लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहराइच जनपद के एक मामले में मकान के ध्वस्तीकरण सम्बंधी आदेशों को खारिज कर दिया है. आरोप था कि ग्राम सभा में निहित खलिहान की जमीन पर अवैध कब्जा कर मकान का निर्माण कर लिया गया है, हालांकि न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया कार्यवाही से पूर्व याची को विधिवत नोटिस नहीं दी गई है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने बहराइच के पयागपुर निवासी सत्य प्रकाश त्रिपाठी की याचिका पर पारित किया. इसके पूर्व याची के अधिवक्ता चन्दन श्रीवास्तव ने उक्त मकान के ध्वस्तीकरण व प्रश्नगत जमीन से बेदखली की नोटिस का हवाला देते हुए, शीतकालीन अवकाश के दौरान विशेष पीठ का गठन कर सुनवाई की मांग की थी, जिसे स्वीकार करते हुए, कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति के आदेश पर विशेष पीठ का गठन किया गया. याची की ओर से दलील दी गई कि याची को राजस्व संहिता नियमावली के नियम 67 के तहत नोटिस दी ही नहीं गई व जो नोटिस याची को दी गई वह त्रुटिपूर्ण थी और उसमें सुनवाई की तिथि इत्यादि विवरण नहीं दिए गए थे. यह भी दलील दी गई कि याची के पूर्वज प्रश्नगत जमीन पर एक सदी से ज्यादा समय से काबिज हैं जब यूपी जमींदारी उन्मूलन कानून लागू भी नहीं हुआ था, वहीं याचिका का मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार सिंह व ग्राम सभा के अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने विरोध किया. कहा गया कि दस्तावेजों से स्पष्ट है कि याची खलिहान की जमीन पर अवैध कब्जा किए हुए है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि याची को दी गई नोटिस नियमावली के तहत नहीं थी. न्यायालय ने तहसीलदार व जिलाधिकारी के आदेशों को खारिज कर दिया, हालांकि, नए सिरे से नोटिस जारी करने की छूट भी दी है.
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