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कोरोना काल में UP में बढ़े अपराध, जानिए आपदा का कैसे उठा रहे फायदा

कोरोना काल के दौरान उत्तर प्रदेश में लूट मची है. फार्मा डीलरों, निजी अस्पतालों, ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी और चिताओं को जलाने में इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों और कफन बेचने वाले हर कोई आपदा का फायदा उठाने में लगा है. ऐसे में सूबे में अपराध के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी हुई है.

आपदा का लोग उठा रहे फायदा
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Published : May 30, 2021, 11:47 AM IST

Updated : May 30, 2021, 12:12 PM IST

लखनऊः कोरोना काल के दौरान उत्तर प्रदेश में लूट मची है. हर कोई इस आपदा को अवसर में बदलने के लिए तैयार है. इसी बीच आंकड़े ये भी आ रहे हैं कि सूबे में इन दिनों अपराध के आंकड़ों में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है. घरेलू हिंसा के मामले तो बढ़े ही, साथ ही फिरौती के लिए अपहरण, डकैती और लूट जैसी घटनाएं बढ़ने के बाद यूपी पुलिस की नींद उड़ गई है.

कोरोना काल में UP में बढ़े अपराध

39 फीसदी बढ़ा पारिवारिक महिलाओं का उत्पीड़न

यूपी पुलिस के आंकडों के मुताबिक, साल 2019 में एक जनवरी से 15 मई तक यूपी में पारिवारिक महिलाओं के उत्पीड़न के अपराध 5,289, साल 2020 में 4,498 और साल 2021 में एक जनवरी से 15 मई तक 6,157 मामले दर्ज कराए गए. पारिवारिक महिलाओं के उत्पीड़न के मामले में सिर्फ पांच महीने में 38.88 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 3 साल के तुलनात्मक बलात्कार की घटनाओं में भी करीब 9.76 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. साल 2019 में 1 जनवरी से 15 मई तक बलात्कार की 938, साल 2020 में 717 और साल 2021 में 1 जनवरी से 15 मई तक 787 मामले दर्ज हुए हैं.

इसे भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2022 तक शाह-नड्डा संभालेंगे यूपी चुनाव की बागडोर

अपहरण में 63 फीसदी बढ़ोतरी, डकैती और लूट का भी बढ़ा ग्राफ

फिरौती के लिए अपहरण, डकैती और लूट जैसी घटनाएं भी बढ़ी हैं. उत्तर प्रदेश में फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में 63.64 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आकड़ों के मुताबिक साल 2019 में एक जनवरी से 15 मई तक फिरौती के लिए अपहरण के 12, जबकि, साल 2020 में 11 और साल 2021 में एक जनवरी से 15 मई तक 18 मामले दर्ज किए गए. वहीं, साल 2019 में एक जनवरी से 15 मई तक डकैती की 42 घटनाएं, साल 2020 में 27, साल 2021 में एक जनवरी से 15 मई तक 29 घटनाएं हुईं, जो 3 वर्ष के तुलनात्मक 7.41 फीसदी ज्यादा है. लूट की घटनाओं में साल 2019 में 773, साल 2020 में 467 और साल 2021 में 1 जनवरी से 15 मई तक 470 घटनाएं हुई हैं. जो करीब 0.64 फीसदी ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में चोरी (गृहभेदन) की घटनाओं में 8.31 फ़ीसदी अपराध में कमी आई है.

साइबर अपराध भी बढ़े

कोरोना काल में यूपी में साइबर अपराध के मामले भी बढ़े हैं. इसकी प्रमुख वजह वर्क फ्रॉम होम और बढ़ती बेरोजगारी है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन ठगी के रोजाना कई ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं. प्रदेश में 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में डिजिटल लेनदेन में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जबकि, साल 2021 जनवरी से 15 मई तक 81 फीसदी साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं. जालसाज अब वैक्सीनेशन, आक्सीजन सिलि‍ंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन दिलाने और पेंशन भोगियों की जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करने के बहाने डिटेल लेकर ठगी कर रहे हैं. जालसाजों ने वाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम और अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपने ग्रुप बनाकर गिरोह के लोगों को जोड़ रखा है. यूपी साइबर क्राइम सेल ने ऐसे जालसाजों से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी कर अलर्ट किया है.

