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प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को पत्तों पर परोसा जा रहा है मिड-डे मील

कौशाम्बी: प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को मिड डे मील का भोजन पत्तों पर परोसा जाता है, मास्टर साहब का कहना है कि जो बच्चे अपने घर से प्लेट लेकर नहीं आते उनको पत्तों पर खाना दिया जाता है. सच सामने आने के बाद सभी अपने बचाव में सफाई देते फिर रहे हैं.

प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को पत्तों पर परोसे जाते है मिड-डे मील
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Published : Aug 4, 2019, 9:33 AM IST

कौशाम्बी: सरकार के लाख कोशिशों के बाद भी परिषदीय स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी के प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को मिड डे मील में थाली की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण दर्जनों बच्चों के बीच दो बच्चे पत्तों पर खाने को मजबूर हैं. सच सामने आने के बाद विद्यालय के हेड मास्टर से लेकर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने बचाव में सफाई देते फिर रहे हैं.

प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को पत्तों पर परोसे जाते है मिड-डे मील

क्या है पूरा मामला:

  • सिराथू विकासखंड के जगन्नाथपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की है.
  • मिड-डे मील का भोजन करने के लिए कतार में बैठे सभी बच्चे एक जैसे दिखाई दे रहे थे.
  • बैठे बच्चो में एक छात्रा व एक छात्र बिल्कुल अलग नजर आ रहे थे.
  • इनके खाने की प्लेट की जगह पत्ता नजर आ रहा था,दोनों बच्चे पत्ते में ही तहरी खा रहे थे.
  • जब बच्चों से प्लेट के बात पूछा तो उन्होंने बताया कि स्कूल में उन्हें प्लेट नहीं दी गई.
  • वहीं विद्यालय के हेड मास्टर का कहना है कि शासन की तरफ से जितनी प्लेट की व्यवस्था की गई है.उतने ही वितरित करते हैं.
  • बाकी बच्चे अपने घर से थालिया लेकर आते हैं. जो बच्चे पत्तों पर खाना खाया है, प्लेट लेकर नहीं आए थे.

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का 60 फीसदी प्लेट व थाली उपलब्ध कराई जाती है. फिलहाल बीएसए साहब पूरे मामले की जांच करने के बाद दोषी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की बात जरूर करते हैं. यहां यह बता देना जरूरी है कि बीएसए साहब दावा करते हैं कि 60 फ़ीसदी छात्र-छात्राओं को थाली व प्लेट उपलब्ध कराने की व्यवस्था है, जबकि शासन ने शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सख्ती बरतते हुए 75 फ़ीसदी उपस्थिति अनिवार्य कर रखा है. ऐसे में यह साफ है कि बेसिक शिक्षा विभाग दोहरी नीति अपना रहा है.
अरविंद कुमार,बेसिक शिक्षा अधिकारी

कौशाम्बी: सरकार के लाख कोशिशों के बाद भी परिषदीय स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी के प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को मिड डे मील में थाली की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण दर्जनों बच्चों के बीच दो बच्चे पत्तों पर खाने को मजबूर हैं. सच सामने आने के बाद विद्यालय के हेड मास्टर से लेकर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने बचाव में सफाई देते फिर रहे हैं.

प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को पत्तों पर परोसे जाते है मिड-डे मील

क्या है पूरा मामला:

  • सिराथू विकासखंड के जगन्नाथपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की है.
  • मिड-डे मील का भोजन करने के लिए कतार में बैठे सभी बच्चे एक जैसे दिखाई दे रहे थे.
  • बैठे बच्चो में एक छात्रा व एक छात्र बिल्कुल अलग नजर आ रहे थे.
  • इनके खाने की प्लेट की जगह पत्ता नजर आ रहा था,दोनों बच्चे पत्ते में ही तहरी खा रहे थे.
  • जब बच्चों से प्लेट के बात पूछा तो उन्होंने बताया कि स्कूल में उन्हें प्लेट नहीं दी गई.
  • वहीं विद्यालय के हेड मास्टर का कहना है कि शासन की तरफ से जितनी प्लेट की व्यवस्था की गई है.उतने ही वितरित करते हैं.
  • बाकी बच्चे अपने घर से थालिया लेकर आते हैं. जो बच्चे पत्तों पर खाना खाया है, प्लेट लेकर नहीं आए थे.

