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हाथरस: घर-घर स्तनपान का महत्व समझा रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

विश्व स्तनपान के सप्ताह 1-7 अगस्त के दौरान जनपद हाथरस में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर माताओं को स्तनपान से लाभ की जानकारी दे रही हैं. साथ ही उन्हें अधिक समय तक अपने बच्चों को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

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Published : Aug 7, 2020, 12:16 PM IST

महिला को जागरूक करती आंगनबाड़ी कार्यकत्री.
महिला को जागरूक करती आंगनबाड़ी कार्यकत्री.

हाथरस: गर्भावस्था के आखिरी त्रैमास में गर्भवती माता के स्तन की दुग्ध ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं. बच्चे के जन्म के समय उनमें गाढ़ा पीला दूध एकत्र होता है. जिसे कोलोस्ट्रम, पीयूष या खीस कहते हैं. कोलोस्ट्रम में प्रचुर मात्रा में विटामिन 'ए' एवं एंटीबॉडी पाई जाती है. जो बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचाती है. बच्चे के जन्म के समय बीसीजी, पोलियो जैसे कुछ टीके तो दे दिए जाते हैं. किंतु डीपीटी या पेंटा का डोज डेढ़ महीने से प्रारंभ किया जाता है. इस टीके के पहले बच्चे को इन बीमारियों से मां का दूध ही सुरक्षित रखता है.

प्रत्येक वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जाता है. इस दौरान यूपी के हाथरस जिले में माताओं को स्तनपान से लाभ की जानकारी दी जा रही है. उन्हें अधिक समय तक अपने बच्चों को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत है जरूरी

जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत आवश्यक है. क्योंकि इस दौरान बच्चा अत्यधिक सक्रिय रहता है और आसानी से स्तनपान की शुरुआत कर लेता है. जन्म के एक घंटे के बाद बच्चा थक कर सोने लगता है. इसलिए फिर स्तनपान की शुरुआत में कठिनाई उत्पन्न होती है.

6 माह तक स्तनपान है जरूरी

बच्चे के उचित शारीरिक विकास के लिए कम से कम 6 माह तक उसे केवल मां का दूध दिया जाना आवश्यक होता है. क्योंकि इस दौरान बाहर का दूध अथवा ऊपरी आहार, शहद, घुट्टी या टॉनिक बच्चे की आंतों में इंफेक्शन पैदा कर सकती हैं. जिससे बच्चे को दस्त होने लगते हैं. कभी-कभी बच्चा कुपोषित भी हो जाता है. गंभीर दस्त के कारण कभी-कभी असमय मृत्यु भी हो जाती है.

2 वर्ष तक मां का दूध है जरूरी

बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए 6 माह तक केवल मां का दूध देना चाहिए. लेकिन सातवें महीने से ऊपरी आहार की शुरुआत भी जरूरी है. कभी-कभी माता ऊपरी आहार की शुरुआत करने के बाद अपने दूध से वंचित कर देती हैं. जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है. नवीनतम शोधों के अनुसार बच्चे को कम से कम 2 वर्ष तक मां का दूध दिया जाना आवश्यक होता है. अगर इस दौरान बच्चे को मां का दूध नहीं मिला तो वह न केवल शारीरिक कुपोषण का शिकार हो जाता है, बल्कि उसका मानसिक विकास भी सही तरीके से नहीं होता.

30450 गर्भवती-धात्री महिलाओं को दिया संदेश

जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि जनपद कुल 1712 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है. जिन पर लगभग 37000 गर्भवती धात्री महिलाएं पंजीकृत हैं. स्तनपान सप्ताह के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अब तक 30450 गर्भवती धात्री महिलाओं तक स्तनपान से संबंधित संदेश एवं सलाह पहुंचाई गई है. यही नहीं स्तनपान शीघ्र शुरू करने पर मां को भी फायदे होते हैं. जैसे- प्लेसेंटा का शीघ्र बाहर आना, प्रसव के उपरांत बढ़ने वाले शारीरिक तापमान तथा दर्द का नियंत्रित होना तथा बच्चे के साथ भावनात्मक जुड़ाव. दो बच्चों में अंतर अर्थात बर्थ स्पेसिंग में भी स्तनपान काफी कारगर है. शोधों के अनुसार जब तक मां बच्चे को दूध पिलाती रहती है, तब तक प्राकृतिक रूप से उसे गर्भधारण की संभावना कम होती है.

