लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आधा दर्जन विशेष कार्याधिकारी ओएसडी दूसरे कार्यकाल में यथावत रहेंगे या नहीं इसको लेकर शासन-सत्ता से लेकर बीजेपी मुख्यालय तक चर्चा जोरों से हो रही है. चर्चा यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने इस दूसरे कार्यकाल में आधा दर्जन ओएसडी को बरकरार रखेंगे या फिर हटा देंगे. बीजेपी की तरफ से भी कुछ कार्यकर्ताओं को ओएसडी जैसे पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की बात हो रही है.
सीएम का ओएसडी बनने को लेकर बीजेपी के कई प्रमुख कार्यकर्ता बड़े नेताओं के चक्कर काट रहे हैं वहीं, कई भाजपाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारकों से मिलकर जुगाड़ फिट करने में जुटे हुए हैं. बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिस प्रकार पिछली बार भाजपा सरकार बनने के बाद विद्यार्थी परिषद से जुड़े कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के यहां समायोजित कराया गया था. इनमें ओएसडी से लेकर मंत्रियों के यहां पीआरओ के रूप में तैनाती कराई गई थी. उसी प्रकार इस बार भी मंत्रियों के यहां पीआरओ बनाए जाने को लेकर तमाम कार्यकर्ताओं की एक लिस्ट भी पार्टी संगठन की तरफ से तैयार की गई है और कुछ कार्यकर्ताओं को मंत्रियों के यहां तैनाती भी करा दी गई है. वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ओएसडी के रूप में विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को तैनात किए जाने को लेकर भी प्रक्रिया चल रही है. सरकार से जुड़े लोग बताते हैं कि जो लोग पहले से मुख्यमंत्री के यहां ओएसडी के रूप में कार्यरत हैं उन्हें मुख्यमंत्री फिर से अपने साथ रखते हैं या नहीं इस पर सस्पेंस बना हुआ है.
उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के साथ काम करने वाले कुछ ओएसडी की कार्यशैली को लेकर भी शिकायतें सामने आई हैं. तमाम तरह के आरोप भी लगे हैं. ऐसे में अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने साथ किसे रखते हैं यह काफी महत्वपूर्ण बात होगी.
सूत्रों का कहना है कि विद्यार्थी परिषद से जुड़े कई कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारकों के यहां परिक्रमा करके मुख्यमंत्री का ओएसडी बनने के लिए प्रयास कर रहे हैं. कई ऐसे कार्यकर्ता भी हैं जो विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं और योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्रियों के यहां पीआरओ रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी मीडिया से जुड़े कार्यकर्ता भी ओएसडी बनने को लेकर प्रयास कर रहे हैं. कई नेताओं से सिफारिश भी करवाने में लगे हुए हैं. कई ऐसे कार्यकर्ता भी हैं जो चुनाव प्रबंधन के काम मे भी लगे हुए थे. देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसे ओएसडी बनाते हैं और पहले से जो लोग उनके साथ काम कर रहे हैं उनमें से किसे फिर से बरकरार रखते हैं.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी दृढ़ इच्छशक्ति के बल पर सुशासन की स्थापना में सफल रहे थे. शासन के योगी मॉडल को देश दुनिया में प्रतिष्ठा मिली. इस आधार पर चुनाव में उनको जनादेश भी मिला. योगी आदित्यनाथ ने इस बार पहले से अधिक प्रभावी सुशासन के संचालन का मंसूबा व्यक्त किया है. इसके अनुरूप नई मंत्रिपरिषद में बदलाव भी दिखाई दिया.
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों व अधिकारियों की जिम्मेदारी व जबाबदेही का निर्धारण किया है. इस आधार पर कहा जा सकता है कि वह इस गति के साथ चलने वालों को ही अपना ओएसडी बनाएंगे. संगठन व सरकार के बीच समन्वय भी दिख सकता है. योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को नंबर वन बनाने का संकल्प लिया है. इसके लिए उन्होंने प्रयासों को तेज कर दिया है. इस गति से सामंजस्य रखने वालों को ही यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. सरकार राष्ट्रधर्म को सर्वोच्च मानते हुए कार्य कर रही है. यह वैचारिक प्रतिबद्धता है. नियुक्ति में इसकी झलक भी हो सकती है.
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