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जौनपुर: लॉकडाउन में मां पर है बच्चों के भरण-पोषण का जिम्मा

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में लॉकडाउन में कामकाज बंद होने का वजह से कई महिलाएं सड़क के किनारे पने परिवार और बच्चों की भूख मिटाने के लिए पके हुए भोजन के इंतजार में बैठी रहती हैं. ये महिलाएं खुद भूखे रहकर भी अपने बच्चों का पेट पाल रही हैं.

लॉकडाउन में मां पर है बच्चों के भरण-पोषण का जिम्मा
लॉकडाउन में मां पर है बच्चों के भरण-पोषण का जिम्मा
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Published : May 11, 2020, 7:06 PM IST

जौनपुर: मई माह के दूसरे रविवार को पूरे विश्व में मदर्स-डे मनाया जाता है. बच्चे के जन्म से लेकर जीवन में आगे बढ़ने के सफर में मां का संघर्ष हर पल नजर आता है. कोरोना की वैश्विक महामारी के चलते देश में लॉकडाउन चल रहा है, इसलिए इस संकट के दौर में मां की भूमिका और भी ज्यादा बढ़ जाती है. अभी तक महिलाएं घर की चारदीवारी में रहकर अपने बच्चों और परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने का काम करती थी, लेकिन इस दौर में सड़कों पर महिलाएं गोद में बच्चे को लिए हुए और सर पर सामान का वजन उठाती हुई अक्सर दिखाई दे जाती हैं.

लॉकडाउन में मां पर है बच्चों के भरण-पोषण का जिम्मा

जौनपुर के रूहट्टा में ऐसी ही दर्जनों महिलाएं सड़क किनारे अपने परिवार और बच्चों की भूख मिटाने के लिए पके हुए भोजन के इंतजार में बैठी रहती हैं. जब इन्हें भोजन मिल जाता है तो वह इसे अपने घर ले जाती हैं, जिससे उनके बच्चों की भूख मिटती है.

घंटों खाने के इंतजार में बैठी रहती हैं महिलाएं

अब तक घर में मां के रूप में महिलाएं बच्चों के लिए खाना बनाने और उनके पालन-पोषण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाती आई हैं, लेकिन इस संकट के दौर में जब पति बेरोजगार हो और घर में अनाज न हो तो ऐसे में भूखे परिवार का पेट भरने के लिए मां के रूप में महिलाएं सड़कों पर देखी जा रही हैं. जौनपुर के रूहट्टा हो या कोतवाली का चौराहा यहां दिन में पके हुए खाने के लिए घंटों इंतजार करती हुई महिलाएं दिख जाएंगी. आज संकट के दौर में इसी खाने के भरोसे घर में बच्चों का पेट भर रहा है. इसके लिए खुद भूखी होकर भी यह महिलाएं घंटों इंतजार करके बच्चों के लिए भोजन जुटा रही हैं.

शहर की कालीकुट्टी की रहने वाली अर्चना नाम की महिला ने बताया कि इस दौर में सब काम धंधे बंद है. वह दूसरों के घरों में बर्तन धोने का काम करती थीं, लेकिन इस समय वह काम भी बंद है. ऐसे में घर में बच्चों का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है. इसलिए वह यहां पर पका हुआ खाना लेने के लिए आई हैं और जब वह खाना लेकर घर जाती हैं तो बच्चों को खिलाती है.

जौनपुर: मई माह के दूसरे रविवार को पूरे विश्व में मदर्स-डे मनाया जाता है. बच्चे के जन्म से लेकर जीवन में आगे बढ़ने के सफर में मां का संघर्ष हर पल नजर आता है. कोरोना की वैश्विक महामारी के चलते देश में लॉकडाउन चल रहा है, इसलिए इस संकट के दौर में मां की भूमिका और भी ज्यादा बढ़ जाती है. अभी तक महिलाएं घर की चारदीवारी में रहकर अपने बच्चों और परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने का काम करती थी, लेकिन इस दौर में सड़कों पर महिलाएं गोद में बच्चे को लिए हुए और सर पर सामान का वजन उठाती हुई अक्सर दिखाई दे जाती हैं.

लॉकडाउन में मां पर है बच्चों के भरण-पोषण का जिम्मा

जौनपुर के रूहट्टा में ऐसी ही दर्जनों महिलाएं सड़क किनारे अपने परिवार और बच्चों की भूख मिटाने के लिए पके हुए भोजन के इंतजार में बैठी रहती हैं. जब इन्हें भोजन मिल जाता है तो वह इसे अपने घर ले जाती हैं, जिससे उनके बच्चों की भूख मिटती है.

घंटों खाने के इंतजार में बैठी रहती हैं महिलाएं

अब तक घर में मां के रूप में महिलाएं बच्चों के लिए खाना बनाने और उनके पालन-पोषण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाती आई हैं, लेकिन इस संकट के दौर में जब पति बेरोजगार हो और घर में अनाज न हो तो ऐसे में भूखे परिवार का पेट भरने के लिए मां के रूप में महिलाएं सड़कों पर देखी जा रही हैं. जौनपुर के रूहट्टा हो या कोतवाली का चौराहा यहां दिन में पके हुए खाने के लिए घंटों इंतजार करती हुई महिलाएं दिख जाएंगी. आज संकट के दौर में इसी खाने के भरोसे घर में बच्चों का पेट भर रहा है. इसके लिए खुद भूखी होकर भी यह महिलाएं घंटों इंतजार करके बच्चों के लिए भोजन जुटा रही हैं.

शहर की कालीकुट्टी की रहने वाली अर्चना नाम की महिला ने बताया कि इस दौर में सब काम धंधे बंद है. वह दूसरों के घरों में बर्तन धोने का काम करती थीं, लेकिन इस समय वह काम भी बंद है. ऐसे में घर में बच्चों का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है. इसलिए वह यहां पर पका हुआ खाना लेने के लिए आई हैं और जब वह खाना लेकर घर जाती हैं तो बच्चों को खिलाती है.

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