प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जनपद पहुंचे योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. प्रदेश में 541 जगहों पर ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लग रहा है. इनमें से 195 जगहों पर ऑक्सीजन प्लांट संचालित हो रहा है. अन्य जगहों पर भी बहुत जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो जाएगा.
दरअसल, योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने शुक्रवार को प्रयागराज जिले के फूलपुर सीएससी में बने नवनिर्मित ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट का उद्घाटन किया. इस मौके पर वहां मौजूद लोगों को सिद्धार्थ नाथ सिंह ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सीएचसी में ऑक्सीजन प्लांट लगने से कोरोना से लड़ाई में फायदा मिलेगा. कोरोना जैसी आपदा में आवश्यकता पड़ने वाली जीवनदायिनी ऑक्सीजन ग्रामीण क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगी. इससे ग्रामीण अंचल में चिकित्सा सुविधा और बेहतर होगी.
कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि जब करोना महामारी फैली तो योगी सरकार ने हर मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन करते हुए पहली लहर को हराया. दूसरी लहर का भी डटकर सामना किया. अब हम उससे बाहर आ चुके हैं. कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए भी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. मीडिया से बातचीत करते हुए कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के अंदर कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फूलपुर में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगा है. यहां सीएचसी में 50 बेड हैं. इन सभी बेडों पर ऑक्सीजन उपलब्ध रहेगा.
कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि इसी प्रकार पूरे उत्तर प्रदेश में 541 जगहों पर ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लग रहा है. इनमें से 195 जगहों पर ऑक्सीजन प्लांट संचालित हो रहा है. अन्य जगहों पर भी बहुत जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो जाएगा. जहां नहीं शुरू हुआ वहां सरकार ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचा दिए हैं. उन्होंने बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में एक लाख 80 हजार बेड कोरोना के लिए हैं. इसके अलावा बच्चों के लिए पीकू बेड तैयार किये जा रहे हैं. साढ़े छह हजार बेड पर वेंटिलेटर लग चुके हैं और पर लगाए जा रहे हैं. डॉक्टरों और नर्सों की ट्रेनिंग के लिए एक अभियान चला कर उनको प्रशिक्षित किया जा रहा है. जितने भी डॉक्टर हैं, उनको बच्चों से संबंधित बीमारियों के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है.