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मुख्य विकास अधिकारी बोले, कोरोना काल में 29 हजार श्रमिकों की आई डिमांड - कोरोना संक्रमण असर

कोरोना संक्रमण के चलते अन्य प्रांतों से राजधानी लखनऊ में 5 हजार से अधिक श्रमिक वापस लौटे हैं. सभी श्रमिकों को रोजगार देने का जिम्मा एसडीएम को सौंपा गया है. सभी श्रमिकों की पहचान कर उनके हुनर के मुताबिक रोजगार देने का प्लान बन रहा है.

मुख्य विकास अधिकारी और नोडल अधिकारी मनीष बंसल.
मुख्य विकास अधिकारी और नोडल अधिकारी मनीष बंसल.
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Published : Jun 7, 2020, 4:53 PM IST

लखनऊः कोरोना संक्रमण के चलते श्रमिक वापस अपने गृह जनपद लौटे हैं. इस दौरान श्रमिकों ने अपने रोजगार गंवा दिए हैं. इसी सिलसिले में लखनऊ का जिला प्रशासन ऐसे सभी श्रमिकों की पहचान कर उनके हुनर के मुताबिक रोजगार देने का प्लान बना रहा है.

राजधानी लौटे 5 हजार श्रमिक
इस दौरान राजधानी लखनऊ में करीब 5 हजार से अधिक श्रमिक वापस लौटे हैं. लखनऊ का जिला प्रशासन ऐसे सभी श्रमिकों की पहचान कर चिह्नित भी कर चुका है. जल्द ही मनरेगा और दूसरी योजनाओं में श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.

मुख्य विकास अधिकारी ने दी जानकारी
लखनऊ के मुख्य विकास अधिकारी और नोडल अधिकारी मनीष बंसल के मुताबिक सभी श्रमिकों को रोजगार देने का जिम्मा एसडीएम को सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि सभी एसडीएम को अपनी-अपनी तहसीलों के तहत श्रमिकों की लिस्ट तैयार करने के आदेश दिए गए हैं.

ग्राम पंचायतों में गठित की गईं समितियां
नोडल अधिकारी मनीष बंसल ने बताया कि सभी ग्राम पंचायतों में इस काम के लिए समितियां भी गठित कर दी गई हैं, जो ऐसे लोगों को चिह्नित करने का काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि चिह्नित श्रमिकों को उनके मुताबिक रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. मनीष बंसल ने बताया करीब 72 हजार श्रमिकों के पास जॉब कार्ड हैं. वहीं कोरोना काल के समय 29 हजार से अधिक श्रमिकों की डिमांड भी आ गई है.

प्रशासन के लिए चुनौती
लॉकडाउन के बाद हजारों की संख्या में बाहर से श्रमिक अपने गांव लौटे हैं. इतनी बड़ी संख्या में सभी को रोजगार उपलब्ध कराना प्रशासन के लिए चुनौती है. मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि जो लोग भी बाहर से वापस लौटे हैं वह कोई न कोई काम अवश्य जानते होंगे. ऐसे लोगों के हुनर की पहचान की जाएगी और रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.

पंचायतों में शुरू हुए काम
नोडल अधिकारी ने बताया कि कई पंचायतों में निर्माण कार्य शुरू भी हो गए हैं. इससे गांवों में लोगों को काम आसानी से मिलेंगे. इसके अलावा मनरेगा के तहत इस बार सभी श्रमिकों को 202 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी भी दी जा रही है. इसके अलावा श्रमिकों को और दूसरे कामों में भी लगाया जाएगा.

लखनऊः कोरोना संक्रमण के चलते श्रमिक वापस अपने गृह जनपद लौटे हैं. इस दौरान श्रमिकों ने अपने रोजगार गंवा दिए हैं. इसी सिलसिले में लखनऊ का जिला प्रशासन ऐसे सभी श्रमिकों की पहचान कर उनके हुनर के मुताबिक रोजगार देने का प्लान बना रहा है.

राजधानी लौटे 5 हजार श्रमिक
इस दौरान राजधानी लखनऊ में करीब 5 हजार से अधिक श्रमिक वापस लौटे हैं. लखनऊ का जिला प्रशासन ऐसे सभी श्रमिकों की पहचान कर चिह्नित भी कर चुका है. जल्द ही मनरेगा और दूसरी योजनाओं में श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.

मुख्य विकास अधिकारी ने दी जानकारी
लखनऊ के मुख्य विकास अधिकारी और नोडल अधिकारी मनीष बंसल के मुताबिक सभी श्रमिकों को रोजगार देने का जिम्मा एसडीएम को सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि सभी एसडीएम को अपनी-अपनी तहसीलों के तहत श्रमिकों की लिस्ट तैयार करने के आदेश दिए गए हैं.

ग्राम पंचायतों में गठित की गईं समितियां
नोडल अधिकारी मनीष बंसल ने बताया कि सभी ग्राम पंचायतों में इस काम के लिए समितियां भी गठित कर दी गई हैं, जो ऐसे लोगों को चिह्नित करने का काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि चिह्नित श्रमिकों को उनके मुताबिक रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. मनीष बंसल ने बताया करीब 72 हजार श्रमिकों के पास जॉब कार्ड हैं. वहीं कोरोना काल के समय 29 हजार से अधिक श्रमिकों की डिमांड भी आ गई है.

प्रशासन के लिए चुनौती
लॉकडाउन के बाद हजारों की संख्या में बाहर से श्रमिक अपने गांव लौटे हैं. इतनी बड़ी संख्या में सभी को रोजगार उपलब्ध कराना प्रशासन के लिए चुनौती है. मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि जो लोग भी बाहर से वापस लौटे हैं वह कोई न कोई काम अवश्य जानते होंगे. ऐसे लोगों के हुनर की पहचान की जाएगी और रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.

पंचायतों में शुरू हुए काम
नोडल अधिकारी ने बताया कि कई पंचायतों में निर्माण कार्य शुरू भी हो गए हैं. इससे गांवों में लोगों को काम आसानी से मिलेंगे. इसके अलावा मनरेगा के तहत इस बार सभी श्रमिकों को 202 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी भी दी जा रही है. इसके अलावा श्रमिकों को और दूसरे कामों में भी लगाया जाएगा.

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