इसे भी पढ़ें- Record: KGMU में हुई 18 लाख RT-PCR जांच

कोरोना संक्रमित की मौत से गुस्साए भाई ने डॉक्टर को मारी गोली

इलाज के दौरान संक्रमित खालिद की मौत और इलाज के नाम पर अनाप-शनाप पैसा मांगने पर गुस्साए भाई ने सर्वोदय नगर स्थित हर्षित अस्पताल के मालिक 45 वर्षीय डॉक्टर संदीप जायसवाल को सिर में गोली मार दी. डॉक्टर ट्रामा सेंटर में जिंदगी मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं. बीते 25 मई को चिनहट थाना क्षेत्र के बालाजीपुरम मटियारी के पास हुई इस घटना ने झकझोर कर रख दिया. हालांकि, आरोपी युवक अभी पुलिस की पकड़ में नहीं आया है. पूरा परिवार घर छोड़कर फरार है. इस घटना ने पूरे परिवार को सड़क पर ला दिया. एक बच्चे की संक्रमण से मौत हो गई जबकि दूसरा हत्या के प्रयास के मामले में फरार चल रहा है. पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य मिले. विवेचना से जुड़े एक पुलिस अफसर का कहना है कि संक्रमित की जान तो अस्पताल वाले बचा नहीं पाए. उसकी मौत के बाद उल्टे उसे लंबा चौड़ा बिल पकड़ा दिया और जल्द रुपए चुकाने का दबाव बनाने लगे.

चोरों का ऐसा गैंग पकड़ा, लॉकडॉउन में खाली घरों का उड़ाता था माल

26 मई को राजधानी की पीजीआई पुलिस ने चोरों के एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया, जो लॉकडाउन में आपदा को अवसर बनाते हुए खाली घरों को अपना निशाना बनाते थे. आरोपियों के पास से भारी मात्रा में चोरी का माल भी बरामद हुआ. पकड़े गए दोनों अभियुक्त की पहचान शिवम यादव थाना असोहा उन्नाव और जसप्रीत सिंह थाना पीजीआई तेलीबाग के रूप में हुई. पुलिस गिरफ्त में आए आरोपियों ने कुबूला कि 4 दिन पहले क्षेत्र में एक घर बंद पड़ा था. पता चला कि मकान मालिक के परिवार में कोई संक्रमित है. उसका इलाज कानपुर करा रहे हैं. सभी उसकी देखभाल में लगे हैं. फिर हमने उस घर को निशाना बना डाला. बीते 25 मई की रात बेख़ौफ चोरों ने गोमतीनगर स्थित विशाल खंड में चरखारी विधानसभा के विधायक बृजभूषण राजपूत के घर में ही हाथ साफ कर दिया. उस वक्त विधायक कोरोना संक्रमण में लोगों की मदद के लिए क्षेत्र गए थे. चोरों ने विधायक के घर से चांदी की मूर्तियां, पीतल के बर्तन, 50 हजार रुपये और बाथरूम में लगे नल चोरी किए और फरार हो गए. बीते 21 मई की रात सरोजनीनगर के सेक्टर ओ मानसरोवर विस्तार निवासी रूबी अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रही थी और चोरों ने उनके घर से नकदी समेत लैपटॉप, टीवी और जेवरात उड़ा दिया.

इसे भी पढ़ें- लॉकडाउन में लॉक रहे शोरूम के शटर, फिर कैसे बिक गए 8000 से ज्यादा वाहन!

डिजिटल लेन-देन में सावधानी और सतर्कता बरतें: पूर्व डिप्टी एसपी

पूर्व डिप्टी एसपी श्यामाकांत त्रिपाठी ने लॉकडाउन में चोरी और डकैती की कई घटनाओं के बाद आम लोगों को बाहर निकलने की स्थिति में सतर्कता बरतने की सलाह दी. साथ ही लोगों को डेबिट या क्रेडिट कार्ड से खरीदारी और लेन-देन में सावधानी बरतने की भी सलाह दी है. बाहर जाने की स्थिति में घर पर परिवार का कोई सदस्य उपस्थित रहे या फिर कीमती सामान और नकदी घर से हटा दें. वह बताते हैं, लाखों लोगों का रोजगार लॉकडाउन की वजह से छिन गया है. जिनकी नौकरियां बची हैं उनको भी या तो समय से वेतन नहीं मिल रहा है या फिर ज्यादातर मामलों में आधा वेतन मिल रहा है. लाखों की तादाद में लौटे प्रवासी मजदूरों की वजह से यह समस्या और गंभीर हो गई है. पुलिस को अंदेशा है कि खाने-पीने जैसी मौलिक जरूरतों के लिए लोग चोरी, छिनतई और दूसरे अपराधों की ओर आकर्षित हो सकते हैं.

मानसिक रूप से परेशान बेरोजगारों को संभालना होगा: मानसिक रोग विशेषज्ञ

डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवाशीष शुक्ला का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोगों का रोजगार छिन जाने के कारण लोगों के लिए दो जून की रोटी जुटाना बहुत मुश्किल हो गया है. लोग मानसिक रूप से परेशान हैं. राज्य सरकारों के पास प्रवासी मजदूरों के लिए पर्याप्त रोजगार मुहैया कराना भी संभव नहीं है. अगर काम होता तो लोग अपना राज्य छोड़ कर देश के दूसरे राज्यों में क्यों जाते?. बेरोजगारों को काम देकर उनकी मानसिक स्थिति को ठीक किया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन जितना लंबा खिंचेगा आर्थिक परिदृश्य उतना ही गंभीर होगा. ऐसे में आपराधिक घटनाएं तेजी से बढ़ सकती हैं. पुलिस की सक्रियता के साथ लोगों को अपनी सुरक्षा के प्रति खुद भी जागरुक होना होगा.

