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आवारा पशुओं से परेशान जौनपुर के किसान, धान-गेहूं छोड़ उगा रहे सरसों

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में राजस्थान की तर्ज पर किसानों ने बड़े पैमाने पर सरसों की खेती शुरू की है. गेहूं और धान की फसल को लगातार आवारा पशु नुकसान पहुंचाते रहते हैं. इसी वजह से परेशान होकर किसानों ने सरसों की खेती करने का फैसला लिया है.

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आवारा पशुओं से परेशान किसानों ने शुरू की सरसों की खेती.
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Published : Jan 13, 2020, 10:46 AM IST

जौनपुर: राजस्थान की तर्ज पर जौनपुर के किसान अब बड़े पैमाने पर सरसों की खेती करने लगे हैं. यह बदलाव पिछले एक साल में हुआ है. गेहूं और धान की फसल को आवारा पशु ज्यादा नुकसान पहुंचाते थे. मल्हनी और खुटहन क्षेत्र में किसान सबसे ज्यादा सरसों की खेती कर रहे हैं. आवारा पशु सरसों की खेती को कम नुकसान पहुंचाते हैं. इसी वजह से किसान सरसों की खेती को करना ज्यादा फायदेमंद मान रहे हैं.

आवारा पशुओं से परेशान किसानों ने शुरू की सरसों की खेती.

खास बातें

  • राजस्थान की तर्ज पर किसानों ने बड़े पैमाने पर सरसों की खेती शुरू की है.
  • गेहूं और धान की फसल को लगातार आवारा पशु नुकसान पहुंचाते रहते हैं.
  • परेशान किसानों ने सरसों की खेती करने का फैसला लिया है.
  • आवारा पशु सरसों की खेती को बहुत कम नुकसान पहुंचाते हैं.
  • किसान सरसों की खेती को ज्यादा फायदेमंद मान रहे हैं.

जिले में इन दिनों खेतों में सरसों खूब लहलहा रही है. अचानक से किसानों ने गेहूं और धान की खेती की जगह सरसों की खेती करना ज्यादा फायदेमंद माना है. इस खेती में कम लागत और पानी के साथ ज्यादा मुनाफा होता है, उपज भी अच्छी होती है. बीते एक साल से सरसों का मूल्य भी बढ़ रहा है. इसलिए किसान अब इस खेती की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं.

पहले गेहूं और धान की खेती कर रहे थे, लेकिन आवारा पशुओं के कारण काफी नुकसान हुआ. जब से सरसों की खेती शुरू की है, इस खेती में बहुत फायदा हुआ है. अब पशु इस खेती को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं और ज्यादातर किसान सरसों उगा रहे हैं.

अमिता प्रसाद, किसान

जौनपुर: राजस्थान की तर्ज पर जौनपुर के किसान अब बड़े पैमाने पर सरसों की खेती करने लगे हैं. यह बदलाव पिछले एक साल में हुआ है. गेहूं और धान की फसल को आवारा पशु ज्यादा नुकसान पहुंचाते थे. मल्हनी और खुटहन क्षेत्र में किसान सबसे ज्यादा सरसों की खेती कर रहे हैं. आवारा पशु सरसों की खेती को कम नुकसान पहुंचाते हैं. इसी वजह से किसान सरसों की खेती को करना ज्यादा फायदेमंद मान रहे हैं.

आवारा पशुओं से परेशान किसानों ने शुरू की सरसों की खेती.

खास बातें

  • राजस्थान की तर्ज पर किसानों ने बड़े पैमाने पर सरसों की खेती शुरू की है.
  • गेहूं और धान की फसल को लगातार आवारा पशु नुकसान पहुंचाते रहते हैं.
  • परेशान किसानों ने सरसों की खेती करने का फैसला लिया है.
  • आवारा पशु सरसों की खेती को बहुत कम नुकसान पहुंचाते हैं.
  • किसान सरसों की खेती को ज्यादा फायदेमंद मान रहे हैं.

जिले में इन दिनों खेतों में सरसों खूब लहलहा रही है. अचानक से किसानों ने गेहूं और धान की खेती की जगह सरसों की खेती करना ज्यादा फायदेमंद माना है. इस खेती में कम लागत और पानी के साथ ज्यादा मुनाफा होता है, उपज भी अच्छी होती है. बीते एक साल से सरसों का मूल्य भी बढ़ रहा है. इसलिए किसान अब इस खेती की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं.

पहले गेहूं और धान की खेती कर रहे थे, लेकिन आवारा पशुओं के कारण काफी नुकसान हुआ. जब से सरसों की खेती शुरू की है, इस खेती में बहुत फायदा हुआ है. अब पशु इस खेती को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं और ज्यादातर किसान सरसों उगा रहे हैं.

अमिता प्रसाद, किसान

Intro:जौनपुर।। सरसों की खेती अब तक राजस्थान में सबसे ज्यादा होती थी लेकिन अब राजस्थान की तर्ज पर जौनपुर के किसान भी अब बड़े पैमाने पर सरसों की खेती करने लगे हैं। यह बदलाव पिछले 1 साल में हुआ है जिसके कारण जौनपुर के मल्हनी और खुटहन क्षेत्र में हजारों एकड़ में सरसों की खेती अब किसान कर रहे हैं । इस स्थिति में जहां कम लागत में ज्यादा मुनाफा है । वही आवारा पशु भी सरसों की खेती को नुकसान कम पहुंचा रहे हैं। जिसके कारण किसान अब इस खेती को करना ज्यादा फायदेमंद मान रहे हैं । क्योंकि गेहूं और धान की फसल को आवारा पशुओं ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था जिसके कारण किसानों काफी नुकसान पहुंचा । वहीं अब किसानों ने खेती का तरीका बदला तो उन्हें अब फायदा दिखाई देने लगा।


Body:वीओ।। जौनपुर में इन दिनों खेतों में सरसों की खेती खूब लहलहा रही है । अचानक से किसानों ने गेहूं और धान की खेती की बजाय अब सरसों की खेती करना ज्यादा फायदेमंद मान रहे हैं। इस खेती में जहां कम पानी के साथ ज्यादा मुनाफा होता है । वही उपज भी अच्छी होती है। बीते 1 साल में सरसों का मूल्य भी अच्छा हो रहा है जिसके कारण किसान अब इस खेती की तरफ आकर्षित हुए हैं । जौनपुर के खुटहन और मल्हनी क्षेत्र में हजारों एकड़ में यह खेती हो रही है। पीली सरसों के फूल से इन दिनों खेत का सृंगार अलग ही दिखाई दे रहा है जो लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है । सरसों की खेती करने वाले किसान अनिल यादव ने बताया कि इस खेती में जहां लागत कम और मुनाफा जाता है। वही आवारा पशु भी इस खेती को नुकसान पहुंचा रहे हैं।


Conclusion:किसान अमिता प्रसाद ने बताया कि पहले गेहूं और धान की खेती कर रहे थे लेकिन पशुओं के कारण काफी नुकसान हुआ । वहीं जब से सरसों की खेती कर रहे हैं । इस खेती में फायदा भी ज्यादा है । वही पशु इस को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं जिसके कारण किसान अब इस खेती को खूब कर रहे हैं।

बाइट-अमिता प्रसाद -किसान


पीटीसी


Dharmendra singh
jaunpur
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