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'चमकी बुखार' से निपटने के लिए लखनऊ तैयार, जानिए क्या है इस बीमारी के लक्षण

'चमकी बुखार' से निपटने के लिए लखनऊ में अस्पताल प्रशासन की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इसको लेकर अभियान चलाए जा रहे हैं. प्रदेश में इसे 'जापानी बुखार' के नाम से भी जाना जाता है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च डाटा वर्ल्ड बैंक के अनुसार, पिछले 40 सालों में 40 हजार बच्चे इस बीमारी के चपेट आएं, जिसमें 10 हजार बच्चों की मौत हो गई.

चमकी बुखार.
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Published : Jun 24, 2019, 10:41 AM IST

लखनऊ: इन दिनों 'चमकी बुखार' की वजह से बिहार चर्चा में बना हुआ है. चमकी बुखार की वजह से बिहार में करीब 100 बच्चों की मृत्यु हो गई. राजधानी लखनऊ में इस त्रासदी से निपटने के लिए अस्पताल में तैयारियां चल रही है और प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की सख्या लगातार बढ़ रही है.
  • इन दिनों बिहार में 'चमकी बुखार' कहर बरपा रही है.
  • हर रोज चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
  • इसको लेकर उत्तर प्रदेश में भी अभियान चलाए जा रहे हैं.
  • 'चमकी बुखार' को हर राज्य में अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है.
  • उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इसे 'जापानी बुखार' भी कहा जाता है.

लगातार बढ़ रही 'चमकी बुखार'

  • सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि यह सभी बुखार संचारी रोग में आता है.
  • एसकेएमसीएच के आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से साल 2012 में सबसे ज्यादा 120 मौतें हुई.
  • 2013 में 39 साल, 2014 में 90 फिर 2015 में 11, 2016 में 4 मौतें हुई.
  • 2017 में 11 मौतें जबकि पिछले साल 7 बच्चों की जान गई थी.
  • लेकिन इस साल यह आंकड़ें लगातार बढ़ रहे हैं.

जापानी (चमकी) बुखार के क्या है लक्षण ?

  • बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा रहता है.
  • बदन में ऐठन होती है, बच्चे के दांत पर दांत चढ़ जाते हैं.
  • कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है.
  • यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है.
  • कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटि काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा.
  • जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है.

पहली बार गोरखपुर में दी थी दस्तक

  • गोरखपुर में 1977 में पहली बार इस बीमारी ने दस्तक दी थी.
  • इस साल 274 बच्चे बिमारी से भर्ती हुए थे, जिसमें 58 बच्चों की मौत हो गई थी.
  • तब से लेकर आज तक इस बीमारी लगातार मासूम बच्चों की मौत हो रही है.
  • वर्ष 2005 में इस बीमारी का सबसे भयानक कहर पूर्वांचल ने झेला.
  • यूपी में करीब 1500 बच्चों की मौत हो गई थी.
  • इस बीमारी के चलते हैं 2005 में सबसे ज्यादा मौतें हुईं.
  • साल 2016 में बीते सालों की अपेक्षा मौतों की संख्या में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च डाटा वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 40 साल में करीब 40 हजार बच्चे इस बीमारी के चपेट में आए. जिसमें करीब 10 हजार बच्चों की मौत हुई है.

लखनऊ: इन दिनों 'चमकी बुखार' की वजह से बिहार चर्चा में बना हुआ है. चमकी बुखार की वजह से बिहार में करीब 100 बच्चों की मृत्यु हो गई. राजधानी लखनऊ में इस त्रासदी से निपटने के लिए अस्पताल में तैयारियां चल रही है और प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की सख्या लगातार बढ़ रही है.
  • इन दिनों बिहार में 'चमकी बुखार' कहर बरपा रही है.
  • हर रोज चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
  • इसको लेकर उत्तर प्रदेश में भी अभियान चलाए जा रहे हैं.
  • 'चमकी बुखार' को हर राज्य में अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है.
  • उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इसे 'जापानी बुखार' भी कहा जाता है.

लगातार बढ़ रही 'चमकी बुखार'

  • सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि यह सभी बुखार संचारी रोग में आता है.
  • एसकेएमसीएच के आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से साल 2012 में सबसे ज्यादा 120 मौतें हुई.
  • 2013 में 39 साल, 2014 में 90 फिर 2015 में 11, 2016 में 4 मौतें हुई.
  • 2017 में 11 मौतें जबकि पिछले साल 7 बच्चों की जान गई थी.
  • लेकिन इस साल यह आंकड़ें लगातार बढ़ रहे हैं.

