लखनऊ: यूपी में 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम आ चुके हैं. उपचुनाव में भी भाजपा सबसे बड़ा दल बनकर उभरा है. इस विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि किसी भी उपचुनाव में उनका केन्द्रीय नेतृत्व प्रचार में नहीं उतरता है. इन बड़े नेताओं के बावजूद सीएम योगी के नेतृत्व में भाजपा ने 8 सीटें जीतीं. इस जीत से योगी की नेतृत्व क्षमता एक बार फिर से देखने को मिली.
2018 लोकसभा उपचुनाव में हारे
मुख्यमंत्री योगी के ही नेतृत्व में 2018 में तीन लोकसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी. वर्ष 2018 में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की फूलपुर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार हुई थी. कैराना लोकसभा सीट पर भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. वर्ष 2019 में हुए उपचुनाव पर सब की नजर थी. इस उपचुनाव में योगी के नेतृत्व में भाजपा ने 11 विधानसभा सीटों में 8 सीट पर विजय प्राप्त की.
प्रदेश की जनता है बधाई की पात्र
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय राय का कहना है कि उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अच्छी संख्या में सीटें मिली हैं. इसके लिए प्रदेश की जनता बधाई की पात्र है. हमारा केंद्रीय नेतृत्व कभी भी उपचुनाव के प्रचार में नहीं उतरता. इसी पॉलिसी के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अन्य नेताओं ने मिलकर चुनाव लड़ा और भाजपा को आठ सीटों पर जीत मिली है. यदि मतदान प्रतिशत इतना कम नहीं गया होता तो निश्चित तौर पर हमारी पार्टी और भी सीटों पर विजयी होती.
बसपा को हुआ घाटा
राजनीतिक विश्लेषक पी. एन. द्विवेदी का कहना है कि योगी के नेतृत्व में उपचुनाव हारने का एक मिथक बन गया था. 2018 में दो लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा दोनों सीटें हार गई थी. इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह मिथक टूटा है. इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान तो बहुजन समाज पार्टी का हुआ है. बसपा जल्दी उपचुनाव नहीं लड़ती है. इस बार लड़ा और उसे हार का सामना करना पड़ा. एक भी सीट उसके खाते में नहीं गई.
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