श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर के राजौरी जिले में रहस्यमय परिस्थितियों में 11 बच्चों सहित 14 लोगों की मौत से सनसनी फैल गयी थी. रहस्यमय बीमारी के कारण बच्चों और महिलाओं सहित 14 लोगों की मौत का कारण पता लगाने में चिकित्सा विशेषज्ञ अब तक विफल रहे हैं. सरकार ने कहा कि वह मृतकों के नमूनों की जांच कर रही है लेकिन मृतक व्यक्तियों के नमूनों में "कुछ न्यूरोटॉक्सिन" पाए गए हैं, जिनके बारे में अधिक जानने के लिए आगे की जांच की जा रही है.
जांच रिपोर्ट का अध्ययनः जम्मू और कश्मीर सरकार के मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा कि विभिन्न संस्थानों ने जांच की है. इसके रिपोर्ट आने वाले हैं. डुल्लू ने कहा कि ये जांच रिपोर्ट मौत के संभावित कारणों तक पहुंचने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए. पीजीआईएमईआर (चंडीगढ़), एनआईवी, सीएसआईआर और एनसीडीसी के विशेषज्ञों ने मुख्य सचिव के साथ प्रभावित व्यक्तियों के कई नमूनों के अपने निष्कर्ष साझा किए.
मौत के कारणों का पता नहींः मुख्य सचिव ने पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों को विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों से प्राप्त रिपोर्टों का आकलन करने के लिए कहा ताकि इन मौतों के वास्तविक कारण की पहचान की जा सके. बैठक में जीएमसी जम्मू के प्रिंसिपल, जीएमसी राजौरी के प्रिंसिपल, जम्मू के स्वास्थ्य सेवा निदेशक और पीजीआईएमईआर, सीएसआईआर, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और डीआरडीओ के विशेषज्ञ शामिल थे.
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मौतों की जांच के लिए एसआईटी का गठन
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन मौतों की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है. राजौरी के एसएसपी गौरव भारद्वाज द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कोटरंका बुधल में कंडी थाने के अधिकार क्षेत्र में मौतों की संवेदनशीलता को देखते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. पुलिस अधीक्षक (बुधल) वजाहत हुसैन की अध्यक्षता में एसआईटी इन घटनाओं की जांच करेगी, जिसका मकसद स्पष्टता और न्याय लाना है. उन्होंने कहा कि मामले के सभी पहलुओं की गहन जांच के लिए खाद्य सुरक्षा, कृषि और जल संसाधन (जल शक्ति विभाग) के विशेषज्ञों से अतिरिक्त सहायता ली जाएगी.
स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से नहीं घबराने की अपील की
राजौरी जिले के बुधल गांव में मौतों को लेकर लोगों की बढ़ती चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, समाज कल्याण एवं शिक्षा मंत्री सकीना इटू ने आज कहा कि इन दुर्भाग्यपूर्ण मौतों के पीछे वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए जांच जारी है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम ने प्रभावित गांव का दौरा किया और तीन हजार से अधिक लोगों के घर-घर जाकर जांच की. उन्होंने कहा कि टीमों ने पानी के नमूने, खाद्य पदार्थ के नमूने और अन्य सभी प्रकार के नमूने एकत्र किए और उन्हें परीक्षण के लिए भेजा गया है.
मंत्री ने कहा कि सभी परीक्षण नकारात्मक पाए गए हैं. सकीना इटू ने कहा, "सभी नमूने परीक्षण किए गए हैं, चाहे वह पानी हो, खाद्यान्न हो, बिस्कुट सहित वहां इस्तेमाल की जाने वाली बाकी चीजें हों, जो भी हो और सभी रिपोर्ट नकारात्मक पाई गई हैं." उन्होंने कहा कि यहां तक कि सभी इन्फ्लूएंजा परीक्षणों का भी नकारात्मक निदान किया गया हैय
मंत्री ने आगे कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने आईसीएमआर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, सीएसआईआर, डीआरडीओ, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ और अन्य जैसे राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से कुछ नमूनों का परीक्षण बाहर करवाया और सभी रिपोर्ट नकारात्मक पाई गईं. मंत्री ने आगे कहा कि मौतें कुल तीन परिवारों में हुईं, जो एक दूसरे से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर रहते थे. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इन 40 दिनों के दौरान, स्वास्थ्य विभाग ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रभावित क्षेत्र में एम्बुलेंस, दवाइयां और अन्य आवश्यक दवाएं जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराईं.
क्या है मामलाः राजौरी जिले के बदहाल गांव में 7 दिसंबर से अब तक 38 लोग इस रहस्यमय बीमारी की चपेट में आये थे. राजौरी जिले के बधाल गांव में तीन अलग-अलग जगहों पर 38 व्यक्तियों में से 12 की मौत हो गई. जिनके कारणों का पता नहीं चल सका है. मंगलवार को दो और लोगों की मौत हो गई. अब तक राजौरी जिले के बधाल गांव में 11 बच्चों सहित कुल 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे लोगों में डर और दहशत का माहौल है.
क्या होता है न्यूरोटॉक्सिनः न्यूरोटॉक्सिन ऐसा रसायन होता है, जो तंत्रिका ऊतक को नुकसान पहुंचाता है. तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है. यह प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकते हैं. भोजन, दवाओं और पर्यावरण में पाए जा सकते हैं.
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