लखनऊ : संजय गांधी स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) लखनऊ के चिकित्सकों ने पित्ताशय (गाल ब्लैडर) के कैंसर रोगियों के लिए एक नई कीमो-रेडियोथेरेपी तकनीक विकसित की है. इस तकनीक से मरीजों को महंगी इम्यूनोथेरेपी का किफायती विकल्प मिल सकता है. इससे उनके जीवनकाल में वृद्धि संभव हो सकती है. यह शोध दिखाता है कि कम लागत में भी प्रभावी उपचार संभव है. इससे लाखों मरीजों को राहत मिल सकती है. शोध को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, बायो फिजिक्स ने स्वीकार किया है.
शोध के मुताबिक नई तकनीक से मरीजों की औसत जीवन प्रत्याशा 8-9 महीने से बढ़कर 13 महीने हो जाएगी. रेडियोथेरेपी विभाग की प्रोफेसर सुषमा अग्रवाल के नेतृत्व में 140 मरीजों पर किए गए अध्ययन के सकारात्मक परिणाम आए हैं. नए शोध में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का संयोजन किया गया है. जिसकी कुल लागत मात्र 30 से 40 हजार रुपये आती है. यह उपचार महंगी इम्यूनोथेरेपी (18-20 लाख रुपये) के मुकाबले कहीं अधिक किफायती है.
शोध के मुख्य निष्कर्ष:
- 80 प्रतिशत मरीजों में सकारात्मक परिणाम मिले.
- पारम्परिक कीमोथेरेपी जीवनकाल को केवल 8-9 महीने तक बढ़ाती है, जबकि यह नई तकनीक इसे 13 महीने तक बढ़ा सकती है.
- इलाज की लागत बहुत कम है.
- गैर-मेटास्टैटिक कैंसर (जो अन्य अंगों में नहीं फैला) के मरीजों को अधिक लाभ हुआ.
- महंगी इम्युनोथेरेपी के मुकाबले ज्यादा प्रभावी और सुलभ .
इन्हें मिलेगा लाभ:
- जिनमें कैंसर अन्य अंगों तक नहीं फैला है.
- जिनके लिए सर्जरी संभव नहीं है (क्योंकि केवल 10 प्रतिशत मरीजों की सर्जरी हो पाती है).
- जो महंगी इम्युनोथेरेपी वहन नहीं कर सकते.
खतरा और कारक : भारत में विशेष रूप से गंगा के मैदानी इलाकों (उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल) में पित्ताशय का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. यह महिलाओं में तीसरा सबसे अधिक प्रचलित कैंसर है. इसके प्रमुख कारणों में शामिल हैं. इनमें जल प्रदूषण, मोटापा, असंतुलित खानपान दूषित या बार-बार गर्म किया गया सरसों का तेल, बड़ी पित्त की पथरी जो कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है.
यह भी पढ़ें : एडवांस एमआरआई से स्लीप एपनिया का चलेगा पता, आसान होगा इलाज - Treatment of sleep apnea