कानपुर: जिले के हैलेट अस्पताल से असंवेदनशीलता की एक खबर सामने आई है. तेज खांसी व सीने में दर्द से परेशानी के कारण अस्पताल पहुंचे एक युवक को भर्ती नहीं किया गया, जिसके कुछ देर बाद युवक की मौत हो गई. इस पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुये दुख जताया और सरकार से मांग की है कि मामले का संज्ञान लिया जाये. ये पूरी घटना सोमवार यानी 6 अप्रैल की बताई जा रही है.
बता दें कि तेज खांसी व सीने में दर्द की शिकायत के कारण इलाज के लिये पहुंचा एक युवक हैलट चौकी के सामने सड़क पर तड़पता रहा. उसके पिता बेटे के लिये मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोरोना का संदिग्ध मामला मानकर अस्पताल के किसी कर्मचारी ने उसे हाथ नहीं लगाया.
हालांकि, मीडिया का कैमरा देखकर जैसे तैसे एक कर्मचारी ने स्ट्रेचर पर लिटाया और फिर वहां से गायब हो गया. काफी देर के बाद एक्स-रे कराने के लिये लाचार पिता ने किसी तरह बेटे को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया, जिसके बाद उसे आईसीयू में शिफ्ट कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई.
इंदिरा नगर निवासी डॉ. राकेश पांडे ने बताया कि बेटे की तबीयत ज्यादा खराब होने पर लाला लाजपत राय अस्पताल से उसे हैलेट अस्पताल लेकर आए थे, जहां उन्हें न तो स्ट्रेचर मिला और न ही वार्ड बॉय. वह खुद ही इधर-उधर चक्कर लगाते रहे. इस कारण काफी देर हो गई. उनका कहना था कि अगर समय उनके बेटे को इलाज मिल जाता तो शायद वह बच सकता था.
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ये दुखद है कि कानपुर के एक डॉक्टर को एंबुलेंस की अनुपलब्धता और हैलेट हॉस्पिटल में स्ट्रेचर व अन्य चिकित्सीय सहायता के अभाव में अपना बेटा खोना पड़ा.
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सरकार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण देकर ये सुनिश्चित करे कि कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ़ किसी भी मरीज़ की उपेक्षा न करे.
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सरकार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण देकर ये सुनिश्चित करे कि कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ़ किसी भी मरीज़ की उपेक्षा न करे.ये दुखद है कि कानपुर के एक डॉक्टर को एंबुलेंस की अनुपलब्धता और हैलेट हॉस्पिटल में स्ट्रेचर व अन्य चिकित्सीय सहायता के अभाव में अपना बेटा खोना पड़ा.
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सरकार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण देकर ये सुनिश्चित करे कि कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ़ किसी भी मरीज़ की उपेक्षा न करे.
वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुये कहा, 'ये दुखद है कि कानपुर के एक डॉक्टर को एंबुलेंस की अनुपलब्धता और हैलेट हॉस्पिटल में स्ट्रेचर व अन्य चिकित्सीय सहायता के अभाव में अपना बेटा खोना पड़ा. सरकार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण देकर ये सुनिश्चित करे कि कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ किसी भी मरीज की उपेक्षा न करे'.