लखनऊः कोरोना काल के दौरान उत्तर प्रदेश में लूट मची है. हर कोई इस आपदा को अवसर में बदलने के लिए तैयार है. इसी बीच आंकड़े ये भी आ रहे हैं कि सूबे में इन दिनों अपराध के आंकड़ों में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है. घरेलू हिंसा के मामले तो बढ़े ही, साथ ही फिरौती के लिए अपहरण, डकैती और लूट जैसी घटनाएं बढ़ने के बाद यूपी पुलिस की नींद उड़ गई है.

कोरोना काल में UP में बढ़े अपराध

39 फीसदी बढ़ा पारिवारिक महिलाओं का उत्पीड़न

यूपी पुलिस के आंकडों के मुताबिक, साल 2019 में एक जनवरी से 15 मई तक यूपी में पारिवारिक महिलाओं के उत्पीड़न के अपराध 5,289, साल 2020 में 4,498 और साल 2021 में एक जनवरी से 15 मई तक 6,157 मामले दर्ज कराए गए. पारिवारिक महिलाओं के उत्पीड़न के मामले में सिर्फ पांच महीने में 38.88 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 3 साल के तुलनात्मक बलात्कार की घटनाओं में भी करीब 9.76 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. साल 2019 में 1 जनवरी से 15 मई तक बलात्कार की 938, साल 2020 में 717 और साल 2021 में 1 जनवरी से 15 मई तक 787 मामले दर्ज हुए हैं.

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अपहरण में 63 फीसदी बढ़ोतरी, डकैती और लूट का भी बढ़ा ग्राफ

फिरौती के लिए अपहरण, डकैती और लूट जैसी घटनाएं भी बढ़ी हैं. उत्तर प्रदेश में फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में 63.64 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आकड़ों के मुताबिक साल 2019 में एक जनवरी से 15 मई तक फिरौती के लिए अपहरण के 12, जबकि, साल 2020 में 11 और साल 2021 में एक जनवरी से 15 मई तक 18 मामले दर्ज किए गए. वहीं, साल 2019 में एक जनवरी से 15 मई तक डकैती की 42 घटनाएं, साल 2020 में 27, साल 2021 में एक जनवरी से 15 मई तक 29 घटनाएं हुईं, जो 3 वर्ष के तुलनात्मक 7.41 फीसदी ज्यादा है. लूट की घटनाओं में साल 2019 में 773, साल 2020 में 467 और साल 2021 में 1 जनवरी से 15 मई तक 470 घटनाएं हुई हैं. जो करीब 0.64 फीसदी ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में चोरी (गृहभेदन) की घटनाओं में 8.31 फ़ीसदी अपराध में कमी आई है.

साइबर अपराध भी बढ़े

कोरोना काल में यूपी में साइबर अपराध के मामले भी बढ़े हैं. इसकी प्रमुख वजह वर्क फ्रॉम होम और बढ़ती बेरोजगारी है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन ठगी के रोजाना कई ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं. प्रदेश में 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में डिजिटल लेनदेन में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जबकि, साल 2021 जनवरी से 15 मई तक 81 फीसदी साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं. जालसाज अब वैक्सीनेशन, आक्सीजन सिलि‍ंडर, रेमडेसिविर इंजेक्शन दिलाने और पेंशन भोगियों की जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करने के बहाने डिटेल लेकर ठगी कर रहे हैं. जालसाजों ने वाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम और अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपने ग्रुप बनाकर गिरोह के लोगों को जोड़ रखा है. यूपी साइबर क्राइम सेल ने ऐसे जालसाजों से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी कर अलर्ट किया है.

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कोरोना संक्रमित की मौत से गुस्साए भाई ने डॉक्टर को मारी गोली

इलाज के दौरान संक्रमित खालिद की मौत और इलाज के नाम पर अनाप-शनाप पैसा मांगने पर गुस्साए भाई ने सर्वोदय नगर स्थित हर्षित अस्पताल के मालिक 45 वर्षीय डॉक्टर संदीप जायसवाल को सिर में गोली मार दी. डॉक्टर ट्रामा सेंटर में जिंदगी मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं. बीते 25 मई को चिनहट थाना क्षेत्र के बालाजीपुरम मटियारी के पास हुई इस घटना ने झकझोर कर रख दिया. हालांकि, आरोपी युवक अभी पुलिस की पकड़ में नहीं आया है. पूरा परिवार घर छोड़कर फरार है. इस घटना ने पूरे परिवार को सड़क पर ला दिया. एक बच्चे की संक्रमण से मौत हो गई जबकि दूसरा हत्या के प्रयास के मामले में फरार चल रहा है. पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य मिले. विवेचना से जुड़े एक पुलिस अफसर का कहना है कि संक्रमित की जान तो अस्पताल वाले बचा नहीं पाए. उसकी मौत के बाद उल्टे उसे लंबा चौड़ा बिल पकड़ा दिया और जल्द रुपए चुकाने का दबाव बनाने लगे.

