कासगंज: 26 जनवरी, 2018 की वो सुबह किसको पता था कि दोस्तों के साथ हाथ में तिरंगा लेकर निकला चंदन गुप्ता कभी अपने घर वापस नहीं लौटेगा और परिवार को पहाड़ जैसा दुख उठाना पड़ेगा. वहीं, आज चंदन गुप्ता के चले जाने के तीन साल आठ महीने बाद भी चंदन की याद आते ही घर का कोना-कोना चीत्कार करता है और मां की आखों से आंसुओं का दरिया बहने लगता है. इधर, चंदन के परिवार को सिर्फ एक मलाल है कि सरकार और प्रशासन ने उनसे किए सभी वादे आज तक पूरे नहीं किए. वहीं, आज ईटीवी भारत पर चंदन गुप्ता की मां और बहन ने कुछ यूं अपना दर्द बयां किया.
चंदन गुप्ता की मां संगीता गुप्ता ने बताया कि चंदन गुप्ता की मौत के बाद सरकार और प्रशासन ने उनसे कई वादे किए थे, लेकिन चंदन की मौत के तीन साल 8 महीने बीत जाने के बाद भी सरकार और प्रशासन ने किए सभी वादों को पूरा नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्य को नौकरी देने की बात प्रशासन के माध्यम से सरकार ने कही थी, लेकिन मेरी बेटी को 6 महीने की संविदा पर नौकरी देकर मेरे साथ मजाक किया गया. मेरी बेटी को छः महीने का मानदेय लेने के लिए भी काफी चक्कर काटने पड़े. हमें तो लगा था कि सरकार अपनी तरफ से स्वयं हमारी मदद करेगी.
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वहीं, प्रशासन ने चंदन चौक बनाने की बात कही थी, उसको बनवाने के लिए भी मुझे नेताओं और प्रशासन के चक्कर लगाने पड़े. इसके बावजूद चंदन चौक नहीं बना. घटना के बाद सरकार की ओर से चंदन गुप्ता के परिवार को दी गई 20 लाख की मदद के बारे में चंदन की मां ने कहा कि वह 20 लाख की मदद मुंह पर चांटे जैसी थी, क्योंकि दंगे में मुस्लिम परिवार की जूते की दुकान जल गई तो उसको 20 लाख दिए गए. उस समय हमारे बच्चे 20 लाख का चैक सांसद राजवीर सिंह से ले नहीं रहे थे, लेकिन सांसद जी हमारे घर आकर दे गए थे.
चंदन की बहन कीर्ति ने कहा कि उसे एक साल की संविदा पर खण्ड विकास कार्यालय में लोक कल्याण मित्र की नौकरी दी गई. लेकिन उस नौकरी की अवधि भी 6 महीने में ही खत्म हो गई. फिर 6 महीने नौकरी करने के बाद उसके मानदेय लगभग एक लाख रुपये के लिए कई चक्कर काटने पड़े.
वहीं, चंदन की मां संगीता गुप्ता और बहन कीर्ति गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री जी से दो सालों से कई बार मिलने के लिए समय मांगते रहे हैं, लेकिन उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है. दो बार जनता दरवार में भी जाना हुआ है. अब आखिरी बार योगी जी से निवेदन कर उनसे मिलने के लिए समय मांगेंगे नहीं तो उनके आवास पर जाकर धरना प्रदर्शन करेंगे.