जौनपुर: हर जिले में एक चीरघर होता है लेकिन जनपद का चीरघर बदहाल अवस्था में है. दो कमरों वाले चीरघर में लाशों को रखने के लिए कोई इंतजाम नहीं है. कोई भी लाश पोस्टमार्टम के लिए आती है तो उसे खुले में ही रखना पड़ता है. ऐसी हालत में कुछ खराब लाशों से बदबू भी आती है जिसके कारण लोगों का खड़ा होना भी दूभर हो जाता है. वहीं इस चीरघर में शव का पोस्टमार्टम भी खुले में किया जाता है जो इन नियमों के खिलाफ भी है.
दो कमरों में चल रहे चीरघर की हालत ठीक नहीं है. यहां हर रोज 4 से 5 लाशों का पोस्टमार्टम होता है लेकिन इन लाशों को रखने के लिए इन कमरों में जगह नहीं बची है. दोनों कमरों में विसरा भरा हुआ है .वहीं, कोई भी शव आता है तो उसे खुले में ही रखना पड़ता है और इन का पोस्टमार्टम भी खुले आसमान के नीचे ही किया जाता है. बता दें कि, किसी भी पोस्टमार्टम हाउस के लिए एसी कमरे से लेकर फ्रीज़र तक होने चाहिए जिससे शव को उसमें सुरक्षित रखा जा सके. लेकिन जौनपुर में ऐसा नहीं है. अक्सर मिलने वाली लावारिस लाशों के कारण पोस्टमार्टम हाउस से बदबू भी आती है. यहां पोस्टमार्टम कराने आने वाले मृतक के परिजन अपने साथ शव को ही नहीं ले जाते बल्कि साथ में कुछ बीमारी भी ले जाते हैं।
इस बारे में जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राम जी पांडे से बात की तो उन्होंने बताया कि जिले का चीरघर दो कमरों में चल रहा है. इसकी हालत ठीक नहीं है. नया चीरघर मेडिकल कालेज में स्वीकृत बनाया जाएगा. इसके लिए ₹4,500,000 का बजट स्वीकृत भी हो चुका है. यह चीरघर पूर्णतया आधुनिक होगा जिसमें एसी कमरे से लेकर सब तरह की व्यवस्था होगी.