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का 60 फीसदी प्लेट व थाली उपलब्ध कराई जाती है. फिलहाल बीएसए साहब पूरे मामले की जांच करने के बाद दोषी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की बात जरूर करते हैं. यहां यह बता देना जरूरी है कि बीएसए साहब दावा करते हैं कि 60 फ़ीसदी छात्र-छात्राओं को थाली व प्लेट उपलब्ध कराने की व्यवस्था है, जबकि शासन ने शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सख्ती बरतते हुए 75 फ़ीसदी उपस्थिति अनिवार्य कर रखा है. ऐसे में यह साफ है कि बेसिक शिक्षा विभाग दोहरी नीति अपना रहा है.
अरविंद कुमार,बेसिक शिक्षा अधिकारी

Intro:ANCHOR - प्रदेश सरकार के लाख कोशिशों के बावजूद परिषदीय स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था से लेकर अन्य व्यवस्थाएं सुधारने का नाम नहीं ले रही है। मामला यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी के प्राथमिक विद्यालय में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करती है। यहां पढ़ने वाले सभी बच्चों को मिड डे मील में थाली की व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते दर्जनों बच्चों के बीच दो बच्चे पत्ते में खाना खाने को मजबूर हैं। तस्वीर सामने आने के बाद विद्यालय के हेड मास्टर से लेकर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने बचाव में सफाई देते फिर रहे हैं।

Body:V.O.1 - यह तस्वीर सिराथू विकासखंड के जगन्नाथपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की है। दोपहर के समय विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चे मिड-डे मील का भोजन करने के लिए कतार में बैठे हुए हैं। सभी बच्चे एक जैसे दिखाई दे रहे हैं लेकिन इनमें से एक छात्रा व एक छात्र बिल्कुल अलग नजर आ रहे हैं। इनके सामने खाने की प्लेट की जगह पत्ता नजर आ रहा है। दोनों बच्चे पत्ते में ही तहरी खा रहे हैं। स्कूल की रसोईया शिक्षकों के सामने बच्चों को पत्ते में खाना परोस कर आगे बढ़ जाती है लेकिन मास्टर साहब इस तस्वीर को नजरअंदाज करते हैं। जब इस मामले में बच्चों से प्लेट के बाबत पूछा गया उन्होंने बताया कि स्कूल में उन्हें प्लेट नहीं दी गई। वही विद्यालय के हेड मास्टर का कहना है कि शासन की तरफ से जितनी प्लेट की व्यवस्था की गई है उतने बच्चों को वह वितरित कर दिए हैं। बाकी बच्चे अपने घर से थालिया प्लेट लेकर आते हैं। जिन बच्चों ने पत्ते में खाना खाया है वह घर से प्लेट लेकर नहीं आए थे।

बाइट - राघवेंद्र सिंह ( प्रधानाचार्य )
बाइट - अभिषेक कुमार ( छात्र )Conclusion:वहीं इस पूरे मामले में जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी बड़े ही दार्शनिक अंदाज में कहते हैं कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का 60 फीस फीस दी प्लेट व थाली उपलब्ध कराई जाती है। फिलहाल बीएसए साहब पूरे मामले की जांच करने के बाद दोषी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की बात जरूर करते हैं। यहां यह बता देना जरूरी है कि बीएसए साहब दावा करते हैं कि 60 फ़ीसदी छात्र-छात्राओं को थाली व प्लेट उपलब्ध कराने की व्यवस्था है, जबकि शासन ने शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सख्ती बरतते हुए 75 फ़ीसदी उपस्थिति अनिवार्य कर रखा है। ऐसे में यह साफ है कि बेसिक शिक्षा विभाग दोहरी नीति अपना रहा है।


बाइट - अरविंद कुमार ( बेसिक शिक्षा अधिकारी )
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