ETV Bharat / state

विश्वविद्यालय की आर्थिक सुरक्षा योजना पर शिक्षक और कर्मचारी उठा रहे सवाल - coronavirus in jhansi

असामयिक मौत पर शिक्षकों और कर्मचारियों के परिजनों को आर्थिक लाभ देने के लिए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय ने आर्थिक सुरक्षा योजना पर सहमति बनायी है. हालांकि सभी शिक्षकों ने लाभ देने के लिए उनके वेतन से कटौती करने को तर्कसंगत नहीं माना है.

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय
author img

By

Published : May 22, 2021, 2:29 PM IST

झांसी: बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में शिक्षकों और कर्मचारियों की असामयिक मौत पर परिजनों के लिए शुरू हुई आर्थिक सुरक्षा योजना पर बहुत सारे शिक्षकों और कर्मचारियों ने असहमति जताई है. कुछ लोग इसे भेदभाव वाली योजना भी बता रहे हैं. शिक्षकों और कर्मचारियों ने कई तरह के सुझाव देते हुए आपत्ति दर्ज कराना शुरू कर दिया है. मांग की जा रही है कि मदद में भेदभाव न हो और अधिक से अधिक कर्मचारियों व शिक्षकों को इसका लाभ मिल सके. मांग ये भी की जा रही है कि आर्थिक मदद में विश्वविद्यालय की ओर से भी एक हिस्सा वहन किया जाए.

आर्थिक सुरक्षा योजना पर सहमति
आर्थिक सुरक्षा योजना पर सहमति

विश्वविद्यालय ने तीन शिक्षकों की मौत

कई शिक्षकों ने मांग उठाते हुए आर्थिक सुरक्षा योजना की समिति के सामने बात रखी है. शिक्षकों की मुख्य आपत्ति ये है कि सभी शिक्षकों के वेतन से दो हजार रुपये की कटौती तर्कसंगत नहीं है. ये कटौती वेतन के अनुपात में होनी चाहिए. इसके अलावा विश्वविद्यालय में शिक्षक कल्याण फंड से भी एक अंश मदद के रूप में दिया जाना चाहिए. विश्वविद्यालय ने तीन शिक्षकों की मौत स्वीकार किया है, जबकि एक निलंबित चल रहे शिक्षक डॉ. खुशेन्द्र बोरकर की मौत को मदद योजना में शामिल नहीं किया है. इसके अलावा टीचिंग असिस्टेंट के रूप में कार्यरत शिक्षकों को भी इस योजना से बाहर रखा गया है. इन सभी को योजना में शामिल करने की मांग की जा रही है.

इसे भी पढ़ें-झांसी: लाइव इंस्टालेशन कर विद्यार्थियों ने दिया जल संरक्षण का संदेश

एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी की भी मौत

विश्वविद्यालय के कर्मचारी प्रभाकर खरे कहते हैं कि आपदा के समय में कर्मचारियों और शिक्षकों को मिलने वाले आर्थिक मदद में भेदभाव नहीं होना चाहिए. सभी को समान आर्थिक मदद मिलनी चाहिए. वेतन से कटौती वेतन के प्रतिशत के हिसाब से होनी चाहिए. विश्वविद्यालय ने पांच कर्मचारियों की मौत की बात मानी है, जबकि एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी की भी मौत हुई है. उसे भी योजना का लाभ मिलना चाहिए. आर्थिक मदद में शिक्षक कल्याण फंड से भी अंश दिया जाना चाहिए.

झांसी: बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में शिक्षकों और कर्मचारियों की असामयिक मौत पर परिजनों के लिए शुरू हुई आर्थिक सुरक्षा योजना पर बहुत सारे शिक्षकों और कर्मचारियों ने असहमति जताई है. कुछ लोग इसे भेदभाव वाली योजना भी बता रहे हैं. शिक्षकों और कर्मचारियों ने कई तरह के सुझाव देते हुए आपत्ति दर्ज कराना शुरू कर दिया है. मांग की जा रही है कि मदद में भेदभाव न हो और अधिक से अधिक कर्मचारियों व शिक्षकों को इसका लाभ मिल सके. मांग ये भी की जा रही है कि आर्थिक मदद में विश्वविद्यालय की ओर से भी एक हिस्सा वहन किया जाए.

आर्थिक सुरक्षा योजना पर सहमति
आर्थिक सुरक्षा योजना पर सहमति

विश्वविद्यालय ने तीन शिक्षकों की मौत

कई शिक्षकों ने मांग उठाते हुए आर्थिक सुरक्षा योजना की समिति के सामने बात रखी है. शिक्षकों की मुख्य आपत्ति ये है कि सभी शिक्षकों के वेतन से दो हजार रुपये की कटौती तर्कसंगत नहीं है. ये कटौती वेतन के अनुपात में होनी चाहिए. इसके अलावा विश्वविद्यालय में शिक्षक कल्याण फंड से भी एक अंश मदद के रूप में दिया जाना चाहिए. विश्वविद्यालय ने तीन शिक्षकों की मौत स्वीकार किया है, जबकि एक निलंबित चल रहे शिक्षक डॉ. खुशेन्द्र बोरकर की मौत को मदद योजना में शामिल नहीं किया है. इसके अलावा टीचिंग असिस्टेंट के रूप में कार्यरत शिक्षकों को भी इस योजना से बाहर रखा गया है. इन सभी को योजना में शामिल करने की मांग की जा रही है.

इसे भी पढ़ें-झांसी: लाइव इंस्टालेशन कर विद्यार्थियों ने दिया जल संरक्षण का संदेश

एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी की भी मौत

विश्वविद्यालय के कर्मचारी प्रभाकर खरे कहते हैं कि आपदा के समय में कर्मचारियों और शिक्षकों को मिलने वाले आर्थिक मदद में भेदभाव नहीं होना चाहिए. सभी को समान आर्थिक मदद मिलनी चाहिए. वेतन से कटौती वेतन के प्रतिशत के हिसाब से होनी चाहिए. विश्वविद्यालय ने पांच कर्मचारियों की मौत की बात मानी है, जबकि एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी की भी मौत हुई है. उसे भी योजना का लाभ मिलना चाहिए. आर्थिक मदद में शिक्षक कल्याण फंड से भी अंश दिया जाना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.