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किडनी रोगियों के लिए रामबाण बना आयुर्वेद, डायलिसिस से मिला छुटकारा

राजधानी लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद चिकित्सा विभाग ने किडनी के 25 मरीजों को डायलिसिस से छुटकारा दिलाया है. किडनी फेल्योर की स्थिति में पहुंच चुके ये मरीज अब सामान्य जीवन जी रहे हैं.

कॉन्सेप्ट इमेज.
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Published : Mar 19, 2021, 6:20 PM IST

लखनऊ: जिन लोगों की किडनी खराब हो जाती हैं, उन्हें नियमित तौर पर डायलिसिस कराना पड़ता है, लेकिन आयुर्वेद में कुछ ऐसी दवाएं मौजूद हैं, जो मरीजों को डायलिसिस से छुटकारा दिलाने में कामयाब सिद्ध हुई हैं. लोहिया संस्थान के आयुर्वेद चिकित्सा विभाग ने 25 मरीजों को डायलिसिस से छुटकारा दिला दिया है. किडनी फेल्योर की स्थिति में पहुंच चुके ये मरीज अब सामान्य जीवन जी रहे हैं.

जानकारी देते आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके पांडेय.

दरअसल, देश की पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा ने कई असाध्य रोगों व संकट के समय पूरी दुनिया को संजीवनी दी है. कोरोना महामारी में भी आयुर्वेद ने विश्व भर के लोगों को सहारा दिया. इसी आयुर्वेद चिकित्सा ने अब किडनी रोगियों के लिए उम्मीद की नई किरण जगा दी है. लोहिया संस्थान के आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके पांडेय के मुताबिक पिछले साल भर में आयुर्वेद से इलाज कर 25 रोगियों को डायलिसिस से छुटकारा दिलाने में कामयाबी मिली है.

डॉ. एसके पांडेय ने बताया कि इसके लिए पुनर्नवा, भुई आंवला, मकोय व गोखुरू के साथ कुछ अन्य जड़ी-बूटियां मिलाकर खास दवाएं तैयार की गई है. दवाओं के नियमित डोज से गुर्दे में नेफ्रान एक्टिव हो जाते हैं. इससे किडनी की कार्यक्षमता बढ़ जाती है. किडनी के सही तरह से काम करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ मूत्र मार्ग से बाहर हो जाते हैं और रोगियों की हालत में सुधार होने लगता है.

डॉ. एसके पांडेय के मुताबिक विनीतखंड निवासी एक महिला बलरामपुर अस्पताल में तीन बार डायलिसिस करा चुकी थीं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पा रही थी. लोहिया संस्थान में तीन माह दवा चलने के बाद उनका क्रिएटिनिन लेवल तीन पर आ गया. अब वह सामान्य जीवन जी रही हैं. इसी तरह विराजखंड के तखवा निवासी सुरेंद्र का क्रिएटिनिन 10.3 से दो माह में 4.40 पर आ गया. बाराबंकी के सुरेंद्र पाल का क्रिएटिनिन 6.83 से 2.78 पर आ गया. उन्होंने बताया कि मात्र 15 दिन में ही मरीजों को शरीर में सूजन, अकडन, जलन व दर्द, उल्टी व चक्कर से आराम मिलने लगता है.

लखनऊ: जिन लोगों की किडनी खराब हो जाती हैं, उन्हें नियमित तौर पर डायलिसिस कराना पड़ता है, लेकिन आयुर्वेद में कुछ ऐसी दवाएं मौजूद हैं, जो मरीजों को डायलिसिस से छुटकारा दिलाने में कामयाब सिद्ध हुई हैं. लोहिया संस्थान के आयुर्वेद चिकित्सा विभाग ने 25 मरीजों को डायलिसिस से छुटकारा दिला दिया है. किडनी फेल्योर की स्थिति में पहुंच चुके ये मरीज अब सामान्य जीवन जी रहे हैं.

जानकारी देते आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके पांडेय.

दरअसल, देश की पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा ने कई असाध्य रोगों व संकट के समय पूरी दुनिया को संजीवनी दी है. कोरोना महामारी में भी आयुर्वेद ने विश्व भर के लोगों को सहारा दिया. इसी आयुर्वेद चिकित्सा ने अब किडनी रोगियों के लिए उम्मीद की नई किरण जगा दी है. लोहिया संस्थान के आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके पांडेय के मुताबिक पिछले साल भर में आयुर्वेद से इलाज कर 25 रोगियों को डायलिसिस से छुटकारा दिलाने में कामयाबी मिली है.

डॉ. एसके पांडेय ने बताया कि इसके लिए पुनर्नवा, भुई आंवला, मकोय व गोखुरू के साथ कुछ अन्य जड़ी-बूटियां मिलाकर खास दवाएं तैयार की गई है. दवाओं के नियमित डोज से गुर्दे में नेफ्रान एक्टिव हो जाते हैं. इससे किडनी की कार्यक्षमता बढ़ जाती है. किडनी के सही तरह से काम करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ मूत्र मार्ग से बाहर हो जाते हैं और रोगियों की हालत में सुधार होने लगता है.

डॉ. एसके पांडेय के मुताबिक विनीतखंड निवासी एक महिला बलरामपुर अस्पताल में तीन बार डायलिसिस करा चुकी थीं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पा रही थी. लोहिया संस्थान में तीन माह दवा चलने के बाद उनका क्रिएटिनिन लेवल तीन पर आ गया. अब वह सामान्य जीवन जी रही हैं. इसी तरह विराजखंड के तखवा निवासी सुरेंद्र का क्रिएटिनिन 10.3 से दो माह में 4.40 पर आ गया. बाराबंकी के सुरेंद्र पाल का क्रिएटिनिन 6.83 से 2.78 पर आ गया. उन्होंने बताया कि मात्र 15 दिन में ही मरीजों को शरीर में सूजन, अकडन, जलन व दर्द, उल्टी व चक्कर से आराम मिलने लगता है.

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