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कोविड ने ली जिनकी जान, विद्युत शवदाह गृह में हो रहा उनका अंतिम संस्कार

कोरोना संक्रमण से पूरा देश लड़ रहा है. इस वायरस ने हमारे जीने का तरीका ही बदल दिया है. इसके साथ ही अंतिम संस्कार भी अब बदल गये हैं. लखनऊ में कोरोना संक्रमित मृतकों के अंतिम संस्कार लकड़ियों से सजी चिता पर नहीं बल्कि विद्युत शवदाह गृह में हो रहा है. कोरोना वायरस का असर जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी नजर आने लगा है. देखिए यह रिपोर्ट...

corona epidemic
कोरोना काल और अंतिम सफर
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Published : Aug 12, 2020, 9:00 PM IST

लखनऊ: मनुष्य अपनी मृत्यु के बाद सम्मानजनक अंतिम संस्कार का हकदार होता है. हर व्यक्ति चाहता है कि उसका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान के साथ हो सके. लेकिन कोरोना महामारी ने सबकुछ बदल कर रख दिया है. कोरोना ने जीने के साथ-साथ मौत के बाद के रिवाज भी बदल दिए हैं. कोरोना संक्रमित मरीज की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कार परंपरागत तरीके से नहीं होकर कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया जा रहा है. इसके तहत मृतक के परिवार को भी शव को छूने की इजाजत नहीं होती ताकि संक्रमण के चेन को रोका जा सके.

कोरोना काल और अंतिम सफर

कोरोना काल में बदले नियम
कोविड-19 संक्रमण से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार उनके परिजन नहीं कर पा रहे हैं. प्रशासन कोरोना काल और लॉकडाउन के नए मानदंडों के अनुसार व्यक्तियों के शवों को उनके रिश्तेदारों को नहीं सौंप रहा है. उनका अंतिम संस्कार प्रशासन अपने अधिकारियों की निगरानी में करवा रहा है.

श्मशान घाट पर आते हैं परिजन
कोविड-19 संक्रमण के चलते प्राण गंवाने वाले मृतक के परिजन सीधे श्मशान घाट पहुंचते हैं. मृतक का शव उनको नहीं दिया जाता है.

प्रतिदिन कोरोना से 14-15 लोगों की होती है मौत
राजधानी में कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े प्रतिदिन बढ़ रहे हैं. राजधानी में प्रतिदिन 14-15 लोग कोरोना संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं. कोरोना संक्रमण की वजह से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार सामान्य रूप से नहीं किया जाता. उनका अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में पूरी सावधानी के साथ किया जाता है. राजधानी के बैकुण्ठ धाम स्थित विद्युत शवदाह गृह में हर दिन 14 से 15 कोविड-19 संक्रमण से मरने वालों के शव आते हैं.

कोरोना गाइडलाइन का किया जाता है पालन
विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार करने वाले शख्स ने बताया कि कोरोना महामारी के शुरूआती दौर में यहां बहुत ही कम शव आते थे, लेकिन अब हर दिन 14 से 15 शव आ रहे हैं. अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति ने बताया कि सभी शवों का लॉकडाउन के नियमों के तहत अंतिम संस्कार किया जाता है. एक अंतिम संस्कार करने के बाद पूरे परिसर को सैनिटाइज किया जाता है, साफ-सफाई की जाती है. उसके बाद ही दूसरी बॉडी का अंतिम संस्कार होता है.

सील पैक होता है शव
विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति ने कहा कि हॉस्पिटल से ही सभी शव को पीपीई किट में सील पैक करके लाया जाता है. जब यहां शव आते हैं, तब अंतिम संस्कार करने से पहले पीपीई किट को हटा लिया जाता है और किट को जला दिया जाता है. अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति ने बताया कि शवदाह गृह के बाहर हर समय नगर निगम की तरफ से सैनिटाइज करने वाला टैंक खड़ा रहता है.

