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VIDEO: ईराक-स्लोवाकिया और भारत के कलाकारों ने डांस में दिखाया जलवा, देखिए वीडियो - VARANASI DANCE FESTIVAL

INTERNATIONAL DANCE FESTIVAL : वाराणसी अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन परंपरागत नृत्य ने खींचा लोगों का ध्यान.

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 30, 2024, 8:42 AM IST

वाराणसी : दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को स्लोवाकिया-ईराक और भारत के कलाकारों ने समां बांध दिया. पहले दिन कोलंबिया, श्रीलंका और भारत के कलाकारों की प्रस्तुति ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया था. शुक्रवार को ईराक के कलाकारों का परंपरागत और सांस्कृतिक नृत्य देखकर हर कोई तालियां बजाने के लिए मजबूर हो गया. वहीं स्लोवाकिया के कलाकारों के परंपरागत नृत्य ने सभी का ध्यान खींचा.

इंटरनेशनल डांस फेस्टिवल में ईराकी, स्लोवाकिया और भारत के कलाकारों ने दिखाया दम (Video Credit; ETV Bharat)

शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन ईराक और स्लोवाकिया के लोकनृत्यों का हर किसी ने आनंद लिया. इन दोनों ही देशों के नृत्य के दौरान गाए जाने वाले गीतों के बोल भले लोगों को समझ नहीं आ रहे थे, लेकिन डांस स्टेप्स ने लोगों को कलाकारों की भावनाओं को समझा दिया. ईराक के सुलेमानिया नेशनल आर्ट ग्रुप के कलाकारों ने तीन नृत्य प्रस्तुतियां दीं. इनमें परचाकार लाडा, कुराच और शीरीन तीसी दृसी लोकनृत्य शामिल रहे.

तीनों ही प्रस्तुतियां एक घेरे में की गईं. एक साथ कदम बढ़ाते, छलांग लगाते दौड़ते, उछलते-कूदते कलाकार नृत्य के दौरान वृत्ताकार और सर्पीली आकृतियां बनाते रहे. इस दल में जैफर जौहर, स्थानद पार्क, मोहम्मद जलाल, सोमाद पारसल, लाओग हास, सुनोर उमर, सोलीन दपात, रैबन यूसेफ, होगीनूरी, ओसा महमूद शामिल रहें.

वहीं, स्लोवाकिया के कलाकारों ने ओडज़ेमोक, चोरोवोद, कोलेसो नाम के लोकनृत्यों को पेश किया. नृत्य के अलावा उन्होंने विचोदाना और बैले लुनिकिका लोकगीत की प्रस्तुतियां भी दीं. इन लोकनृत्यों में स्लोवाकिया की लोक परंपराओं की झलक देखने को मिली. शुरुआत चोरोवोद नृत्य से हुई. इसमें लड़कियों के ग्रुप में डांस दिखा.

कोलेसो में डांसर्स ने घेरे में नृत्य किया. प्रस्तुतियों का समापन ओडजेमोक नृत्य से किया गया. यह स्लोवाकिया का राष्ट्रीय लोकनृत्य है. यह कप डांस प्राचीनतम शैली है. नृत्य दल में पीटर स्टफैनक, डेनी वोल्फ, ब्रेनिस्लाव, मार्केल सोबाटा, ओंद्रेज नोवाक, मार्क नोवाक, स्टीफन आर्टी, मेटेस पोलाक, पीटर सेनफैक्स, लुसिका, बेरनेनडाटा, मारिया सिडलुस्कवा, बारबोरा साहक्रोवा, कैटरीना वाल्वॉक, जुजाना वाल्बोवा शामिल रहीं.

वहीं, काशी के शिवोहम नृत्य समूह के कलाकारों ने कथक और भरतनाट्यम की मिश्रित प्रस्तुति से भारतीय संस्कृति पेश की. कलाकारों के दो ग्रुप्स ने एक ही शब्द रचना पर कथक और भरतनाट्यम शैली में संस्कृति और परंपरा के दर्शन करवाए. शिवतांडव स्तोत्र और तराना के बाद महाकुंभ की कथा पर केंद्रित नृत्य नाटिका का मंचन किया गया.

नृत्य दल में नायिका की भूमिका शिवानी मिश्रा ने निभाई. नृत्य संध्या की शुरुआत सनबीम वीमेन कॉलेज की छात्राओं ने कथक शैली में श्रीकृष्ण की कथा का सुंदर प्रदर्शन नृत्य भंगिमाओं के माध्यम से किया.

