कानपुर: गन्ने को लेकर कई तरह के शोध करने के क्रम में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) के विशेषज्ञों को एक बड़ी सफलता मिली है. पांच सालों तक शोध करने के बाद विशेषज्ञों ने गन्ने की खोई से ग्लाइकोसाइड नामक रसायन तैयार कर दिया है, जिसका उपयोग अब चेहरे की झुर्रियां दूर करने वाली एंटी एंजिंग क्रीम बनाने (दवाई का रूप) में हो सकेगा. खास बात यह है, कि विशषज्ञों को पेटेंट अथारिटी ऑफ इंडिया से पेटेंट का प्रमाण पत्र भी मिल गया है. विश्व स्तर पर विशेषज्ञों ने इस शोध को प्रमाणित भी कर दिया है.
इस पूरे मामले पर संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया, कि अभी तक ग्लाइकोसाइड रसायन टीक की लकड़ी से तैयार किया जाता था. हालांकि, उस प्रक्रिया में बहुत अधिक राशि खर्च होती थी. लेकिन, अब गन्ने की खोई से यह रसायन बन जाएगा. खोई से बायोकेमिकल्स बनाने की दिशा में यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा. उन्होंने बताया, कि किसान जो गन्ने की खोई को फेक देते थे, अब चीनी मिलों में उस खोई का जब उपयोग होगा तो निश्चित तौर पर किसानों की आय भी बढ़ जाएगी.
नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कार्पोरेशन से होगा करार, फिर उत्पाद में रसायन का उपयोग: निदेशक प्रो.नरेंद्र मोहन ने बताया, कि इस रसायन को तैयार करने के लिए हमने देश के विभिन्न चीनी संस्थानों से खोई मंगाई. संस्थान में आर्गेनिक केमेस्ट्री विभाग से डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव ने इस शोध कार्य को पूरा किया, जो खोई है, वह एक बायोनेचर प्रोडक्ट है, आसानी से मिलने वाली है. इसलिए संस्थान के विशेषज्ञों ने उससे बायोकेमिकल बना दिया. एक चरण की पद्धति में यह कार्य पूरा हुआ है. संस्थान के पास अब पेटेंट भी है, इसलिए अगले कदम में केंद्र सरकार के प्रतिष्ठान- नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कार्पोरेशन से हम करार करेंगे. फिर इस रसायन को कॉमर्शियलाइजेशन की प्रक्रिया से गुजारेंगे. इसके बाद मार्केट में एंटी एंजिंग क्रीम में इसका उपयोग शुरू करा देंगे. इस क्रीम से सबसे बड़ा फायदा होगा, कि लोगों का बुढ़ापा देरी से ही आएगा.
यहां देखें आंकड़े
देश में कुल चीनी मिलों की संख्या: 520
औसतन एक चीनी मिल में अगर गन्ना पेरा जाता है: 10 लाख टन
औसतन एक चीनी मिल में तब खोई तैयार हो जाती है: तीन लाख टन
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