लखनऊ: देश भर में अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कराई जाने वाली इंश्योरेंस पॉलिसी का क्लेम (Fraud on insurance policy claim) दिलाने के नाम पर ठगी का धंधा जमकर फलफूल रहा है. रोजाना लोगों से करोड़ों की ठगी हो रही है. हालांकि साइबर पुलिस ने ऐसे ही गैंग के कुछ लोगों को गिरफ्तार जरूर किया है. इसके बावजूद अब तक इस तरह की ठगी में लगाम नहीं लग सकी है.
मुरादाबाद के रहने वाले तहाव्वुर हुसैन एक स्कूल में प्रिंसिपल हैं. उनके पास खुद को फंड मैनेजर बताने वाले हैदराबाद निवासी आदित्य अग्रवाल ने बताया कि तहाव्वुर हुसैन आपकी एक पॉलिसी बंद हो गयी है. उसे फिर से शुरू करने के लिए क्लेम के 3 हजार रुपये देने होंगे. तहाव्वुर कॉल करने वाले के झांसे में आ गए. उन्होंने 3500 रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया. उसके बाद उनसे फाइल स्वीकृति होने की बात कहकर 18 लाख रुपये ले लिए गए. बात यहीं नहीं रुकी. जालसाज उनसे फिर से पैसों की डिमांड करने लगे और जब पीड़ित ने मना किया तो उन्हें इनकम टैक्स की रेड का सामना करना पड़ सकता है. इन धमकियों से पीड़ित घबरा गया और जालसाजों को लोन लेकर व सोने के आभूषण बेच कर उन्हें पैसे दे दिए. पीड़ित ने 25 दिसंबर को साइबर क्राइम थाने में मुकदमा लिखाया है.
पॉलिसी की फंड वैल्यू बढ़ाना पड़ा महंगा, 22 लाख गंवाए
बिजनौर के रहने वाले राजवीर सिंह की एक निजी इंश्योरेंस कंपनी में पॉलिसी चल रही थी. उन्हें गुड़गांव से एक कॉल आई और उसने खुद को उसी इंसोरेंस कंपनी का कर्मचारी बताया. उसने पीड़ित से कहा कि आपकी पुलिस में 30 प्रतिशत एजेंट कमीशन लगा हुआ है. यदि इसे हटवाना है तो उनके द्वारा दिये जा रहे बैंक खाते में 2 लाख 10 हजार रुपये जमा कर दें. पीड़त ने कमीशन का पैसा बचाने के लिए पैसे जमा कर दिया. कुछ दिन बाद एक बार फिर उसी कंपनी के दूसरे कमर्चारी की कॉल आई और उनकी पॉलिसी की फंड वैल्यू बढ़वाने के नाम पर एक लाख 25 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा. इसी तरह अलग अलग लुभावने स्कीम के बहाने जालसाजों ने पीड़ित राजवीर से 22 लाख 56 हजार रुपये ठग लिए. उसके बाद भी जब पैसों की डिमांड नहीं रुकी तो उन्हें ठगी का एहसास हुआ. उन्होंने 23 दिसंबर को साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज कराई.
गोपनीय डेटा लीक होना है चिंता जनक
साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे (cyber expert amit dubey) ने बताया कि पॉलिसी के नाम पर ठगी हर राज्य के लिए चिंता जनक है. पॉलिसी का क्लेम दिलाने का झांसा देकर अपराधी हर शिकार से लाखों की ठगी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जितनी चिंता की बात यह है कि इस तरह की ठगी होने से लोगों की जीवन भर की पूंजी लूटी जा रही है. उससे अधिक चिंता इस बात की है कि इन जालसाजों के पास शिकार की पॉलिसी की सभी जानकारी उपलब्ध है. वह जानकारी जो सिर्फ इंश्योरेंस कंपनी के ही पास होनी चाहिए. इसी जानकारी का ये जालसाज फायदा उठाकर शिकार को अपने भरोसे में ले लेते हैं. साइबर एक्सपर्ट मानते हैं कि इन जालसाजों को मिलने वाला यह डेटा संबंधित इंश्योरेंस कंपनी से ही लीक होता है. ऐसे में लोगों को सतर्क होना होगा कि यदि कोई उनकी सभी जानकारी लेकर फोन करता है तो पॉलिसी से संबंधित उससे बात जरूर करें. लेकिन पैसों की डिमांड होते ही उसे ब्लॉक कर दें. यदि आपने छोटा सा अभी अमाउंट एक बार दे दिया तो आप उन्हें देते ही रहेंगे.
साइबर सेल प्रभारी (cyber cell incharge) रंजीत राय के मुताबिक, यूपी के अलग अलग जिलों में कई ऐसे ही गिरोह पकड़े गए हैं. जिन्होंने पॉलिसी के नाम पर लोगों के साथ ठगी की है. हालांकि वो डेटा कहां से लाते हैं. इसकी जानकारी अब भी जुटाई जा रही है. वो कहते हैं कि डेटा ट्रांसफर होने की एक लंबी चेन काम करती है. डेटा हैक करने, उसकी रिसर्च करना समेत कई तरह के गैंग इसमें काम करते हैं. जल्द ही इस पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ किया जाएगा.
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