बरेली/बदायूंः (नीरज आनंद और समीर सक्सेना): फरीदपुर थाना क्षेत्र में रामगंगा नदी पर पुल से हुआ हादसा सुर्खियों में बना हुआ है. इस हादसे के चर्चित होने की वजह है कि गूगल मैप (GPS), जिसकी मदद से कार सवार आ रहे थे और पुल से गिरकर मौत हो गई. हादसे के बाद लोक निर्माण विभाग (PWD) और प्रशासन सक्रिय हो गया है. एक दिन पहले सोमवार को बदायूं डीएम ने चार पीडब्ल्यूडी इंजीनियर समेत पांच लोगों पर केस दर्ज कराया था. वहीं, अब पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से पुल पर जाने के लिए मिट्टी डाल कर और दीवार बनकर अवरोध बना दिए गए हैं. तीन जिंदगियां छीनने वाले इस पुल की हकीकत क्या है. क्या हादसे के लिए गूगल मैप जिम्मेदार है या शासन-प्रशासन? पढ़ें पूरी रिपोर्ट
पुल पूरा, एप्रोच रोड बहाः बरेली हादसे में अब तक जो फुटेज और वीडियो सामने आए हैं, उससे तो लगता है कि यह पुल अधूरा है और इसी वजह से हादसा हुआ. जबकि हकीकत में यह पुल अधूरा नहीं हैं बल्कि पूरा है. दरअसल, रामगंगा नदी पर बदायूं के दातागंज तहसील के और बरेली की फरीदपुर तहसील को जोड़ने के लिए 2020 में पुल को स्वीकृति मिली थी. यह पुल 2023 में बनकर तैयार हुआ था. दातागंज तहसील के ग्राम मुड़ा पुख्ता के पास 2022 में बनना शुरू हुआ और 2023 में तैयार हुआ था. जोकि लगभग 46.10 करोड़ की लागत से बना था. पुल की लंबाई 700 मीटर थी. जबकि 24 पिलर पर एप्रोच रोड बनाया गया था. इसमें तीन पिलर बदायूं की सीमा में थे और 21 पिलर बरेली के फरीदपुर क्षेत्र में थे. यह रास्ता खुलने से बदायूं के दातागंज और फरीदपुर की दूरी काफी कम हो गई थी.
2023 में बंद कर दिया गया था पुलः इस पुल की मांग समाजवादी गवर्नमेंट में उठी थी और अखिलेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पास कर दिया था. अखिलेश सरकार चली गयी फिर भाजपा सत्ता में आई लेकिन इस पुल की ज़रूरत को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर तेज़ी से काम किया. वहीं, 2023 की बरसात के समय इस पुल का एप्रोच रोड बह गया था. इसके बाद इस मार्ग को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया था.
बदायूं पीडब्ल्यूडी की थी जिम्मेदारीः बता दें कि पुल तक जाने के लिए जो एप्रोच मार्ग था, उसके रखरखाव का ज़िम्मा पीडब्ल्यूडी के पास था. इस एप्रोच रोड की ज़िम्मेदारी बदायूं लोक निर्माण विभाग की थी और विभाग ने इस क्षेत्र के मार्गों की देखरेख के लिए दो सहायक अभियंता मुहम्मद आरिफ, अभिषेक कुमार और दो अवर अभियंता अजय गंगवार और महाराज सिंह तैनात थे. इन चारों अधिकारियों की ज़िम्मेदारी थी कि अगर एप्रोच मार्ग बंद है तो उस पर दीवार या रुकावट लगाकर रोका जाए और गूगल को भी यह रास्ता बंद करने के लिए कहा जाय. लेकिन अधिकारी और कर्मचारियों ने अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई. इसलिए बदायूं डीएम निधि श्रीवास्तव ने चारों अभियंताओं के खिलाफ केस दर्ज कराया है.