हाथरस: गर्भावस्था के आखिरी त्रैमास में गर्भवती माता के स्तन की दुग्ध ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं. बच्चे के जन्म के समय उनमें गाढ़ा पीला दूध एकत्र होता है. जिसे कोलोस्ट्रम, पीयूष या खीस कहते हैं. कोलोस्ट्रम में प्रचुर मात्रा में विटामिन 'ए' एवं एंटीबॉडी पाई जाती है. जो बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचाती है. बच्चे के जन्म के समय बीसीजी, पोलियो जैसे कुछ टीके तो दे दिए जाते हैं. किंतु डीपीटी या पेंटा का डोज डेढ़ महीने से प्रारंभ किया जाता है. इस टीके के पहले बच्चे को इन बीमारियों से मां का दूध ही सुरक्षित रखता है.

प्रत्येक वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जाता है. इस दौरान यूपी के हाथरस जिले में माताओं को स्तनपान से लाभ की जानकारी दी जा रही है. उन्हें अधिक समय तक अपने बच्चों को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत है जरूरी

जन्म के 1 घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत आवश्यक है. क्योंकि इस दौरान बच्चा अत्यधिक सक्रिय रहता है और आसानी से स्तनपान की शुरुआत कर लेता है. जन्म के एक घंटे के बाद बच्चा थक कर सोने लगता है. इसलिए फिर स्तनपान की शुरुआत में कठिनाई उत्पन्न होती है.

6 माह तक स्तनपान है जरूरी

बच्चे के उचित शारीरिक विकास के लिए कम से कम 6 माह तक उसे केवल मां का दूध दिया जाना आवश्यक होता है. क्योंकि इस दौरान बाहर का दूध अथवा ऊपरी आहार, शहद, घुट्टी या टॉनिक बच्चे की आंतों में इंफेक्शन पैदा कर सकती हैं. जिससे बच्चे को दस्त होने लगते हैं. कभी-कभी बच्चा कुपोषित भी हो जाता है. गंभीर दस्त के कारण कभी-कभी असमय मृत्यु भी हो जाती है.

2 वर्ष तक मां का दूध है जरूरी

बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए 6 माह तक केवल मां का दूध देना चाहिए. लेकिन सातवें महीने से ऊपरी आहार की शुरुआत भी जरूरी है. कभी-कभी माता ऊपरी आहार की शुरुआत करने के बाद अपने दूध से वंचित कर देती हैं. जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है. नवीनतम शोधों के अनुसार बच्चे को कम से कम 2 वर्ष तक मां का दूध दिया जाना आवश्यक होता है. अगर इस दौरान बच्चे को मां का दूध नहीं मिला तो वह न केवल शारीरिक कुपोषण का शिकार हो जाता है, बल्कि उसका मानसिक विकास भी सही तरीके से नहीं होता.

30450 गर्भवती-धात्री महिलाओं को दिया संदेश

जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि जनपद कुल 1712 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है. जिन पर लगभग 37000 गर्भवती धात्री महिलाएं पंजीकृत हैं. स्तनपान सप्ताह के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अब तक 30450 गर्भवती धात्री महिलाओं तक स्तनपान से संबंधित संदेश एवं सलाह पहुंचाई गई है. यही नहीं स्तनपान शीघ्र शुरू करने पर मां को भी फायदे होते हैं. जैसे- प्लेसेंटा का शीघ्र बाहर आना, प्रसव के उपरांत बढ़ने वाले शारीरिक तापमान तथा दर्द का नियंत्रित होना तथा बच्चे के साथ भावनात्मक जुड़ाव. दो बच्चों में अंतर अर्थात बर्थ स्पेसिंग में भी स्तनपान काफी कारगर है. शोधों के अनुसार जब तक मां बच्चे को दूध पिलाती रहती है, तब तक प्राकृतिक रूप से उसे गर्भधारण की संभावना कम होती है.

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