जालौन: दीपावली का त्योहार पंच उत्सव के रूप में मनाया जाता है. दिवाली के अगले दिन प्रकृति की पूजा की जाती है, जिसे गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा के नाम से जाना जाता है. यह पूजा ब्रज से आरंभ हुई थी अब धीरे-धीरे पूरे भारतवर्ष में प्रचलित हो गई है. बुंदेलखंड के घर-घर में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है. सभी बुंदेलखंडवासी विधि-विधान से सभी सदस्य मिलकर इस पूजा को करते हैं, जिससे घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहे.
दीपावली पूजा के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. यह दीपावली के पांच पावन दिनों में से एक माना गया है. वैसे संपूर्ण भारत में गोवर्धन पूजा की जाती है, लेकिन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, और राजस्थान में गोवर्धन पूजा को धूम धाम किया जाता है.
गाय के गोबर से बनता है गोवर्धन पर्वत
पूजा के लिए परंपरा के अनुसार गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है, क्योंकि गाय के गोबर को सबसे शुद्ध माना गया है. गोवर्धन पूजा के दौरान साथ में एक टोकरी में बर्तन और सींकों की झाड़ू रखी जाती है, जिससे आपके घर में संपदा हमेशा बनी रहे. भोग के तौर पर कढ़ी और चावल पूजा में अर्पित किया जाता है. यह पूजा भगवान श्री कृष्ण के द्वारा शुरू की गई थी. बुंदेलखंड के हर घर में ग्रहणी गोवर्धन पूजा को बड़े ही विधि विधान से परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर करवाती हैं, इससे भगवान श्री कृष्ण की कृपा सब पर बनी रहे.
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