लखनऊः उत्तर प्रदेश वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. 3 साल से नियमित किए जाने का इंतजार कर रहे कर्मचारी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का खुला आरोप भी लगा रहे हैं. वन विभाग में 7000 से ज्यादा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित किया जाना था.
2016 में जारी हुआ था नियमित करने का निर्देश
उत्तर प्रदेश के वन विभाग में 7000 से ज्यादा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी ऐसे हैं. जिनकों नियमित करने की घोषणा पिछले 3 साल से लंबित है. कर्मचारियों का आरोप है कि उत्तर प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्णय के बावजूद दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण में विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ही लापरवाही कर रहे हैं. वन विभाग राजकीय वाहन चालक संघ के महामंत्री उपेंद्र तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि मौजूदा सरकार ने 2016 में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश जारी किया था.
जिला स्तर के अधिकारी कर रहे नियुक्ति
सरकार के फैसले के अनुसार, पहले जिन कर्मचारियों को 2100 रुपये दैनिक वेतन पर रखा गया है. सभी को नियमित कर दिया जाएगा, लेकिन इस फैसले को लागू करने में वन विभाग के अधिकारी हिला हवाली कर रहे हैं. महामंत्री ने कहा कि कायदे से सभी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को मुख्यालय स्तर से नियमितीकरण का आदेश जारी किया जाना चाहिए था. क्योंकि यह फैसला सरकार का था, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने इसे जिला स्तर के वन अधिकारियों के विवेक पर छोड़ दिया. इसका खामियाजा दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. जिलों में तैनात अधिकारी मनमाने तरीके से कर्मचारियों का नियमितीकरण कर रहे हैं. आरोप है कि भ्रष्टाचार की वजह से कर्मचारियों के नियमितीकरण में बाधा पैदा की जा रही है.