लखनऊ: चारबाग रविंद्रालय में पसमांदा मुस्लिम समाज का आठवां राष्ट्रीय अधिवेशन मनाया गया. पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व राज्य मंत्री अनीस मंसूरी की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम समपन्न हुआ. कार्यक्रम में कहा गया कि नागरिकता संशोधन कानून में हिंदुओं के साथ और धर्मों के लोगों को शामिल किया गया है. मुसलमानों को एक षड्यंत्र के तहत इस बिल में शामिल नहीं किया गया है. साथ ही सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि पसमांदा समाज अपने ही देश में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है.
खास बातें-
- राजधानी में पसमांदा मुस्लिम समाज का आठवां राष्ट्रीय अधिवेशन मनाया गया.
- चारबाग रविंद्रालय में पसमांदा मुस्लिम समाज ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया.
- पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी की अध्यक्षता में अधिवेशन समपन्न हुआ.
- वहीं इस अधिवेशन में नागरिक संशोधन बिल का जमकर विरोध देखने को मिला.
- अधिवेशन में कहा गया कि इस कानून में हिंदुओं और सभी धर्म हैं, लेकिन मुसलमान नहीं है.
- सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि पसमांदा समाज अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहा है.
नागरिक संशोधन बिल का विरोध-
इस कार्यक्रम में कहा गया कि मुसलमानों की पिछड़ी जातियों की आवाज़ बुलंद करने वाली यह समाजी संस्था पसमांदा मुस्लिम समाज पिछले काफी वक्त से मुसलमानों की हक़ की आवाज बुलंद करती आयी है. जिसका देश की सियासत पर भी बड़ा असर माना जाता है. जहां एक तरफ तमाम मुस्लिम संगठन नागरिक संशोधन बिल के विरोध में उतर आए हैं तो वहीं अब पसमांदा मुस्लिम समाज ने भी इस बिल को मुसलमानों के खिलाफ बताया है.
लोकसभा और राज्यसभा से पास हुआ नागरिकता संशोधन कानून भारतीय संविधान की मूल भावना के विपरीत है. यह कानून मुसलमानों में खासकर पसमांदा मुसलमानों के देश से दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की एक सोची समझी साजिश है. नागरिक संशोधन कानून में सिर्फ मुसलमानों को बाहर रखना केंद्र सरकार की मुस्लिम विरोधी मानसिकता दर्शाता है. इस मामले में देश के राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान लेना चाहिए.
अनीस मंसूरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष पसमांदा मुस्लिम समाज