लखनऊ: 20 जुलाई 2020 से बिना लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन की अनुमति दे दी गई थी. जिसके बाद राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमित सेंटर से मरीजों को घर पर ही होम आइसोलेशन पर रहकर इलाज की व्यवस्था की गई. इसके चलते अब अस्पतालों में गंभीर मरीजों के लिए बेड खाली हैं, वहीं होम आइसोलेशन में व्यवस्थाएं बद से बदतर होती नजर आ रही हैं.
राजधानी में 20 जुलाई से बिना लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की अनुमति दी गई. आदेश के एक महीने बाद तक व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है. स्थिति ये हो गई कि होम आइसोलेट किए गए मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ने लगे हैं. इतना ही नहीं संक्रमित मरीजों को घर पर दवा तक नहीं मिल पा रही. मरीजों को दवा भी बाहर से खरीदनी पड़ रही है.
राजधानी लखनऊ की बुद्धेश्वर निवासी युवती मंगलवार को रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी. जिसके बाद कंट्रोल रूम से फोन आने पर होम आइसोलेशन में रहने की अनुमति मिली. लेकिन 2 दिन बाद जब उसे तेजी से बुखार आना शुरू हुआ, तो उसने कोविड सेन्टर पर फोन किया गया. लेकिन वहां पर फोन नहीं उठा. कुछ देर बाद ऑपरेटर ने फोन उठाकर बगल के किसी मेडिकल स्टोर से दवा लेने के लिए कह दिया.
वहीं आलमबाग निवासी 32 वर्षीय युवक 14 अगस्त को कोरोना वायरस के बाद सीएमओ कार्यालय कोविड-19 कॉल सेंटर से उसे होम आइसोलेशन की अनुमति मिली. इसके बाद 18 तारीख को युवक की तबीयत बिगड़ने लगी. जब मरीज ने सीएमओ टीम को फोन किया, लेकिन शाम तक टीम नहीं पहुंची. रात को 11 बजे संक्रमित मरीज को अस्पताल पहुंचाया गया. लेकिन एंबुलेंस में ही मरीज की मौत हो गई थी.
मैन पावर की कमी, जल्द होगी व्यवस्था
मामले को लेकर लखनऊ में डीटीओ एके चौधरी ने बताया कि लोगों को दवा मुहैया कराई जा रही है. मैनपावर की कमी के कारण सब को एक साथ दवा मुहैया कराने में दिक्कत आ रही है. विभाग की तरफ से जल्द ही कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी. वहीं राजधानी लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि शहर की सभी सीएचसी, पीएचसी पर औषधि भेज दी गई है. साथ ही वहां तैनात डॉक्टर को ही नोडल बना दिया गया है, जिससे की व्यवस्थाओं को पटरी पर लाया जा सके.