लखनऊ : सपा सरकार के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के विरुद्ध दुराचार का मुकदमा लिखाने के बाद आरोपी के पक्ष में बयान देने के एवज करोड़ों की जमीन व रुपये लेने के साथ-साथ वकील के द्वारा उसके इस कृत्य में सहयोग न करने पर झूठा मुक़दमा दर्ज कराने की धमकी देने तथा गाड़ी का बकाया रकम न देने की आरोपी चित्रकूट की महिला की पुत्री की जमानत अर्जी को अपर सत्र न्यायाधीश प्रफुल्ल कमल ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अभियुक्ता के अपराध को प्रथम दृष्टया गम्भीर करार दिया है.
इस मामले की एफआईआर 10 सितंबर, 2020 को वकील दिनेश चंद्र त्रिपाठी ने थाना गाजीपुर में दर्ज कराई थी. विगत 11 दिसम्बर से अभियुक्ता न्यायिक हिरासत में निरुद्ध है. जमानत अर्जी के विरोध में सरकारी वकील अरुण पांडेय ने बताया कि 'घटना की रिपोर्ट वादी दिनेश चन्द्र त्रिपाठी ने दस सितम्बर 2020 को ग़ाज़ीपुर थाने में दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में आरोप लगाते हुए कहा गया कि वादी दिनेश चंद्र त्रिपाठी चित्रकूट की रहने वाली महिला का वकील था और महिला ने पूर्व में गायत्री प्रसाद प्रजापति सहित छह लोगों के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट गौतम पल्ली थाने में दर्ज कराई थी, जिसमें वादी ने पीड़िता की ओर से पैरवी कर गायत्री की जमानत ख़ारिज कराई थी. आरोप है कि इसी मुकदमे में गायत्री प्रजापति के पक्ष में दुराचार पीड़िता का बयान कराने और पक्ष में शपथ पत्र देने के लिए आरोपी और उसकी मां ने जब वादी को कहा तो वादी ने इनकार कर दिया, जिस पर आरोपियों ने झूठा मुक़दमा दर्ज कराने की धमकी दी और वादी की फ़ीस भी देने से इनकार कर दिया. यह भी आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने वादी की गाड़ी ले लिया और उसका पैसा नहीं दिया गया.'