकारी की श्रेणी में नहीं आता है. न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि आयोग ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित किया है. जिसके बाद उसने आयोग के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. इसके साथ ही न्यायालय ने सभी पक्षों को छह सप्ताह में जवाबी हलफनामा व प्रत्युत्तर दाखिल करने को कहा है.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी के प्रतिष्ठित सिटी मांटेसरी स्कूल सहित अन्य संस्थानों में जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने संबंधी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. न्यायालय ने राज्य सूचना आयोग की ओर से इस बारे में यूपी के मुख्य सचिव को जारी आदेश को अविधिक बताया है. न्यायालय ने कहा कि नियमों के तहत यदि सीएमएस किसी सरकारी अधिकारी या पब्ल्कि अथॉरिटी को कोई सूचना देने के लिए बाध्य है तो उसे सूचना देनी पड़ेगी.

मंगलवार को यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने सीएमएस के फाउंडर मैनेजर जगदीश गांधी की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर पारित किया. याचिका में राज्य सूचना आयोग के उस आदेश को उसके क्षेत्राधिकार से परे बताया गया है, जिसमें उसने सीधे प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दे दिया कि वह शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत आने वाले सभी संस्थानों में एक-एक जन सूचना अधिकारी नियुक्त करे. आयोग ने यह आदेश एक शिकायत पर दिया था.

सीएमएस ने अपनी याचिका में कहा कि आयोग का आदेश मनमाना व क्षेत्राधिकार से परे है. यह भी कहा गया कि सीएमएस लोक अधिकारी की श्रेणी में नहीं आता है. न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि आयोग ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित किया है. जिसके बाद उसने आयोग के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. इसके साथ ही न्यायालय ने सभी पक्षों को छह सप्ताह में जवाबी हलफनामा व प्रत्युत्तर दाखिल करने को कहा है.

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