वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने रिपब्लिकन की कमला हैरिस को शिकस्त दे दी. इस चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप में अप्रत्याशित रूप से जीत हासिल की. चुनाव के दौरान उन्होंने उन स्टेट्स में जीत हासिल की, जिन्हें डेमोक्रेटिक का गढ़ माना जात था.
इसके अलावा ट्रंप उन राज्यों में जीतने में सफल रहे, जहां उन्हें पिछली दो चुनाव में भी जीत मिली थी. इनमें फ्लोरिडा भी शामिल हैं, जहां 30 इलेक्टोरल वोट हैं. वहीं ट्ंरप ने अलबामा में भी जीत की हैट्रिक लगाई. इस बार चुनाव में मुसलमानों ने भी रिपब्लिकन कैंडिडेट को वोट किया.
बता दें कि आमतौर पर अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों को डेमोक्रेट्स का समर्थक माना जाता है. हालांकि, चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप मुस्लिम वोट अपनी ओर खींचने में सफल रहे. तुर्की की अनादोलु एजेंसी के मुताबिक ट्रंप ने चुनाव के नतीजे आने से पहले ही रिपब्लिकन ने इस बात की घोषणा कर दी थी कि पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अभियान मिशिगन में अरब और मुस्लिम मतदाताओं का रिकॉर्ड तोड़ गठबंधन बना रहा है.
We are building the biggest and broadest coalition in American Political History. This includes record-breaking numbers of Arab and Muslim Voters in Michigan who want PEACE. They know Kamala and her warmonger Cabinet will invade the Middle East, get millions of Muslims killed,…
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) November 4, 2024
अरब मुस्लिमों के साथ गठबंधन
ट्रंप ने दावा किया था कि वे (मुस्लिम) शांति के उनके वादे से आकर्षित हैं. राष्ट्रपति चुनाव से एक दिन पहले ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, "हम अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़ा और व्यापक गठबंधन बना रहे हैं. इसमें मिशिगन में अरब और मुस्लिम मतदाताओं की रिकॉर्ड-तोड़ संख्या शामिल है, जो शांति चाहते हैं."
उन्होंने कहा, "वे जानते हैं कि कमला और उनका युद्ध-प्रेमी मंत्रिमंडल मध्य पूर्व पर आक्रमण करेगा, लाखों मुसलमानों को मार डालेगा और तीसरा विश्व युद्ध शुरू कर देगा. ट्रंप को वोट दें और शांति वापस लाएं!"
Donald Trump in Dearborn: “You’re gonna have peace in the Middle East” when I’m president. Also blasts Liz Cheney. Trump speaks to reporters while signing cafe plaques: pic.twitter.com/VJLWyqX1K7
— Niraj Warikoo (@nwarikoo) November 1, 2024
ट्रंप ने किया हलाल कैफे का दौरा
इससे पहले भी ट्रंप ने डियरबॉर्न में एक हलाल कैफे का दौरा किया था, जहां बड़ी संख्या में अरब और मुस्लिम अमेरिकी रहते हैं. यह यात्रा ऐसे समय में हुई जब कुछ सप्ताह पहले मुस्लिम नेताओं के एक समूह ने मिशिगन में एक रैली में मंच पर ट्रंप के साथ शामिल होकर 5 नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार के प्रति अपने समर्थन की घोषणा की थी.
नेताओं ने युद्ध समाप्त करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का हवाला दिया. बदले में ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि मिशिगन और पूरे देश में मुस्लिम और अरब मतदाता अंतहीन युद्धों को रोकना चाहते हैं और मध्य पूर्व में शांति की वापसी चाहते हैं.
मुसलमानों ने ट्रंप के लिए किया मतदान
द न्यू यॉर्क टाइम्स से बात करते हुए मशिगन में बहुसंख्यक अरब समुदाय के अमीन अलमुधारी ने कहा कि उन्होंने पिछली बार उन्होंने जो बाइडेन को हराने में मदद की थी. हालांकि, इस बार उन्होंने ट्रंप ने का समर्थन किया. उन्होंने हजारों अन्य डियरबॉर्न निवासियों के साथ मिलकर ट्रंप ने के लिए मतदान किया.
उन्होंने कहा कि वे बाइडेन द्वारा इजराइल और यूक्रेन को दिए जा रहे समर्थन से तंग आ चुके हैं. अमेरिका द्वारा किए जा रहे विनाश और मौत के कारण ही उन्होंने ट्रंप ने को समर्थन देने का निर्णय लिया.
वहीं, 22 साल नादेन अलसौफी ट्रंप के समर्थकों में से एक हैं. पहली बार वोट देने वाली नादेन करीब एक दशक पहले यमन से यहां आई थीं. उन्होंने कहा, 'मुझे वाकई उम्मीद है कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो वह जो कह रहे हैं, वही करेंगे. यही एकमात्र चीज है जिसने मुझे उन्हें वोट देने के लिए प्रेरित किया.'
लेबनानी मूल के एक 29 वर्षीय शिक्षक चार्ल्स फवाज ने कहा कि उन्होंने ट्रंप को वोट दिया, क्योंकि जब ट्रंप राष्ट्रपति थे, तब अमेरिकी विदेश नीति ठीक थी. अन्य नेता हमारे देश का सम्मान करते थे. भले ही ट्रंप मध्य पूर्वी शांति पर काम न करें, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि रिपब्लिकन अर्थव्यवस्था को बेहतर तरीके से मैनेज करेंगे.
कमला हैरिस से नाराजगी
कमला हैरिस ने इराक युद्ध के कट्टर समर्थक और पूर्व रिपब्लिकन सांसद लिज चेनी के साथ प्रचार किया, जो अमेरिकी मुसलमानों को पसंद नहीं आया. डियरबॉर्न हाइट्स के मेयर बिल बज इससे खासे नाराज हुए और उन्होंने मिशिगन की रैली में ट्रंप के समर्थन का ऐलान कर दिया.
टीआरटी न्यूज के अनुसार मुस्लिम समुदाय गर्भपात और लिंग परिवर्तन जैसी नीतियों के भी खिलाफ थे, जो इस्लाम में पूरी तरह से निषिद्ध हैं. बता दें कि डेमोक्रेट्स को इस तरह के मुद्दे पर अपने मुस्लिम सहयोगियों के साथ एकमत रहने में हमेशा संघर्ष करना पड़ा है. इसके अलावा मुसलमान स्कूली किताबों में यौन संबंधी टेक्स्ट शामिल करने को लेकर भी डोमोक्रेट से नाराज थे.
इन टेक्स्ट में यौन और लैंगिक पहचान के बारे में पुस्तकें शामिल करना शामिल था. इन्हें प्री-किंडरगार्टन से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों को पढ़ाया जाना था. मुस्लिम अभिभावकों ने इस निर्णय का विरोध किया.