लखनऊः प्रतियोगी परीक्षाओं में कामयाबी हासिल करने का सपना लेकर राजधानी आए विद्यार्थियों का हौसला लॉकडाउन की बंदिशें तोड़ रही हैं. कोचिंग क्लास बंद होने और पढ़ने का समय भोजन तैयार करने में बीतने से जहां विद्यार्थी परेशान हो रहे हैं. वहीं शहर में जरूरी वस्तुओं की किल्लत और बढ़े दाम ने भी परिवार का आर्थिक संकट बढ़ा दिया है. कोरोना वायरस को लेकर मन में चल रही उथल-पुथल और प्रतियोगिता में सफलता के दबाव ने विद्यार्थियों को तनाव की गिरफ्त में डाल रखा है.
हजारों की तादाद में हैं प्रतियोगी छात्र
पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों के विद्यार्थियों के लिए राजधानी लखनऊ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का कोचिंग केंद्र है. एमबीबीएस और इंजीनियरिंग का सपना लेकर आने वाले प्रतियोगी छात्र लखनऊ के विभिन्न मोहल्लों में संचालित होने वाले पीजी हॉस्टल में रहते हैं. अकेले नरही एक ऐसा ही इलाका है, जहां हजारों की तादाद में ऐसे विद्यार्थी रहते हैं.
कामयाबी ही महज एक मकसद
लॉकडाउन की वजह से आसपास के जिलों के विद्यार्थी वापस लौट चुके हैं, लेकिन देवरिया, सिद्धार्थनगर, अंबेडकरनगर, बहराइच, लखीमपुर खीरी क्षेत्रों से आने वाले विद्यार्थी पीजी हॉस्टल से बाहर निकलने का हौसला नहीं कर पा रहे हैं. सिद्धार्थनगर के अनिल चौधरी बताते हैं कि परिवार के लोग भी कोरोना के संक्रमण को लेकर बेहद परेशान हैं. कोचिंग क्लासेस बंद होने की वजह से पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है.
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लॉकडाउन ने बढ़ाया मानसिक तनाव
ऐसे में प्रतियोगी परीक्षा का दबाव और कोरोना वायरस का खतरा मिलकर मानसिक तनाव बढ़ा रहा है. देवरिया के नीतीश बताते हैं कि अचानक हुए लॉकडाउन की वजह से उन्हें घर जाने का मौका भी नहीं मिला. यहां रहकर सबसे ज्यादा परेशानी भोजन तैयार करने की है. जो मेस चल भी रहे थे, वे अब बंद हो चुके हैं. साथ ही खाने-पीने का सामान भी बहुत महंगा मिल रहा है, जिससे परिवार का बजट भी बिगड़ रहा है.
राजधानी में संचालित होने वाले हॉस्टल
अंबेडकर नगर के संतोष भी कहते हैं कि इस लॉकडाउन ने सबसे ज्यादा मानसिक तनाव बढ़ाया है. पीजी में रहकर तैयारी करने वाले ज्यादातर विद्यार्थी इस तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं. लखनऊ में अन्य जिलों से आकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले प्रतियोगी छात्रों की तादाद लगभग 10,000 है. नगर निगम के मुख्य कर अधीक्षक अशोक सिंह के अनुसार कुल 70 आवासीय हॉस्टल राजधानी में संचालित हो रहे हैं. इसके साथ ही 70 पंजीकृत हॉस्टल और अपंजीकृत हॉस्टल की संख्या 500 के करीब होगी.
लॉकडाउन में पीजी हॉस्टल में फंसे विद्यार्थी चाहते हैं कि सरकार उन्हें यहां से निकालकर घर पहुंचा दे, लेकिन सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में कोरोना संक्रमण के खतरे की वजह से वे अपनी परेशानी भी खुलकर नहीं बता रहे हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन भी टाला जाना आवश्यक है, क्योंकि इस हालत में विद्यार्थी परीक्षाओं के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं.