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इंस्टीट्यूट से ड्राइविंग ट्रेनिंग लेकर ही सड़क पर उतरेंगे ड्राइवर, सड़क हादसों की थमेगी रफ्तार

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 14 अत्याधुनिक ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट स्थापित किए जा रहे हैं. इन सभी संस्थानों में ड्राइवर्स को ड्राइविंग स्किल सिखाने के साथ ही वाहन से संबंधित कई रिसर्च कोर्स भी कराए जाएंगे. चालकों को प्रशिक्षित करने के एवज में मामूली शुल्क लिया जाएगा.

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Published : Dec 8, 2022, 1:02 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 14 अत्याधुनिक ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट (Driving Training & Testing Institute) स्थापित किए जा रहे हैं. इन सभी संस्थानों में ड्राइवर्स को ड्राइविंग स्किल सिखाने के साथ ही वाहन से संबंधित कई रिसर्च कोर्स भी कराए जाएंगे. चालकों को प्रशिक्षित करने के एवज में मामूली शुल्क लिया जाएगा. सरकारी और वाणिज्यिक चालकों के साथ ही निजी वाहन संचालक भी यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे. परिवहन विभाग के अधिकारी प्रदेश भर में तैयार किए जा रहे ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट का निरीक्षण कर चुके हैं. इन्हें जल्द से जल्द शुरू करने की तैयारी की जा रही हैं. इन सभी 14 डीटीआई को प्राइवेट हाथों में सौंपा जाएगा, क्योंकि इनका संचालन कर पाने ने परिवहन विभाग असमर्थ है.

परिवहन विभाग के अधिकारी (transport department official) बताते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोत्तरी को ध्यान में रखकर चालकों के लिए ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (training institute) में अब ड्राइविंग में रिफ्रेशर कोर्स अनिवार्य होगा. आरटीओ से ड्राइविंग लाइसेंस जारी (driving license from rto) होने के बाद भी ड्राइवर को डीटीआई में प्रशिक्षित किया जाएगा. डीएल रिनुअल के समय ड्राइवर से डीटीआई से प्रशिक्षण प्राप्त करने का सर्टिफिकेट मांगा जाएगा. सर्टिफिकेट प्रस्तुत नगर पाने वाले चालाक का लाइसेंस रिन्यूअल ही नहीं किया जाएगा यह माल लिया जाएगा कि चालक प्रशिक्षित नहीं है और कभी भी सड़क पर वाहन संचालित करते समय दुर्घटना का बड़ा कारण बन सकता है. ट्रेनिंग लेकर जो ड्राइवर सड़क पर गाड़ी लेकर उतरेंगे उनसे एक्सीडेंट की संभावनाएं काफी कम हो जाएंगी. उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा कोष से रायबरेली, कानपुर, बरेली, बस्ती, झांसी, आजमगढ़, प्रयागराज, मुरादाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, मथुरा और मेरठ में ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनकर तैयार हो रहा है. इन सभी स्थानों पर ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट संचालित होने के बाद प्रशिक्षित ड्राइवर ही लाइसेंस होल्डर होंगे.

जानकारी देते अपर परिवहन आयुक्त वीके सोनकिया.

डीटीटीआई के संचालन के लिए 14 जगहों पर ई टेंडर पोर्टल पर अपलोड कर दिया है. प्री बिड मीटिंग भी हो गई है. कुछ सुझाव आए हैं उन पर संशोधन के लिए प्रस्ताव तैयार हो रहा है. जल्द ही अप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगा. इन इंस्टीट्यूट्स में मुख्य रूप से ड्राइवर्स की ट्रेनिंग का काम होगा. जो ट्रेनिंग लेंगे उन्हें ऑटोमेटिक ट्रैक पर ट्रेनिंग दी जाएगी. आरटीओ ऑफिस में जो लोग लाइसेंस बनवाने के लिए आते हैं उनकी टेस्टिंग का काम इस ट्रैक पर होगा. कौशल विकास मिशन के कुछ प्रशिक्षण कोर्स तय किए गए हैं जिनमें गाड़ी की ओवरहालिंग का कोर्स, गाड़ी की सर्विसिंग का कोर्स, इलेक्ट्रिफिकेशन का कोर्स शामिल है. ऑटोमोबाइल से रिलेटेड कुछ कोर्स लांच किए जाएंगे. ड्राइवर को इन कोर्सों की ट्रेनिंग भी मिलेगी. इसका पैसा संचालक को सीधे कौशल विकास विभाग से मिलेगा. जहां तक डीटीटीआई के संचालन की बात है तो सभी जगह इनका संचालन विभाग नहीं कर सकता इसलिए इन्हें संचालन के लिए निजी हाथों में सौंपा जाएगा. बिल्डिंग, ट्रैक और ऑटोमेशन पर जो भी खर्चा आएगा वह संचालक का होगा. बाद में सरकार की तरफ से पैसा वापस किया जाएगा.

