कानपुर: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां लगभग अंतिम दौर में चल रही हैं. पंचायत चुनाव का कार्यकाल खत्म हो चुका है और मतदाता और प्रत्याशी दोनों की निगाहें आरक्षण और चुनाव की तारीखों पर टकटकी लगाए देख रही हैं. इन सबके बीच ईटीवी भारत ने कानपुर के ग्राम पंचायत पिपौरी में पहुंच कर एक ओर जहां ग्रास रूट लेवल पर विकास कार्यों का जायजा लिया, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों से बातचीत कर उनके मन को टटोलने की कोशिश की कि क्या वाकई ग्राम पंचायतों तक विकास पहुंचा है या सिर्फ चुनावी बेला में नेताओं के वादे सिर्फ हवा हवाई दावे ही साबित हो रहे हैं, जहां ग्रामीणों ने ना सिर्फ जिला पंचायत के पिछले कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की सच्चाई बयां की, बल्कि बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी आधारभूत सुविधाओं के विकास पर बेबाकी से अपनी राय रखी.
स्थानीय फकीरे ने बताया कि स्वच्छता अभियान को गांव में पलीता लगाया जा रहा है. नालियां गंदगी से बज बजा रही हैं और जलभराव की समस्या से ग्रामीणों को दो चार होना पड़ रहा है. इतना ही नहीं स्थानीय सुंदर कुमार बताते हैं कि शौचालय के लिए बजट तो आया लेकिन शौचालय अधिकांश लोगों को नसीब नहीं हुए. ग्राम प्रधान ने सिर्फ अपने चहेतों को ही शौचालय निर्माण के लिए आर्थिक सहायता दी. बाकी के गांव वाले अपने पैसे से शौचालय बना कर गुजर-बसर कर रहे है.
आधारभूत सुविधाओं को आज भी तरसता है गांव
जब ईटीवी भारत की टीम ने फूलमती नाम की महिला से गांव के विकास के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कोई विकास नहीं हुआ है. आज भी उनके घर में जलभराव हो जाता है, जिसकी मुख्य वजह है नालियों की साफ-सफाई ना होना. इसी गांव के ग्रामीण सुंदर यादव बताते हैं कि संपर्क मार्ग के साथ टूटे बिजली के खंभे जैसे आधारभूत सुविधाओं के लिए आज भी ग्रामीण विकास की बाट जोह रहे हैं.
चुनाव आते ही याद आते हैं वादे
ग्रामीण बताते हैं कि जब जब चुनावी बेला आती है, तो जनप्रतिनिधि बड़े-बड़े विकास करने के दावा जरूर करते हैं. लेकिन चुनाव के बाद कोई सुध नहीं लेता. इतना ही नहीं सरकारी योजनाओं में लाभ भी वांछित लोगों को नहीं मिलता है. उस का पैमाना जरूरत से ज्यादा नेता के करीबी होना होता है. जब ग्राम प्रधान की शिकायत ब्लॉक प्रमुख से की तो नेता लोग विरोध करने लगते हैं.