कानपुरः 74 साल की उम्र में जहां लोग दूसरे का सहारा ढूंढते हैं. वहीं जिले के 74 वर्षीय रामगोपाल बाजपेयी छात्राओं को निःशुल्क ताइक्वांडो के गुर सीखा रहे हैं. इन्होंने ताइक्वांडो के क्षेत्र में देश-दुनिया के खिलाड़ियों के बीच अपना न सिर्फ अपना लोहा मनवाया है. बल्कि वर्ल्ड ताइक्वांडो प्रतियोगिता में 10वां स्थान हासिल किया था. अब वह महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं.
सरकारी नौकरी से लेकर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने तक का सफर
जिले के नौबस्ता इलाके में रहने वाले रामगोपाल बाजपेयी टेलीफोन डिपार्टमेंट में नौकरी करते थें. 2007 में उपमंडल अभियंता टेलीफोन विभाग से रिटायरमेंट के बाद, इन्होंने अपने पसंदीदा खेल ताइक्वांडो को ही जीवन समर्पित कर दिया. कई नेशनल और इंटरनेशनल चैम्पियनशिप में उम्दा प्रदर्शन करते हुए 2016 और 2017 में नेशनल लेवल पर स्वर्ण पदक जीते. साथ ही दक्षिण कोरिया में हुई अंतरराष्ट्रीय चैम्पियनशिप में विशेष पदक हासिल कर चुके हैं. इतना ही नहीं रामगोपाल ताइक्वांडो में अपनी महारत के दम पर 2018 और 2020 में वियतनाम में हुई एशियन चैम्पियनशिप में लगातार दो बार ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी भी बने.
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वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड जीतना है सपना
यूं तो 74 साल के रामगोपाल ताइक्वांडो में देश-दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी की फेहरिस्त में शुमार हैं, लेकिन उनका लक्ष्य है. वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना. इसके लिए उम्र के इस पड़ाव को शिकस्त देते हुए युवा खिलाड़ी की तरह पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं.
निःशुल्क बेटियों को सिखा रहे है आत्मरक्षा के गुर
ताइक्वांडो के हीरो रामगोपाल बाजपेयी अपनी ताइक्वांडो विद्या से निःशुल्क आसपास की बेटियों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. रामगोपाल ने बताया कि आज के समाज में महिलाओं को सशक्त बनना बहुत जरूरी है. ऐसे में वो बेटियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा कर उन्हें मजबूत करने की कवायद में जुटे हुए हैं.