गोरखपुर: कोरोना महामारी के दौर में लोगों की मौत को लेकर सरकारी रिकॉर्ड में चाहे जो दावा किया जा रहो, लेकिन गांव-मोहल्लों में लगे पीपल के पेड़ इन दिनों हो रही मौतों के आंकड़ों को साफ बयां कर रहे हैं. इन पीपल के पेड़ों को देखकर आपको अंदाजा हो जाएगा कि, आजकल एक दिन में हो रही लोगों की मौत का आंकड़ा पहले के काफी बढ़ा हुआ है.
पीपल के पेड़ पर बढ़ा 'मौत' का बोझ
कोरोना वायरस के संक्रमण काल में किस कदर लोगों की जान जा रही है, इसका अंदाजा आप पीपल के पेड़ों पर टंगे मौत के घड़ों से लगा सकते हैं. गांव-मोहल्लों में कुछ दिनों पहले तक पीपल के जिन पेड़ों पर दो-चार घड़े टंगे रहते थे, उन पर आज 20-25 घड़े टंगे हुए नजर आते हैं. ऐसे में इन पेड़ों पर भी मौत का बोझ बढ़ गया है. इन पेड़ों के आस-पास रहने वाले लोग कहते हैं कि, उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी पीपल के पेड़ पर एक साथ इतने घड़े टंगे नहीं देखे.
जगह-जगह मौत के घड़ों से भर गए पीपल के पेड़
गोरखपुर जिले के अधिकांश मोहल्लों में लगे पीपल के पेड़ों पर इन दिनों इतने घड़े टंगे हैं कि, उन पर और घड़े टांगने की जगह नहीं बची है. इसके साथ ही पीपल के पेड़ पर टंगे ये घड़े सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी से भी पर्दा उठा रहे है. पीपल के पेड़ पर टंगे ये घड़े बता रहे हैं कि, बीते 10 दिनों में उसके आस-पास रहने वालों के घरों में कितने लोगों की मौत हुई. गोरखपुर में अब शायद ही ऐसा कोई मोहल्ला हो, जहां इन दिनों पीपल का पेड़ खाली हो. कई मोहल्लों में तो पीपल के पेड़ का हाल यह है कि उस पर घड़े टांगने की जगह ही नहीं बची है. लेकिन, पेड़ पर घड़े टांगने का ये सिललिसा रुक नहीं रहा और हर दिन नए घड़े टांगे जा रहे हैं.
मोहल्लों में पसरा मातम
हालात ये हैं कि जिले के लगभग सभी मोहल्लों में मौत का मातम पसरा हुआ है. कोई बेटे की मौत का गम मना राह है तो कोई बेटी के, किसी के माता-पिता उससे हमेशा के लिए दूर हो गए तो किसी के दादा-दादी, नाना-नानी, चाचा-चाची, दोस्त-यार. इस कोरोना ने हर किसी को दर्द दिया है.
पीपल पर नहीं बची जगह
शहर के शिवपुर सहबाजगंज में पादरी बाजार पुलिस चौकी से पहले एक पीपल का पेड़ है. इस पेड़ पर इन दिनों घड़े टांगने की जगह ही नहीं बची है. पेड़ के चारो तरफ मिलाकर अभी 24 घड़े टंगे हुए हैं. मोहल्ले वाले बताते हैं कि ऐसा पहली बार देख रहे हैं कि पीपल के पेड़ पर जगह ही नहीं बची है. मोहल्ले में हर दिन किसी न किसी के मौत की खबर सुनने को मिल रही है. मोहल्ले वालों का कहना है कि इनमें से अधिकांश लोगों की मौत कोरोना से हुई हैं.
पीपल पर घड़ा टांगने की ये है मान्यता
ज्योतिषाचार्य राकेश पांडेय बताते हैं कि हिंदू संस्कृति में मृत्यु के बाद पीपल पर घड़े टांगने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर देवताओं का वास होता है. गरुण पुराण के मुताबिक पीपल के पेड़ को देवताओं का घर कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के बाद जीव देवताओं की शरण में जाते हैं. इसलिए लोगों की मृत्यु होने के बाद एक घड़े को घर के पास किसी पीपल के पेड़ पर टांग दिया जाता है. इस घड़े में नीचे की तरफ एक छिद्र कर दिया जाता है. जिससे बूंद-बूंद पानी पीपल की जड़ में जाता रहे और जिसने मृतक के शव को मुखागग्नि दी होती है, वह 10 दिन तक रोजाना सुबह इस घड़े में पानी भरता है और शाम को इस घड़े के ऊपर तिल के तेल का दीपक जलाता है. इसके बाद 11वें दिन महाब्राहम्ण आते हैं, वे उस घड़े को फोड़ते हैं.