कानपुर: जिले में एक तरफ कोरोना का बढ़ता आंकड़ा चिंता बढ़ा रहा है, वहीं अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड्स की कमी हो रही है. अस्पतालों में न तो बेड हैं न मेडिकल स्टोर में दवा. जिला प्रशासन इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. जिले में सबसे ज्यादा दिक्कत ऑक्सीजन की है. ऑक्सीजन की कमी के चलते लोग जान गवां रहे है. आलम यह है कि लोग खुद अपने परिजनों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन की गोदामों में लाइन लगा कर ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
ऑक्सीजन और बेड की कमी
कानपुर में निजी और सरकारी मिलाकर 25 अस्पताल कोरोना मरीजों का ईलाज कर रहे हैं, जिनकी निगरानी खुद सीएमओ कर रहे हैं. कई अधिकारी भी इस कार्य में लगाए गए हैं. वहीं प्राइवेट नर्सिंग होम में जहां पर कोविड-19 का इलाज हो रहा है वहां पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. इसके बावजूद ऑक्सीजन और बेड की कमी दूर होने का नाम नहीं ले रही है. अस्पताल प्रशासन तीमारदारों को सिलेंडर थमा कर खुद से ऑक्सीजन लाने के लिए कह रहा है.
ऑक्सीजन के लिए जद्दोजहद
तीमारदार अपने मरीज को बचाने के लिए मजबूरी में सुबह से लाइनों में लगकर ऑक्सीजन के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. आलम यह है कि ऑक्सीजन सिलेंडर को भरवाने के लिए लगी लंबी लाइनों को मैनेज करने के लिए पुलिस तक लगानी पड़ रही है. सैकड़ों लोग सुबह से लाइनों में लगे हुए हैं. हालत यह है कि तीमारदारों यह तक नहीं पता है कि रात तक उनको ऑक्सीजन भी मिलेगी कि नहीं.
जिम्मेदार कौन
ऑक्सीजन सिलेंडर लेने पहुंचे तीमारदारों ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने उनको अस्पताल से लेटर दे रखा है और उनको ऑक्सीजन लाने के लिए भेज दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने की जिम्मेदारी किसकी है. मरीजों और तीमारदारों को हो रही दिक्कतो का समाधान कैसे होगा.