यह भी पढ़ें: बनारस नृत्य महोत्सव; पहले दिन श्रीलंका-कोलंबिया के कलाकारों जमाया रंग, आज ईराक के कलाकार मचाएंगे धमाल

यह भी पढ़ें: काशी में 40 लोग कर रहे अपनी मौत का इंतजार, अलग-अलग राज्यों से घर-परिवार को छोड़कर पहुंचे, जानिए क्यों?

वाराणसी : दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन शुक्रवार को स्लोवाकिया-ईराक और भारत के कलाकारों ने समां बांध दिया. पहले दिन कोलंबिया, श्रीलंका और भारत के कलाकारों की प्रस्तुति ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया था. शुक्रवार को ईराक के कलाकारों का परंपरागत और सांस्कृतिक नृत्य देखकर हर कोई तालियां बजाने के लिए मजबूर हो गया. वहीं स्लोवाकिया के कलाकारों के परंपरागत नृत्य ने सभी का ध्यान खींचा.

इंटरनेशनल डांस फेस्टिवल में ईराकी, स्लोवाकिया और भारत के कलाकारों ने दिखाया दम (Video Credit; ETV Bharat)

शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन ईराक और स्लोवाकिया के लोकनृत्यों का हर किसी ने आनंद लिया. इन दोनों ही देशों के नृत्य के दौरान गाए जाने वाले गीतों के बोल भले लोगों को समझ नहीं आ रहे थे, लेकिन डांस स्टेप्स ने लोगों को कलाकारों की भावनाओं को समझा दिया. ईराक के सुलेमानिया नेशनल आर्ट ग्रुप के कलाकारों ने तीन नृत्य प्रस्तुतियां दीं. इनमें परचाकार लाडा, कुराच और शीरीन तीसी दृसी लोकनृत्य शामिल रहे.

तीनों ही प्रस्तुतियां एक घेरे में की गईं. एक साथ कदम बढ़ाते, छलांग लगाते दौड़ते, उछलते-कूदते कलाकार नृत्य के दौरान वृत्ताकार और सर्पीली आकृतियां बनाते रहे. इस दल में जैफर जौहर, स्थानद पार्क, मोहम्मद जलाल, सोमाद पारसल, लाओग हास, सुनोर उमर, सोलीन दपात, रैबन यूसेफ, होगीनूरी, ओसा महमूद शामिल रहें.

वहीं, स्लोवाकिया के कलाकारों ने ओडज़ेमोक, चोरोवोद, कोलेसो नाम के लोकनृत्यों को पेश किया. नृत्य के अलावा उन्होंने विचोदाना और बैले लुनिकिका लोकगीत की प्रस्तुतियां भी दीं. इन लोकनृत्यों में स्लोवाकिया की लोक परंपराओं की झलक देखने को मिली. शुरुआत चोरोवोद नृत्य से हुई. इसमें लड़कियों के ग्रुप में डांस दिखा.

कोलेसो में डांसर्स ने घेरे में नृत्य किया. प्रस्तुतियों का समापन ओडजेमोक नृत्य से किया गया. यह स्लोवाकिया का राष्ट्रीय लोकनृत्य है. यह कप डांस प्राचीनतम शैली है. नृत्य दल में पीटर स्टफैनक, डेनी वोल्फ, ब्रेनिस्लाव, मार्केल सोबाटा, ओंद्रेज नोवाक, मार्क नोवाक, स्टीफन आर्टी, मेटेस पोलाक, पीटर सेनफैक्स, लुसिका, बेरनेनडाटा, मारिया सिडलुस्कवा, बारबोरा साहक्रोवा, कैटरीना वाल्वॉक, जुजाना वाल्बोवा शामिल रहीं.

वहीं, काशी के शिवोहम नृत्य समूह के कलाकारों ने कथक और भरतनाट्यम की मिश्रित प्रस्तुति से भारतीय संस्कृति पेश की. कलाकारों के दो ग्रुप्स ने एक ही शब्द रचना पर कथक और भरतनाट्यम शैली में संस्कृति और परंपरा के दर्शन करवाए. शिवतांडव स्तोत्र और तराना के बाद महाकुंभ की कथा पर केंद्रित नृत्य नाटिका का मंचन किया गया.

नृत्य दल में नायिका की भूमिका शिवानी मिश्रा ने निभाई. नृत्य संध्या की शुरुआत सनबीम वीमेन कॉलेज की छात्राओं ने कथक शैली में श्रीकृष्ण की कथा का सुंदर प्रदर्शन नृत्य भंगिमाओं के माध्यम से किया.

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