लखनऊ : उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद में सेवा में रहते हुए बड़े-बड़े अपराधों की केवल जांच होती है. सेवा समाप्त होने के बाद कुछ जांच में क्लीन चिट देने के बहाने पेंशन कटौती की छोटी सी सजा दे दी जाती है. इसके बाद में बड़े से बड़े अपराध में मुक्ति मिल जाती है. कई बोर्ड मीटिंग में ऐसे मामले आए जिसमें अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन कटौती की सजा दी गई. उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद की 259 वीं बैठक में ऐसा ही एक मामला सामने आया था. फिरोजाबाद केसी त्रिपाठी के विरुद्ध गठित विभागीय जांच में उनको दोषी पाया गया. जांच अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई आख्या में आरोप सिद्ध पाए जाने पर केसी त्रिपाठी की पेंशन से 10 प्रतिशत कटौती स्थाई रूप से किये जाने का दंड दिया गया है. इसके अलावा प्रमोद कुमार, अधीक्षण अभियन्ता रूहेलखंड वृत्त, मुरादाबाद के विरुद्ध विभागीय जांच की स्वीकृति दी गई. निलंबित प्रमोद कुमार ने आवास विकास परिषद की मझोला योजना में एक व्यावसायिक प्लॉट को गैर कानूनी तरीके से आवंटित किया था.
यह मामले तो बस नजीर हैं. लगभग प्रतीक बोर्ड मीटिंग में इसी तरह से सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ पेंशन कटौती के मामलों में कार्रवाई करके बड़े-बड़े घोटालों की इतिश्री कर दी जाती है. इसी तरह से कुछ महीने पहले बोर्ड मीटिंग में रामपाल भास्कर सेवानिवृत्त कनिष्ठ लेखाधिकारी के विरुद्ध गठित विभागीय जांच में आरोप सिद्ध पाए जाने पर उनकी पेंशन से 5 प्रतिशत कटौती 5 वर्षों तक किए जाने का निर्णय लिया गया. जमीन घोटाले में आवास विकास परिषद के तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया है. मुरादाबाद में परिषद की मझोला आवासीय योजना में करोड़ों रुपये की ज़मीन चहेतों को बेचने के लिए आरोपित अफसरों ने खेल किया था. नियमों के अनुसार व्यावसायिक ज़मीनों को ई नीलामी के माध्यम से बेचा जाना चाहिए था. तीनों अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर चहेतों को कम क़ीमत पर बेच दिया. संपत्ति प्रबंधक अमित शुक्ला, अधीक्षण अभियन्ता प्रमोद कुमार और उप आवास आयुक्त लक्ष्मण प्रसाद को निलम्बित किया गया है. तीनों अधिकारी पिछले कई साल से इसी तरह से बड़े-बड़े फ्लैटों में खेल करते रहे हैं.
आवास विकास परिषद के एक अधिकारी ने बताया किअब इनके खिलाफ बाकी मामलों की भी जांच होगी और कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन बिल्डरों पर भी एक्शन लिया जाएगा जिन्होंने बिना नीलामी के खेल करके इस जमीन को हासिल किया है. वहीं इस मामले में प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से जानकारी दी गई कि कार्रवाई की गई है. इससे अधिक कोई कार्यवाही अब तक इनके खिलाफ नहीं की गई. आवास विकास परिषद के सचिव नीरज शुक्ल ने बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद किसी अवसर पर बड़ी कार्रवाई करना संभव नहीं है. इसलिए पेंशन कटौती की कार्यवाही की जाती है. हम भूखंड की कीमत के आधार पर पेंशन कटौती कर लेते हैं और आवास विकास परिषद को कोई नुकसान नहीं होता, मगर यह नहीं बताया किअपराध की वास्तविक सजा उनको क्यों नहीं मिल पाती.
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