गोरखपुरः जय प्रकाश नारायण, एक ऐसा शख्स जिसने विपक्ष को एकजुट करने का जो अदम्य साहस दिखाया और संपूर्ण क्रांति नामक आंदोलन चलाया था. इसके लिए उन्हें लोकनायक के नाम से भी जाना जाता है. 11 अक्टूबर को उनका जन्मदिन है. जयप्रकाश नारायण आज दुनिया में नहीं हैं. लेकिन उनके विचार और राजनैतिक रणनीति के समाज में आज भी लोग कायल हैं. लेकिन जिस प्रकार देश और प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक माहौल बन पड़ा है, उसमें जयप्रकाश नारायण की नीतियों, विचारों की अब चर्चा नहीं होती.
यही वजह है कि तीन साल पहले डॉक्टर हरिओम बख्शी नाम के एक शिक्षक ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण विचार मंच बनाकर सामाजिक क्रांति के इस अग्रदूत के विचारों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. गोरखपुर में ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए डॉक्टर बक्शी ने कहा कि लोकनायक जी के जन्मदिन से यूपी से ही एक बार फिर सामाजिक क्रांति की शुरुआत उनका संगठन करने जा रहा है. इसके पीछे न तो उनकी कोई राजनीतिक हिस्सेदारी हासिल करने की मंशा है और न ही कोई राजनीतिक दल बनाने की. बस इच्छा यही है जिस प्रकार लोकनायक ने दमनकारी और दंभी इंदिरा गांधी की सरकार को सत्ता से बेदखल कर जनमानस में जनता की आवाज को बुलंद करने का काम किया था. वही काम फिर होना चाहिए. क्योंकि यह समय की मांग है. आज देश-प्रदेश की सरकारें पूंजीवादी व्यवस्था की गोद में जाकर बैठ गई हैं. जबकि लोकनायक एक ऐसे भारत की कल्पना करते थे. जिसमें न तो जातिवाद हावी हो और न ही धर्मवाद और पूंजीवाद.
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डॉक्टर बक्शी ने कहा कि जयप्रकाश जी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर वो देश के प्रधानमंत्री बनते तो सबसे पहले देश की सबसे गंदी दलित बस्ती में जाकर सफाई का अभियान चलाते. ऐसा वो अनवरत करते रहते. वो ये जानते थे कि जब समाज से सबसे निचले तबके का विकास होगा, तभी भारत को एक समृद्धशाली राष्ट्र बना सकेंगे. लेकिन ये विडंबना ही है कि देश को एक नई दिशा और सोच देने वाले ऐसे नेता के नाम पर देश में कुछ नहीं होता. उन्होंने पीएम मोदी और उनके नेताओं के स्वच्छता अभियान पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि एक बार सिर्फ फोटो खिंचवाने मात्र से ये अभियान सफल नहीं होने वाला है. इसके लिए लगातार जुटे रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दिखावे के लिए कुछ भी कहना सही नहीं है. जबतक उससे समाज बड़ा बदलाव न महसूस करे.