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हाईकोर्ट के समक्ष पेश हुए अयोध्या के डीएम, कहा-जमीन के लिए नहीं बनाया जा रहा दबाव

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Published : Jul 1, 2021, 10:18 PM IST

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) के समक्ष पेश होकर अयोध्या के जिलाधिकारी ने सफाई दी है कि एयरपोर्ट के लिए जमीन खरीदने के लिए किसी पर दबाव नहीं बनाया जा रहा है.

Lucknow Bench of High Court
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) के समक्ष पेश हुए अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा ने सफाई दी है कि एयरपोर्ट के लिए जमीनें लेने में किसी भी मालिक अथवा किसान पर दबाव बनाने का प्रश्न ही नहीं उठता. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने पंचराम प्रजापति समेत 107 लोगों की याचिका पर पारित किया. सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी के अलावा उप-जिलाधिकारी ज्योति सिंह व तहसीलदार विजय कुमार सिंह भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहे.

इसे भी पढ़ें-पांच साल से जवाब न आने पर हाईकोर्ट ने अपनाया सख्त रुख

जिलाधिकारी ने न्यायालय को बताया कि 19 मार्च 2015 के शासनादेश के निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए जमीनें ली जा रही हैं. सर्किल रेट को रिवाइज किये जाने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 व 2020 में सर्किल रेट का रिवाइज किया गया था. उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक रिवीजन में यह आवश्यक नहीं कि सर्किल रेट बढाया ही जाए. जिलाधिकारी ने न्यायालय के समक्ष आश्वासन भी दिया कि याचियों की जमीनें न तो बलपूर्वक ली जाएंगी और न ही किसी के मकान गिराए जाएंगे. इस पर न्यायालय ने तीनों अधिकारियों को शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है.

उल्लेखनीय है कि याचियों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया है कि उनके सम्पत्ति के अधिकार का घोर उल्लंघन करते हुए, उनकी जमीनों और मकान पर एयरपोर्ट बनाने के लिए कब्जा किया जा रहा है. इसके लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 का भी पालन नहीं किया जा रहा है.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) के समक्ष पेश हुए अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा ने सफाई दी है कि एयरपोर्ट के लिए जमीनें लेने में किसी भी मालिक अथवा किसान पर दबाव बनाने का प्रश्न ही नहीं उठता. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने पंचराम प्रजापति समेत 107 लोगों की याचिका पर पारित किया. सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी के अलावा उप-जिलाधिकारी ज्योति सिंह व तहसीलदार विजय कुमार सिंह भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहे.

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जिलाधिकारी ने न्यायालय को बताया कि 19 मार्च 2015 के शासनादेश के निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए जमीनें ली जा रही हैं. सर्किल रेट को रिवाइज किये जाने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 व 2020 में सर्किल रेट का रिवाइज किया गया था. उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक रिवीजन में यह आवश्यक नहीं कि सर्किल रेट बढाया ही जाए. जिलाधिकारी ने न्यायालय के समक्ष आश्वासन भी दिया कि याचियों की जमीनें न तो बलपूर्वक ली जाएंगी और न ही किसी के मकान गिराए जाएंगे. इस पर न्यायालय ने तीनों अधिकारियों को शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है.

उल्लेखनीय है कि याचियों ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया है कि उनके सम्पत्ति के अधिकार का घोर उल्लंघन करते हुए, उनकी जमीनों और मकान पर एयरपोर्ट बनाने के लिए कब्जा किया जा रहा है. इसके लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 का भी पालन नहीं किया जा रहा है.

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