चोरों का ऐसा गैंग पकड़ा, लॉकडॉउन में खाली घरों का उड़ाता था माल

26 मई को राजधानी की पीजीआई पुलिस ने चोरों के एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया, जो लॉकडाउन में आपदा को अवसर बनाते हुए खाली घरों को अपना निशाना बनाते थे. आरोपियों के पास से भारी मात्रा में चोरी का माल भी बरामद हुआ. पकड़े गए दोनों अभियुक्त की पहचान शिवम यादव थाना असोहा उन्नाव और जसप्रीत सिंह थाना पीजीआई तेलीबाग के रूप में हुई. पुलिस गिरफ्त में आए आरोपियों ने कुबूला कि 4 दिन पहले क्षेत्र में एक घर बंद पड़ा था. पता चला कि मकान मालिक के परिवार में कोई संक्रमित है. उसका इलाज कानपुर करा रहे हैं. सभी उसकी देखभाल में लगे हैं. फिर हमने उस घर को निशाना बना डाला. बीते 25 मई की रात बेख़ौफ चोरों ने गोमतीनगर स्थित विशाल खंड में चरखारी विधानसभा के विधायक बृजभूषण राजपूत के घर में ही हाथ साफ कर दिया. उस वक्त विधायक कोरोना संक्रमण में लोगों की मदद के लिए क्षेत्र गए थे. चोरों ने विधायक के घर से चांदी की मूर्तियां, पीतल के बर्तन, 50 हजार रुपये और बाथरूम में लगे नल चोरी किए और फरार हो गए. बीते 21 मई की रात सरोजनीनगर के सेक्टर ओ मानसरोवर विस्तार निवासी रूबी अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रही थी और चोरों ने उनके घर से नकदी समेत लैपटॉप, टीवी और जेवरात उड़ा दिया.

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डिजिटल लेन-देन में सावधानी और सतर्कता बरतें: पूर्व डिप्टी एसपी

पूर्व डिप्टी एसपी श्यामाकांत त्रिपाठी ने लॉकडाउन में चोरी और डकैती की कई घटनाओं के बाद आम लोगों को बाहर निकलने की स्थिति में सतर्कता बरतने की सलाह दी. साथ ही लोगों को डेबिट या क्रेडिट कार्ड से खरीदारी और लेन-देन में सावधानी बरतने की भी सलाह दी है. बाहर जाने की स्थिति में घर पर परिवार का कोई सदस्य उपस्थित रहे या फिर कीमती सामान और नकदी घर से हटा दें. वह बताते हैं, लाखों लोगों का रोजगार लॉकडाउन की वजह से छिन गया है. जिनकी नौकरियां बची हैं उनको भी या तो समय से वेतन नहीं मिल रहा है या फिर ज्यादातर मामलों में आधा वेतन मिल रहा है. लाखों की तादाद में लौटे प्रवासी मजदूरों की वजह से यह समस्या और गंभीर हो गई है. पुलिस को अंदेशा है कि खाने-पीने जैसी मौलिक जरूरतों के लिए लोग चोरी, छिनतई और दूसरे अपराधों की ओर आकर्षित हो सकते हैं.

मानसिक रूप से परेशान बेरोजगारों को संभालना होगा: मानसिक रोग विशेषज्ञ

डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवाशीष शुक्ला का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोगों का रोजगार छिन जाने के कारण लोगों के लिए दो जून की रोटी जुटाना बहुत मुश्किल हो गया है. लोग मानसिक रूप से परेशान हैं. राज्य सरकारों के पास प्रवासी मजदूरों के लिए पर्याप्त रोजगार मुहैया कराना भी संभव नहीं है. अगर काम होता तो लोग अपना राज्य छोड़ कर देश के दूसरे राज्यों में क्यों जाते?. बेरोजगारों को काम देकर उनकी मानसिक स्थिति को ठीक किया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन जितना लंबा खिंचेगा आर्थिक परिदृश्य उतना ही गंभीर होगा. ऐसे में आपराधिक घटनाएं तेजी से बढ़ सकती हैं. पुलिस की सक्रियता के साथ लोगों को अपनी सुरक्षा के प्रति खुद भी जागरुक होना होगा.

Last Updated : May 30, 2021, 12:12 PM IST
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