गोरखपुर: वीवीआइपी लोकसभा सीट गोरखपुर को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने फिल्म अभिनेता रवि किशन को तो प्रत्याशी बनाकर उतार दिया है लेकिन, उनका बाहरी होना और गोरखपुर बीजेपी संगठन से कोई तालमेल न होना, चुनावी नैया पार करने के रास्ते में कई तरह की अड़चनें पैदा कर रहा है. यही वजह है कि बीजेपी संगठन ने इस बात को ढंग से समझते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं और पांचों विधायकों की बैठक के साथ इस सीट को जीतने के अभियान पर जुट गई है.
- गोरखपुर सीट को जीतने की खास जिम्मेदारी बीजेपी ने अपने विधायकों को सौंपी है, जिनके साथ लोकसभा के संयोजक, प्रभारी और जिला अध्यक्ष मिलकर काम करेंगे.
- लोकसभा उपचुनाव 2018 में मिली हार से सबक सीखते हुए बीजेपी संगठन ने उन प्रमुख लोगों पर जिम्मेदारी बढ़ा दी है, जिन के हवाले से वोटिंग मशीन में मतों के पड़ने की संभावना ज्यादा है.
- गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 5 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं और यह सीट वाराणसी के बाद ऐसी दूसरी सीट है जो सबसे खास चर्चा की है.
- विधायकों पर जिम्मेदारी देने के पीछे तर्क है कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में जो मत मिले थे, उतने भी निकल आए तो बीजेपी प्रत्याशी आसानी से जीत जाएगा, क्योंकि 2018 के उप चुनावों में बीजेपी सिर्फ पिपराइच विधानसभा और सदर में ही जीत सकी थी.
- विधायकों का इस मसले पर कहना है कि इस बार कहीं से कोई कोर कसर नहीं रहने पाएगी, कमल के साथ मोदी लक्ष्य हैं, जिसके साथ चुनाव जीत लिया जाएगा.
- आंकड़ों की बात करें तो लोकसभा उपचुनाव 2018 में बीजेपी को सदर विधानसभा में जहां 90 हजार से ऊपर वोट मिले, वहीं सपा को 65 हजार वोट ही मिले.
- पिपराइच विधानसभा में भाजपा एक लाख से ऊपर वोट मिले तो सपा मामूली अंतर से पिछड़ी.
- कैम्पियरगंज विधानसभा में सपा को भाजपा के मुकाबले करीब 15 हजार से अधिक वोट मिले, तो ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा 26 हजार से ज्यादा का हो गया.
- सहजनवा विधानसभा में भी भाजपा सपा से पिछड़ गई और 16 हजार वोट उसे कम मिले. इसी आधार पर सपा 22 हजार से अधिक वोट से उप चुनाव जीत गई और सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ भाजपा हार गई.
- रवि किशन इस बार खुद को प्रचार में मजबूती से झोंकने की बात कहते हैं और इसे हॉटेस्ट सीट बताते हैं, वह कहते हैं कि इसे जीतकर पार्टी और बड़े नेताओं के चरणों में समर्पित कर देंगे.