बीच रास्ते दम तोड़ रहीं कंडम बसें, यात्री हो रहे परेशान : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की कंडम बसें यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन रही हैं. तय समय पर बस से मंजिल तक पहुंचाने का सपना लिए यात्री बीच रास्ते में भटकने को मजबूर हैं. दरअसल लखनऊ परिक्षेत्र की दो से तीन बसों की हर रोज बीच सड़क पर सांसें टूट रही हैं. बीते माह 15 दिनों के दौरान 21 बसें ब्रेक डाउन होकर रास्ते में खड़ी हो गईं. जिससे यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी और यात्रियों को टिकट का पैसा भी वापस नहीं हुआ. बीच रास्ते बसें खराब होने की सबसे बड़ी वजह इंजन में खराबी है. अधिकतर बसें अपनी आयु पूरी कर चुकी हैं और 10 साल से ज्यादा की हो गई हैं. इतना ही नहीं 10 से 12 लाख किलोमीटर की सीमा भी पूरी कर चुकी हैं. इन बासें के कलपुर्जे खराब होने के कगार पर हैं. इससे इंजन गर्म होने और उसमें खराबी आने की संभावना ज्यादा रहती है. परिवहन निगम मुख्यालय पर तैनात सीजीएम (प्राविधिक) संजय शुक्ला ने बताया कि परिवहन निगम के बस बेड़े में शामिल खराब बसों को नीलाम कराने की तैयारी हो रही है. दो माह के अंदर कंडम बसें हटाकर यात्रियों को नई बसों की सौगात दी जाएगी.

यह भी पढ़ें : यूपी उपचुनाव मतगणना 2022, आज सपा और भाजपा प्रत्याशियों के भाग्य का होगा फैसला

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 14 अत्याधुनिक ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट (Driving Training & Testing Institute) स्थापित किए जा रहे हैं. इन सभी संस्थानों में ड्राइवर्स को ड्राइविंग स्किल सिखाने के साथ ही वाहन से संबंधित कई रिसर्च कोर्स भी कराए जाएंगे. चालकों को प्रशिक्षित करने के एवज में मामूली शुल्क लिया जाएगा. सरकारी और वाणिज्यिक चालकों के साथ ही निजी वाहन संचालक भी यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे. परिवहन विभाग के अधिकारी प्रदेश भर में तैयार किए जा रहे ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट का निरीक्षण कर चुके हैं. इन्हें जल्द से जल्द शुरू करने की तैयारी की जा रही हैं. इन सभी 14 डीटीआई को प्राइवेट हाथों में सौंपा जाएगा, क्योंकि इनका संचालन कर पाने ने परिवहन विभाग असमर्थ है.

