नई दिल्ली: क्रिकेट के प्रति युवाओं में काफी दीवानगी देखने को मिलती है, लेकिन जिस तरह से बाजार में क्रिकेट गेम को खेलने के लिए जरूरी क्रिकेट बैट समेत अन्य प्रकार की क्रिकेट किट के दाम में उछाल आ रहा है. ऐसे में कहीं ना कहीं गार्जियन भी अपने बच्चों को आसमान छूते क्रिकेट उत्पादों को दिलाने में कई बार असमर्थ हो जाते हैं. लेकिन अब विकल्प के तौर पर स्पोर्ट्स सिटी में बड़े पैमाने पर प्लास्टिक से निर्मित खेल उत्पाद बन रहे हैं, जिनकी डिमांड भी पूरे देश में है.
मेरठ के सूरजकुण्ड में हजारों खेल उत्पाद बिक्री करने के ठिकाने हैं. यहां न सिर्फ फुटकर में बल्कि होलसेल में भी खेल के सामान खरीदे जा सकते हैं. ईटीवी भारत ने कई प्लास्टिक के उत्पाद बनाने वाले लोगों से बात की. वह बताते हैं कि कोरोना काल में जब जन जीवन अस्त व्यस्त था, उस वक्त प्लास्टिक के बैट की डिमांड में इजाफा हुआ था.
अब धीरे धीरे ये कारोबार बढ़ता ही जा रहा है. प्लास्टिक के खेल उत्पाद निर्माण से जुड़े विजय चौधरी बताते हैं कि, प्लास्टिक के बैट की डिमांड पूरे देश में है. वह कहते हैं कि यूं तो कई और भी खेल के प्रोडक्ट मेरठ में बन रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा इस वक्त क्रिकेट के बल्ले बन रहे हैं.
स्पोर्ट्स गुड्स के होलसेलर नितिन कटियार ने बताया कि, पिछले कुछ समय में उन्होंने अपना अधिकांश काम प्लास्टिक के बैट की सप्लाई पर ही केंद्रित किया हुआ है. वह कहते हैं कि एक तो जो क्रिकेट की शुरुआत करने वाले बच्चे और युवा हैं उन्हें ये बैट खूब लुभा रहे हैं, वहीं जहां इंग्लिश विलो की किल्लत से इस इंडस्ट्री को समस्या हो रही थी, उस समस्या का निदान भी मानो प्लास्टिक बैट के आने से हो गया है, क्रिकेट प्रेमी टेनिस बॉल से खेलने के लिए प्लास्टिक के बने बल्लों को खूब पसंद क़र रहे हैं. उन पर देश भर से लगातार ऑर्डर आ रहे हैं, जिन्हें वह पूरा नहीं कर पा रहे हैं. वह बताते हैं कि लकड़ी के बैट में कई बार शिकायत भी आ जाती है जबकि इनमें कोई शिकायत नई आती है.
मेरठ के स्पोर्ट्स मार्केट सूरजकुण्ड रोड़ पर कई पीढ़ीयों से स्पोर्ट्स गुड्स की दुकान चला रहे गौरव बताते हैं कि, पिछले तीन साल में प्लास्टिक के बैट का उत्पादन और बिक्री दोनों में इजाफा हुआ है. ज़ब नए-नए चलन में थे मार्केट में आए थे तो लोगों को इतना विश्वास नहीं हुआ था. लेकिन अब तो टेनिस बॉल से जो क्रिकेट मैच लोग खेल रहे हैं तो, इन्हें ही पसंद रहे हैं. एक तो इनमें वजन काफी कम रहता है दूसरा जो शुरुआत कर रहे होते हैं उन्हें भी ये क्रिकेट बैट खूब लुभाते हैं. वहीं कश्मीर विलो का बैट भी लेते हैं तो, वह भी कम से कम एक हजार रुपये का मिलेगा जबकि प्लास्टिक बैट की कीमत भी कम है. दूसरा इनमें वजन भी कम रहता है, इन्हें खूब पसंद भी किया जाता है.
इस बारे में उपायुक्त उद्योग दीपेंद्र कुमार का कहना है कि मेरठ को स्पोर्ट्स गुड्स के लिए जाना जाता है, यहां जो भी खेल के उत्पाद बनते हैं वह सभी ODOP के अंतर्गत आते हैं. नए उद्यमी भी स्पोर्ट्स प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं, वह बताते हैं कि क्रिकेट बैट के लिए विलो की आवश्यकता होती है, ऐसे में कश्मीर विलो हो या इंग्लिश विलो शोर्टेज बनी रहती थी,
अब तक लगभग 100 ऐसी इंडस्ट्री मेरठ में संचालित हैं, जो कि प्लास्टिक बैट तैयार कर रही हैं. वहीं इनका सालाना टर्न ओवर भी करोड़ों में है. डोमेस्टिक मार्केट के साथ साथ एक्सपोर्ट भी ये इंडस्ट्रीज कर रही हैं.
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