लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के 6 से अधिक बागी विधायक गुरुवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण से पहले विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मुलाकात करेंगे. बसपा के बागी विधायक पार्टी की विधायक दल की बुधवार को हुई बैठक में बुलाए न जाने के कारण नाराज हैं. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष से सदन की कार्यवाही के दौरान उन लोगों के बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग करेंगे. क्योंकि बसपा द्वारा अपने निलंबित विधायकों को जब बैठक में नहीं बुलाया गया, तो यह बागी विधायक सदन में बसपा के अन्य विधायकों के साथ नहीं बैठेंगे. ऐसे में नई जगह सुनिश्चित करने की मांग करेंगे.
विधायक ने कहा, विधानसभा अध्यक्ष से करेंगे सदन में व्यवस्था बनाने की मांग
बहुजन समाज पार्टी के श्रावस्ती से भिनगा के विधायक असलम राईनी ने बताया कि उन्हें विधायकों की बैठक में बुलाया नहीं गया. ऐसी स्थिति में विधानसभा सदन की कार्यवाही के दौरान वह लोग कहां बैठेंगे. इसको लेकर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मुलाकात करेंगे.
विधानसभा अध्यक्ष से करेंगे जगह सुनिश्चित करने की मांग
विधानसभा अध्यक्ष से वह लोग बजट सत्र के शुरुआत से पहले मुलाकात करेंगे. विधायक सदन में बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग करेंगे. बहुजन समाज पार्टी ने अपने 6 से अधिक बागी विधायकों को विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाया, जिसको लेकर पार्टी विधायकों में नाराजगी है.
ये हैं बसपा के बागी विधायक
बहुजन समाज पार्टी की विधायकों की बैठक में न पहुंचने वाले बागी विधायकों में श्रावस्ती की भिनगा सीट से विधायक असलम राईनी, हापुड़ से विधायक असलम अली, इलाहाबाद की प्रतापपुर सीट से विधायक मुज्तबा सिद्दीकी, प्रयागराज की हंडिया सीट से विधायक हाकिम लाल बिंद, सीतापुर सिधौली से विधायक हर गोविंद भार्गव, जौनपुर की मुंगरा सीट से विधायक सुषमा पटेल और आजमगढ़ से विधायक वंदना सिंह शामिल हैं. इसके साथ ही बसपा अपने दो और विधायकों को नोटिस जारी कर चुकी है. इनमें उन्नाव से विधायक अनिल सिंह, हाथरस से विधायक रामवीर उपाध्याय शामिल हैं. इन दोनों विधायकों की भारतीय जनता पार्टी के साथ नजदीकी और राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा का साथ देने को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती इनसे नाराज हैं.
वहीं सात अन्य बागी विधायकों को बहुजन समाज पार्टी ने राज्यसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव से मुलाकात करने को लेकर पार्टी से निष्कासित करने का काम किया था. लेकिन विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने को लेकर बसपा की तरफ से कोई याचिका विधानसभा में दाखिल नहीं की गई थी.