रामगंगा नदी पर अधूरा पुल बना हादसे का कारणः दरअसल, बरेली के फरीदपुर थाना क्षेत्र में बरेली बदायूं सीमा पर रामगंगा नदी पर बने पुल से रविवार सुबह कार रामगंगा नदी में गिर गई थी. जिसमें कार सवार तीन युवकों की मौके पर ही मौत हो गई थी. फर्रुखाबाद के रहने वाले अजीत उर्फ विवेक और नितिन दोनों चचेरे तारे भाई अपने मैनपुरी के रहने वाले दोस्त अमित के साथ गुरुग्राम से एक कार में सवार होकर भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए बरेली के फरीदपुर आ रहे थे. परिजनों ने घटना वाले दिन आरोप लगाया कि कार सवार युवक गूगल मैप से रास्ते को साफ देखे हुए जा रहे थे. लेकिन गूगल मैप, जिस रास्ते को साफ दिख रहा था वह रास्ता अधूरे पुल पर जाकर खत्म हो रहा था. इसी के चलते उनकी कार रामगंगा नदी में गिर गई और तीन युवकों की मौत हो गई.
पुल पर दिखे टायर के निशानः ईटीवी भारत की टीम ने अधूरे पुल से ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर घटनास्थल का जायजा लिया. जहां दिखा कि पुल पर कार के टायरों के निशान थे. जिससे प्रतीत हो रहा था कि पुल को खत्म होता देख कार चालक ने कार को रोकने का काफी प्रयास किया होगा. लेकिन कार की स्पीड कुछ ज्यादा रही होगी जिसके चलते कार लगभग 50 फीट नीचे रामगंगा नदी में गिर गई.
लापरवाह अधिकारियों पर होगी सख्त कार्रवाईः पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता अजय कुमार ने बताया कि रामगंगा नदी पर बने पुल की एप्रोच रोड 2023 में बह गई थी और रास्ता बंद था. पुल पर न जाने के लिए दीवार बनाई गई थी, लेकिन ग्राम वासियों द्वारा तोड़ दिया गया था. इसमें विभाग के अधिकारियों के द्वारा लापरवाही की गई है, जि इसके चलते दुर्घटना हुई है. रिपोर्ट मिलने पर लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में उच्च स्तर से भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
मॉडल स्टडी नहीं होने से रुका पुल का निर्माणः मुख्य अभियंता अजय कुमार ने बताया कि निर्माणाधीन पुल की एप्रोच रोड बह जाने के बाद एक समिति बनाई गई थी. जिसमें मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग और सेतु निगम के अधिकारियों के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी के अधिकारी थे. इन लोगों द्वारा निरीक्षण किया गया था और पाया था कि यहां पर कोई भी कार्य या तो पुल की लंबाई बढ़कर किया जाए या रिवर ट्रेडिंग की जाए. इसके लिए एक मॉडल स्टडी की जाए और मॉडल स्टडी का काम आईआईटी रुड़की से कराया जाए. इसके बाद कमेटी के निर्णय के आधार पर धन की आवश्यकता थी और उसके लिए जून में धन की मांग कर ली गई थी. लेकिन अभी तक मॉडल स्टडी का काम पूरा नहीं हो पाया था, जिसके कारण इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया था.
फील्ड के अधिकारियों की लापरवाहीः मुख्य अभियंता अजय कुमार कहा कि आगे हादसा न हो, इसके लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि दोनों तरफ दीवार बनाई जाए और मिट्टी डालकर दो तरह के बाधक बने जाएं और बोर्ड लगाए जाएं. फील्ड के अधिकारी को ध्यान देना चाहिए था, यह उनकी जिम्मेदारी है. यह हादसा कहीं ना कहीं प्रथम दृष्टया अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से होना प्रतीत होता है. इस मामले में लापरवाह अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रमुख अभियंता को प्रेषित कर दिया गया है.
इसे भी पढ़ें-बरेली में गूगल मैप के रास्ता भटकाने का मामला; 4 PWD इंजीनियर समेत 5 पर केस, गूगल मैप अधिकारी का भी नाम
इसे भी पढ़ें-गूगल मैप ने दिखाया गलत रास्ता, निर्माणाधीन पुल से नीचे गिरी कार, 3 की मौत