कन्नौजः समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के रामचरित मानस पर दिए गए विवादित बयान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थन में भीम आर्मी, आजाद समाजवादी पार्टी समेत अन्य पार्टियों के लोगों ने गुरुवार को मौन जुलूस निकाला. साथ ही कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एडीएम को सौंपा. साथ ही रामचरित मानस की विवादित चौपाइयों को हटाने की मांग की है. जिसमें कहा है कि दलित, पिछड़े, आदिवासी एवं महिलाएं भी हिंदू धर्म का हिस्सा हैं. जो बराबर सम्मान के अधिकारी हैं.
गौरतलब है कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित धार्मिक ग्रंथ रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों के अंश को लेकर राजनाति के गलियारों में घमासान मचा हुआ है. इसके बाद स्वामी प्रसाद के समर्थन में गुरुवार को कई संगठनों के कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन एडीएम गजेंद्र सिंह को सौंपा. साथ ही कहा कि दलित, पिछड़ों, आदिवासियों पर वर्षों से जाति भेदी शोषण हो रहा है.
सपा के पूर्व जिला सचिव आकाश शाक्य ने कहा कि रामचरित मानस या किसी धर्म या आराध्य पर सवाल न उठाकर रामचरित मानस की कुछ चौपाईयों के अंश पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा कि दलित व आदिवासी भी हिंदू धर्म का ही हिस्सा है. साथ ही कहा कि उस हिंदू धर्म की मान्यताओं पर आस्था रखते हैं. लेकिन इसकी आड़ में कुछ रचनाकारों ने ग्रंथ व काव्य लिखे हैं. जिसमें उनकी जाति भावनाओं को ठेस पहुंची हैं. जिसको लेकर स्वामी प्रसाद ने आवाज उठाई थी. उन्होंंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के उकसावे में कथाकथित लोग स्वामी प्रसाद मौर्या का विरोध कर रहे है. उनको लगातार गाली गलौज, जीभ काटने की धमकी, जान से मारने की धमकी दी जा रही है. उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ मांग की है कि चौपाई के कुछ अंशों को रामचरित मानस से हटाया जाए.
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