जापानी (चमकी) बुखार के क्या है लक्षण ?

  • बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा रहता है.
  • बदन में ऐठन होती है, बच्चे के दांत पर दांत चढ़ जाते हैं.
  • कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है.
  • यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है.
  • कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटि काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा.
  • जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है.

पहली बार गोरखपुर में दी थी दस्तक

  • गोरखपुर में 1977 में पहली बार इस बीमारी ने दस्तक दी थी.
  • इस साल 274 बच्चे बिमारी से भर्ती हुए थे, जिसमें 58 बच्चों की मौत हो गई थी.
  • तब से लेकर आज तक इस बीमारी लगातार मासूम बच्चों की मौत हो रही है.
  • वर्ष 2005 में इस बीमारी का सबसे भयानक कहर पूर्वांचल ने झेला.
  • यूपी में करीब 1500 बच्चों की मौत हो गई थी.
  • इस बीमारी के चलते हैं 2005 में सबसे ज्यादा मौतें हुईं.
  • साल 2016 में बीते सालों की अपेक्षा मौतों की संख्या में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च डाटा वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 40 साल में करीब 40 हजार बच्चे इस बीमारी के चपेट में आए. जिसमें करीब 10 हजार बच्चों की मौत हुई है.

Intro:इन दिनों चमकी बुखार की वजह से बिहार सरसों में बना हुआ है दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि चमकी बुखार की वजह से बिहार में करीब 100 बच्चों की मृत्यु हो गई थी इसी को मद्देनजर रखते हुए राजधानी लखनऊ इससे त्रासदी से निपटने के लिए कितना तैयार है। इसकी जानकारी आज हमने राजधानी लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल से पता की और तमाम व्यवस्थाएं भी जानी।


Body:इन दिनों बिहार में चमकी बुखार कहर बरपा रही है हर रोज चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की प्रतिशत बढ़ती जा रही है। हिंदी में चमकी बुखार कह लीजिए या फिर अंग्रेजी में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम रोज बच्चों के मरने की खबरें आ रही हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर में उसका ज्यादा प्रकोप है। वह इसको लेकर उत्तर प्रदेश में भी अभियान चलाए जा रहे हैं। लखनऊ के सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि चमकी बुखार को हर राज्य में अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इसे जापानी बुखार भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि बुखार यह सभी बुखार संचारी रोग में आता है। एसकेएमसीएच के आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से साल 2012 में सबसे ज्यादा 120 मौतें हुई 2013 में 39 साल 2014 में 90 फिर 2015 में 11 उसके अगले साल यानी 2016 में 4 मौतें वहीं 2017 में 11 मौतें जबकि पिछले साल 7 बच्चों की जान गई थी लेकिन इस साल यह आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं जापानी (चमकी) बुखार के लक्षण क्या है? आम बुखार और चंकी बुखार में यह कैसे अंतर कर पाएंगे कि बच्चे को चमकी बुखार है आम बुखार नहीं तो इसके कुछ खास लक्षण इस प्रकार हैं की यदि बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा रहता है, बदन में ऐठन होती है, बच्चे के दांत पर दांत चढ़ जाते हैं। कमजोरी की वजह से बच्चा बार बार बेहोश होता है। यहां तक कि शरीर भी सुनने हो जाता है। कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटि काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है। पहली बार गोरखपुर में दी थी दस्तक 1977 में पहली बार इस बीमारी ने दस्तक दी थी। उस साल 274 बच्चे बिहारी में भर्ती हुए थे। जिसमें 58 बच्चों की मौत हो गई थी। तब से लेकर आज तक इस बीमारी लगातार मासूम बच्चों की मौत हो रही है। वर्ष 2005 में इस बीमारी का सबसे भयानक कहर पूर्वांचल ने झेला और यूपी में करीब 1500 बच्चों की मौत हो गई थी। इस बीमारी के चलते हैं 2005 में सबसे ज्यादा मौतें हुई इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च डाटा वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 40 साल में करीब 40 हज़ार बच्चे इस बीमारी के चपेट में आए हैं और उसमें करीब 10000 बच्चों की मौत हुई है साल 2016 का आंकड़ा बताता है कि इस साल बीते सालों की अपेक्षा मौतों की संख्या 15 फीसद बढ़ोतरी हुई है। बाइट- डॉ नरेंद्र अग्रवाल , मुख्यचिकित्साधिकारी , लखनऊ


Conclusion:एन्ड शुभम पाण्डेय 7054605976
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