लखनऊ : किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर न मिलने से आए दिन मरीजों की जान जा रही है. जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. मंगलवार को लखीमपुर से आए एक और मरीज को वेंटिलेटर नहीं मिला. मरीज के परिजन इमरजेंसी में पूरी रात अंबु बैग से उसे सांसें देते रहे. बुधवार दोपहर तक भी समुचित इलाज नहीं मिल सका. इसके बाद परिजन उसे लेकर लौट गए.
मरीज को सांस लेने में हो रही थी दिक्कत : लखीमपुर के रहने वाले विकास मौर्य ने बताया कि भतीजा विपिन कुमार (30) मंगलवार को हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था. जिला अस्पताल से उसे केजीएमयू रेफर कर दिया गया. मंगलवार शाम उसे लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे. इमरजेंसी में डॉक्टरों ने चेकअप कर कई जांचें लिख दीं. मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. डॉक्टरों ने मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत बताई. पता चला कि ट्रॉमा सेंटर में संचालित सभी वेंटिलेटर फुल हैं. मरीज की सांसें उखड़ती देख उसे अंबु बैग लगाया गया. सारी रात परिजन अंबु बैग से सांसें देते रहे. अगले दिन बुधवार दोपहर तक भी वेंटिलेटर नहीं मिल सका. डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए. हताश परिजन दोपहर करीब 12:30 बजे मरीज को ट्रॉमा से निकालकर लेकर चले गए. मरीज की हालत बेहद नाजुक थी.
दो महिला मरीजों की मौत के बाद शासन ने तलब की थी रिपोर्ट : ट्रॉमा सेंटर में बीते 28 और 29 दिसंबर को दो महिला मरीजों की मौत हो गई थी. परिजनों ने आरोप लगाया था कि वेंटिलेटर खाली होने के बावजूद उपलब्ध नहीं कराए गए. जबकि तीमारदार दो दिनों तक वेंटिलेटर के लिए गिड़गिड़ाते रहे. मामले की जांच हुई तो पता चला कि ट्रॉमा सेंटर में 34 वेंटिलेटर है, लेकिन संचालन सिर्फ 18 का ही किया जा रहा है. इस मामले में शासन ने डॉक्टर पैरामेडिकल स्टॉफ का ब्यौरा तलब किया है. केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि वेंटिलेटर खाली होता तो मरीज को जरूर मुहैया कराया जाता. परिजन अपनी मर्जी से मरीज को लेकर गए होंगे. मामले की जानकारी की जाएगी.
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