आधे घंटे लगते हैं अंतिम संस्कार में
अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति ने बताया कि एक डेड बॉडी के अंतिम संस्कार में आधे घंटे का समय लगता है. उसने कहा कि यहां पर शवों को पूरा जलाया जाता है. अधजले शवों की यहां कोई व्यवस्था नहीं है. शव के पूरे जलने के बाद ही राख को परिजनों को सौंपा जाता है.

लखनऊ: मनुष्य अपनी मृत्यु के बाद सम्मानजनक अंतिम संस्कार का हकदार होता है. हर व्यक्ति चाहता है कि उसका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान के साथ हो सके. लेकिन कोरोना महामारी ने सबकुछ बदल कर रख दिया है. कोरोना ने जीने के साथ-साथ मौत के बाद के रिवाज भी बदल दिए हैं. कोरोना संक्रमित मरीज की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कार परंपरागत तरीके से नहीं होकर कोविड प्रोटोकॉल के तहत किया जा रहा है. इसके तहत मृतक के परिवार को भी शव को छूने की इजाजत नहीं होती ताकि संक्रमण के चेन को रोका जा सके.

कोरोना काल और अंतिम सफर

कोरोना काल में बदले नियम
कोविड-19 संक्रमण से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार उनके परिजन नहीं कर पा रहे हैं. प्रशासन कोरोना काल और लॉकडाउन के नए मानदंडों के अनुसार व्यक्तियों के शवों को उनके रिश्तेदारों को नहीं सौंप रहा है. उनका अंतिम संस्कार प्रशासन अपने अधिकारियों की निगरानी में करवा रहा है.

श्मशान घाट पर आते हैं परिजन
कोविड-19 संक्रमण के चलते प्राण गंवाने वाले मृतक के परिजन सीधे श्मशान घाट पहुंचते हैं. मृतक का शव उनको नहीं दिया जाता है.

प्रतिदिन कोरोना से 14-15 लोगों की होती है मौत
राजधानी में कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े प्रतिदिन बढ़ रहे हैं. राजधानी में प्रतिदिन 14-15 लोग कोरोना संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं. कोरोना संक्रमण की वजह से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार सामान्य रूप से नहीं किया जाता. उनका अंतिम संस्कार विद्युत शवदाह गृह में पूरी सावधानी के साथ किया जाता है. राजधानी के बैकुण्ठ धाम स्थित विद्युत शवदाह गृह में हर दिन 14 से 15 कोविड-19 संक्रमण से मरने वालों के शव आते हैं.

कोरोना गाइडलाइन का किया जाता है पालन
विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार करने वाले शख्स ने बताया कि कोरोना महामारी के शुरूआती दौर में यहां बहुत ही कम शव आते थे, लेकिन अब हर दिन 14 से 15 शव आ रहे हैं. अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति ने बताया कि सभी शवों का लॉकडाउन के नियमों के तहत अंतिम संस्कार किया जाता है. एक अंतिम संस्कार करने के बाद पूरे परिसर को सैनिटाइज किया जाता है, साफ-सफाई की जाती है. उसके बाद ही दूसरी बॉडी का अंतिम संस्कार होता है.

सील पैक होता है शव
विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति ने कहा कि हॉस्पिटल से ही सभी शव को पीपीई किट में सील पैक करके लाया जाता है. जब यहां शव आते हैं, तब अंतिम संस्कार करने से पहले पीपीई किट को हटा लिया जाता है और किट को जला दिया जाता है. अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति ने बताया कि शवदाह गृह के बाहर हर समय नगर निगम की तरफ से सैनिटाइज करने वाला टैंक खड़ा रहता है.

आधे घंटे लगते हैं अंतिम संस्कार में
अंतिम संस्कार करने वाले व्यक्ति ने बताया कि एक डेड बॉडी के अंतिम संस्कार में आधे घंटे का समय लगता है. उसने कहा कि यहां पर शवों को पूरा जलाया जाता है. अधजले शवों की यहां कोई व्यवस्था नहीं है. शव के पूरे जलने के बाद ही राख को परिजनों को सौंपा जाता है.

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