लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में उजागर हुए पीएफ घोटाले के बाद गिरफ्तार पूर्व एमडी एपी मिश्रा को आज कोर्ट में पेश किया गया. दोपहर दो बजे मामले की सुनवाई हुई, जिसमें न्यायिक मजिस्टे्रट (सीबी-सीआईडी) क्षितिज पांडेय ने यूपी पावर कॉर्पोरेशन के पूर्व एमडी एपी मिश्रा, जीएम फाइनेंस पीके गुप्ता और पूर्व निदेशक सुधांशु द्विवेदी को तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड में देने का आदेश दिया. एपी मिश्रा की कस्टडी रिमांड गुरुवार को प्रातः 10 बजे से प्रारम्भ होगी, जबकि पीके गुप्ता और सुधांशु द्विवेदी की पुलिस रिमांड बुधवार की शाम 4 बजे से ही प्रारम्भ हो गई.
कड़ी सुरक्षा में अदालत में हुए पेश
इसके पूर्व तीनों को कड़ी सुरक्षा में अदालत में पेश किया गया. एपी मिश्रा की ओर से उनके वकील प्रांशु अग्रवाल ने कोर्ट में एक अर्जी देकर मांग की कि मिश्रा को जेल में उच्च बैरक आदि की सुविधा दी जाए, क्योंकि उन्हें दिल की गंभीर बीमारी है. मांग में यह भी कहा गया कि रिटायरमेंट के बाद एपी मिश्रा ने वकालत का रजिस्ट्रेशन करा लिया है और वह अवध बार एसोसिएशन के सदस्य हैं. लिहाजा वकील होने के चलते उन्हें जेल में उच्च बैरक प्रदान की जाए.
प्रार्थना पत्र का निस्तारण करते हुए कोर्ट ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि जेल मैनुअल के अनुसार एपी मिश्रा को जेल में बैरक आदि दिया जाए. आर्थिक अपराध शाखा के विवेचक ने तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने तीनों की 16 नवंबर तक न्यायिक रिमांड मंजूर कर ली है, जिसके बाद विवेचक की ओर से तीनों की पुलिस कस्टडी की मांग वाली अर्जी दाखिल की गई और कहा गया कि तीनों का आमना-सामना कराने के लिए उनकी पुलिस कस्टडी लेना जरूरी है.
इसका विरोध करते हुए एपी मिश्रा के वकील प्रांशु ने तर्क दिया कि 2 नवंबर 2019 को प्राथमिकी दर्ज की गई है जिसमें एपी मिश्रा का नाम नहीं है और न ही उनके खिलाफ कोई अन्य साक्ष्य है. लिहाजा एपी मिश्रा को पुलिस कस्टडी में न दिया जाए. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मिश्रा को मात्र राजनीतिक वजहों से फंसाया जा रहा है. हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए एपी मिश्रा की तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर कर ली है.