गोरखपुर: शहर में खून की दलाली और इससे मोटी कमाई करने वाले गिरोह सक्रिय हैं. 28 अगस्त को जिले की पुलिस ने खून का कारोबार करने वाले दो युवकों को गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारी एक रक्तदाता मजदूर की शिकायत पर हुई है. अपनी मजबूरी के चलते मजदूर दलालों के चंगुल में फंस गया था. दलालों ने खून निकलवाने के बाद बिना पैसे दिए मारपीट कर उसे भगा दिया था. मजदूर की शिकायत पर पुलिस सक्रिय हुई और गिरोह के सरगना सहित अन्य एक को धर दबोचा.
पुलिस अधीक्षक उत्तरी मनोज अवस्थी ने बताया कि खून के यह दलाल मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक के आसपास सक्रिय रहते थे. जैसे ही अस्पताल में भर्ती किसी मरीज को खून की जरूरत होती थी. इसकी सूचना पर यह दलाल तुरंत खून उपलब्ध कराने की बात कहते और पैसों की मांग करते. इसके बाद गरीब लोगों और मजदूरों को पैसों का लालच देकर खून निकलवाकर जरूरतमंदों को उपलब्ध करा देते थे. इस धंधे में यह दलाल दंबगई भी दिखाते थे. खून के दलाली के इस गिरोह के सामने आने के बाद इसके नेटवर्क से जुड़े हुए लोगों की पुलिस तलाश कर रही है. पड़ताल में कुछ लोगों के नाम भी सामने आए हैं, जिनसे पूछताछ की जा रही है. इस मामले में पुलिस पिछले 6 महीने का आंकड़ा जुटा रही है.
एसपी नार्थ मनोज अवस्थी ने बताया है कि गोरख चौहान नाम के व्यक्ति की शिकायत पर इस मामले का खुलासा हुआ है. पीड़ित गोरख चौहान के अनुसार मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में केसर देव नाम के व्यक्ति से दलालों ने उसे मिलवाया था और उसके बाद खून निकलवाया था. लेकिन उसे पैसे नहीं दिए. यह ब्लड पिपराइच के एक रोगी को ₹7000 में बेच दिया गया. एसपी नार्थ के अनुसार गिरफ्तार अभियुक्त वसील ने बताया कि वह 6 माह से बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पास साथियों संग खून की दलाली करता था. वह खजांची चौराहे से मजदूरों को झांसा देकर मेडिकल कॉलेज ले जाता था. जहां एक यूनिट खून का सौदा 6 से 7 हजार में तय करता था. लेकिन, खून निकलने के बाद मजदूरों को 1000 या 1500 रुपए ही देकर भगा देता था. लेकिन, गोरख चौहान ने पैसे न मिलने पर थाने में शिकायत दर्ज कराई.
पूछताछ में पता चला है कि रक्तदाता न मिलने पर केसरदेव भी दो बार खून दे चुका है.एसपी नार्थ ने बताया है कि ऑर्थो और लेबर रूम के अलावा ट्रामा सेंटर में तैनात संविदा कर्मियों के जरिए, दलालों को खून के जरूरतमंदों के बारे में जानकारी मिलती थी. खून दिलाने का भरोसा देखकर वह रक्तदाता को ढूंढते थे. खून मिल जाने और कारोबार सफल हो जाने पर यह लोग वार्ड बॉय और अन्य सहयोगियों को उनका हिस्सा भी देते थे. सरगना वासील और केसर देव की कॉल डिटेल भी निकाली जा रही है.
वहीं, इस मामले में ईटीवी भारत ने बीआरडी के प्रबंधन से बात करने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. लेकिन, जिला अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी ने कहा कि उनके यहां जो भी रक्त देने आता है. उनकी पूरी काउंसलिंग की जाती है और उसकी पूरी डिटेल भी रखी जाती है. जो गलत होता है वह खुद भाग खड़ा होता है. गौरतलब है कि, करीब 10 साल पहले गोरखपुर में "खून चुसवा" गिरोह सक्रिय था. यह गिरोह कमरे में बंद कर लोगों का खून निकलवाकर बेच देता था. जिसमें ब्लड बैंक भी शामिल था.
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