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11 अक्टूबर को लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती, डॉक्टर हरिओम बक्शी जननायक के विचारों को बढ़ाएंगे आगे

इंदिरा गांधी और उनकी सरकार को सत्ता से बेदखल करने का श्रेय जयप्रकाश नारायण को जाता है. वो स्वतंत्रता सेनानी और एक राजनेता थे. उन्होंने देश में एक नया राजनीतिक माहौल पैदा किया था.

लोकनायक जय प्रकाश नारायण विचार मंच
लोकनायक जय प्रकाश नारायण विचार मंच
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Published : Oct 10, 2021, 10:45 PM IST

गोरखपुरः जय प्रकाश नारायण, एक ऐसा शख्स जिसने विपक्ष को एकजुट करने का जो अदम्य साहस दिखाया और संपूर्ण क्रांति नामक आंदोलन चलाया था. इसके लिए उन्हें लोकनायक के नाम से भी जाना जाता है. 11 अक्टूबर को उनका जन्मदिन है. जयप्रकाश नारायण आज दुनिया में नहीं हैं. लेकिन उनके विचार और राजनैतिक रणनीति के समाज में आज भी लोग कायल हैं. लेकिन जिस प्रकार देश और प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक माहौल बन पड़ा है, उसमें जयप्रकाश नारायण की नीतियों, विचारों की अब चर्चा नहीं होती.

यही वजह है कि तीन साल पहले डॉक्टर हरिओम बख्शी नाम के एक शिक्षक ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण विचार मंच बनाकर सामाजिक क्रांति के इस अग्रदूत के विचारों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. गोरखपुर में ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए डॉक्टर बक्शी ने कहा कि लोकनायक जी के जन्मदिन से यूपी से ही एक बार फिर सामाजिक क्रांति की शुरुआत उनका संगठन करने जा रहा है. इसके पीछे न तो उनकी कोई राजनीतिक हिस्सेदारी हासिल करने की मंशा है और न ही कोई राजनीतिक दल बनाने की. बस इच्छा यही है जिस प्रकार लोकनायक ने दमनकारी और दंभी इंदिरा गांधी की सरकार को सत्ता से बेदखल कर जनमानस में जनता की आवाज को बुलंद करने का काम किया था. वही काम फिर होना चाहिए. क्योंकि यह समय की मांग है. आज देश-प्रदेश की सरकारें पूंजीवादी व्यवस्था की गोद में जाकर बैठ गई हैं. जबकि लोकनायक एक ऐसे भारत की कल्पना करते थे. जिसमें न तो जातिवाद हावी हो और न ही धर्मवाद और पूंजीवाद.

लोकनायक जय प्रकाश नारायण विचार मंच
हरिओम बक्शी ने कहा कि लोकनायक का जो व्यक्तित्व था, उसमें उन्होंने कभी खुद को सत्ता के लिए लोलुप नहीं किया. वह चाहते तो देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बन सकते थे. लेकिन वह जनता के बीच रहकर जनता की आवाज सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने भी देश की आजादी के बाद देश की गरीबी को दूर करने को लेकर जयप्रकाश नारायण से चर्चा की थी. गांधी ने कहा था कि देश से अंग्रेज तो चले गए. लेकिन अंग्रेजियत नहीं गई. नेहरू भी इसको नहीं समझते. यही वजह थी कि जयप्रकाश नारायण ने देश से गरीबी को मिटाने के अभियान के क्रम में इंदिरा गांधी से लोहा लिया. डॉक्टर बक्शी ने कहा कि लोकनायक ने लोकनीति की बात की थी. उन्होंने राजनीति की बात नहीं की थी. उनका सपना था की वह जनता की समस्या को सत्ता तक ले जाएं न कि समस्याओं का राजनीतिकरण किया जाय. जयप्रकाश नारायण कहते थे कि जब लोकनीति पर राजनीति हावी हो जाती है, तो समाज का विकास वहीं रुक जाता है. उन्होंने कहा कि यह जयप्रकाश नारायण के कार्यों और जनता में बढ़ते विश्वास का ही असर था कि राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था कि 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'.
डॉ हरिओम बक्शी
डॉ हरिओम बक्शी

इसे भी पढ़ें- Navratri 2021: 51 शक्तिपीठों में से एक है मां ललिता देवी मंदिर, यहां गिरी थी मां की अंगुलियां

डॉक्टर बक्शी ने कहा कि जयप्रकाश जी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर वो देश के प्रधानमंत्री बनते तो सबसे पहले देश की सबसे गंदी दलित बस्ती में जाकर सफाई का अभियान चलाते. ऐसा वो अनवरत करते रहते. वो ये जानते थे कि जब समाज से सबसे निचले तबके का विकास होगा, तभी भारत को एक समृद्धशाली राष्ट्र बना सकेंगे. लेकिन ये विडंबना ही है कि देश को एक नई दिशा और सोच देने वाले ऐसे नेता के नाम पर देश में कुछ नहीं होता. उन्होंने पीएम मोदी और उनके नेताओं के स्वच्छता अभियान पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि एक बार सिर्फ फोटो खिंचवाने मात्र से ये अभियान सफल नहीं होने वाला है. इसके लिए लगातार जुटे रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दिखावे के लिए कुछ भी कहना सही नहीं है. जबतक उससे समाज बड़ा बदलाव न महसूस करे.