परिवहन विभाग के अधिकारी (transport department official) बताते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोत्तरी को ध्यान में रखकर चालकों के लिए ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (training institute) में अब ड्राइविंग में रिफ्रेशर कोर्स अनिवार्य होगा. आरटीओ से ड्राइविंग लाइसेंस जारी (driving license from rto) होने के बाद भी ड्राइवर को डीटीआई में प्रशिक्षित किया जाएगा. डीएल रिनुअल के समय ड्राइवर से डीटीआई से प्रशिक्षण प्राप्त करने का सर्टिफिकेट मांगा जाएगा. सर्टिफिकेट प्रस्तुत नगर पाने वाले चालाक का लाइसेंस रिन्यूअल ही नहीं किया जाएगा यह माल लिया जाएगा कि चालक प्रशिक्षित नहीं है और कभी भी सड़क पर वाहन संचालित करते समय दुर्घटना का बड़ा कारण बन सकता है. ट्रेनिंग लेकर जो ड्राइवर सड़क पर गाड़ी लेकर उतरेंगे उनसे एक्सीडेंट की संभावनाएं काफी कम हो जाएंगी. उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा कोष से रायबरेली, कानपुर, बरेली, बस्ती, झांसी, आजमगढ़, प्रयागराज, मुरादाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, मथुरा और मेरठ में ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनकर तैयार हो रहा है. इन सभी स्थानों पर ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट संचालित होने के बाद प्रशिक्षित ड्राइवर ही लाइसेंस होल्डर होंगे.

जानकारी देते अपर परिवहन आयुक्त वीके सोनकिया.

डीटीटीआई के संचालन के लिए 14 जगहों पर ई टेंडर पोर्टल पर अपलोड कर दिया है. प्री बिड मीटिंग भी हो गई है. कुछ सुझाव आए हैं उन पर संशोधन के लिए प्रस्ताव तैयार हो रहा है. जल्द ही अप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगा. इन इंस्टीट्यूट्स में मुख्य रूप से ड्राइवर्स की ट्रेनिंग का काम होगा. जो ट्रेनिंग लेंगे उन्हें ऑटोमेटिक ट्रैक पर ट्रेनिंग दी जाएगी. आरटीओ ऑफिस में जो लोग लाइसेंस बनवाने के लिए आते हैं उनकी टेस्टिंग का काम इस ट्रैक पर होगा. कौशल विकास मिशन के कुछ प्रशिक्षण कोर्स तय किए गए हैं जिनमें गाड़ी की ओवरहालिंग का कोर्स, गाड़ी की सर्विसिंग का कोर्स, इलेक्ट्रिफिकेशन का कोर्स शामिल है. ऑटोमोबाइल से रिलेटेड कुछ कोर्स लांच किए जाएंगे. ड्राइवर को इन कोर्सों की ट्रेनिंग भी मिलेगी. इसका पैसा संचालक को सीधे कौशल विकास विभाग से मिलेगा. जहां तक डीटीटीआई के संचालन की बात है तो सभी जगह इनका संचालन विभाग नहीं कर सकता इसलिए इन्हें संचालन के लिए निजी हाथों में सौंपा जाएगा. बिल्डिंग, ट्रैक और ऑटोमेशन पर जो भी खर्चा आएगा वह संचालक का होगा. बाद में सरकार की तरफ से पैसा वापस किया जाएगा.

बीच रास्ते दम तोड़ रहीं कंडम बसें, यात्री हो रहे परेशान : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की कंडम बसें यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन रही हैं. तय समय पर बस से मंजिल तक पहुंचाने का सपना लिए यात्री बीच रास्ते में भटकने को मजबूर हैं. दरअसल लखनऊ परिक्षेत्र की दो से तीन बसों की हर रोज बीच सड़क पर सांसें टूट रही हैं. बीते माह 15 दिनों के दौरान 21 बसें ब्रेक डाउन होकर रास्ते में खड़ी हो गईं. जिससे यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी और यात्रियों को टिकट का पैसा भी वापस नहीं हुआ. बीच रास्ते बसें खराब होने की सबसे बड़ी वजह इंजन में खराबी है. अधिकतर बसें अपनी आयु पूरी कर चुकी हैं और 10 साल से ज्यादा की हो गई हैं. इतना ही नहीं 10 से 12 लाख किलोमीटर की सीमा भी पूरी कर चुकी हैं. इन बासें के कलपुर्जे खराब होने के कगार पर हैं. इससे इंजन गर्म होने और उसमें खराबी आने की संभावना ज्यादा रहती है. परिवहन निगम मुख्यालय पर तैनात सीजीएम (प्राविधिक) संजय शुक्ला ने बताया कि परिवहन निगम के बस बेड़े में शामिल खराब बसों को नीलाम कराने की तैयारी हो रही है. दो माह के अंदर कंडम बसें हटाकर यात्रियों को नई बसों की सौगात दी जाएगी.

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