गोरखपुरः जय प्रकाश नारायण, एक ऐसा शख्स जिसने विपक्ष को एकजुट करने का जो अदम्य साहस दिखाया और संपूर्ण क्रांति नामक आंदोलन चलाया था. इसके लिए उन्हें लोकनायक के नाम से भी जाना जाता है. 11 अक्टूबर को उनका जन्मदिन है. जयप्रकाश नारायण आज दुनिया में नहीं हैं. लेकिन उनके विचार और राजनैतिक रणनीति के समाज में आज भी लोग कायल हैं. लेकिन जिस प्रकार देश और प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक माहौल बन पड़ा है, उसमें जयप्रकाश नारायण की नीतियों, विचारों की अब चर्चा नहीं होती.

यही वजह है कि तीन साल पहले डॉक्टर हरिओम बख्शी नाम के एक शिक्षक ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण विचार मंच बनाकर सामाजिक क्रांति के इस अग्रदूत के विचारों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. गोरखपुर में ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए डॉक्टर बक्शी ने कहा कि लोकनायक जी के जन्मदिन से यूपी से ही एक बार फिर सामाजिक क्रांति की शुरुआत उनका संगठन करने जा रहा है. इसके पीछे न तो उनकी कोई राजनीतिक हिस्सेदारी हासिल करने की मंशा है और न ही कोई राजनीतिक दल बनाने की. बस इच्छा यही है जिस प्रकार लोकनायक ने दमनकारी और दंभी इंदिरा गांधी की सरकार को सत्ता से बेदखल कर जनमानस में जनता की आवाज को बुलंद करने का काम किया था. वही काम फिर होना चाहिए. क्योंकि यह समय की मांग है. आज देश-प्रदेश की सरकारें पूंजीवादी व्यवस्था की गोद में जाकर बैठ गई हैं. जबकि लोकनायक एक ऐसे भारत की कल्पना करते थे. जिसमें न तो जातिवाद हावी हो और न ही धर्मवाद और पूंजीवाद.

लोकनायक जय प्रकाश नारायण विचार मंच
हरिओम बक्शी ने कहा कि लोकनायक का जो व्यक्तित्व था, उसमें उन्होंने कभी खुद को सत्ता के लिए लोलुप नहीं किया. वह चाहते तो देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बन सकते थे. लेकिन वह जनता के बीच रहकर जनता की आवाज सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने भी देश की आजादी के बाद देश की गरीबी को दूर करने को लेकर जयप्रकाश नारायण से चर्चा की थी. गांधी ने कहा था कि देश से अंग्रेज तो चले गए. लेकिन अंग्रेजियत नहीं गई. नेहरू भी इसको नहीं समझते. यही वजह थी कि जयप्रकाश नारायण ने देश से गरीबी को मिटाने के अभियान के क्रम में इंदिरा गांधी से लोहा लिया. डॉक्टर बक्शी ने कहा कि लोकनायक ने लोकनीति की बात की थी. उन्होंने राजनीति की बात नहीं की थी. उनका सपना था की वह जनता की समस्या को सत्ता तक ले जाएं न कि समस्याओं का राजनीतिकरण किया जाय. जयप्रकाश नारायण कहते थे कि जब लोकनीति पर राजनीति हावी हो जाती है, तो समाज का विकास वहीं रुक जाता है. उन्होंने कहा कि यह जयप्रकाश नारायण के कार्यों और जनता में बढ़ते विश्वास का ही असर था कि राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था कि 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'.
डॉ हरिओम बक्शी
डॉ हरिओम बक्शी

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डॉक्टर बक्शी ने कहा कि जयप्रकाश जी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर वो देश के प्रधानमंत्री बनते तो सबसे पहले देश की सबसे गंदी दलित बस्ती में जाकर सफाई का अभियान चलाते. ऐसा वो अनवरत करते रहते. वो ये जानते थे कि जब समाज से सबसे निचले तबके का विकास होगा, तभी भारत को एक समृद्धशाली राष्ट्र बना सकेंगे. लेकिन ये विडंबना ही है कि देश को एक नई दिशा और सोच देने वाले ऐसे नेता के नाम पर देश में कुछ नहीं होता. उन्होंने पीएम मोदी और उनके नेताओं के स्वच्छता अभियान पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि एक बार सिर्फ फोटो खिंचवाने मात्र से ये अभियान सफल नहीं होने वाला है. इसके लिए लगातार जुटे रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दिखावे के लिए कुछ भी कहना सही नहीं है. जबतक उससे समाज बड़ा बदलाव न महसूस करे.

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