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गोरखपुर एम्स में लगातार अंगदान के लिए पहुंच रहे लोग, आप भी ऐसे कर सकते हैं योगदान - Donation of body to Gorakhpur AIIMS

गोरखपुर के एम्स अंगदान (Organ donation in AIIMS Gorakhpur) के लिए लोग अब आगे आ रहे है. एम्स अब अपने प्रयासों में सफल होते दिखाई दे रहा है. छात्रों को अब शोध के लिए मानव शरिर की किल्लत नहीं होगी. इसके पहले शोध के लिए छात्रों के पास केवल एक ही बॉडी थी.

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गोरखपुर एम्स में अंगदान
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 17, 2023, 11:01 PM IST

डॉ. कुमार सतीश रवि ने अंगदान को लेकर दी जानकारी

गोरखपुर: अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने का प्रतिफल अब दिखाई देने लगा है. गोरखपुर एम्स में अंगदान के लिए लोगों की पहुंच तेज हो रही है. स्थापना के चार वर्षों में यहां करीब अब तक 23 मानव शरीर एनाटॉमी विभाग को अंगदान के रूप में प्राप्त हो चुके हैं. करीब 57 लोगों ने अपना आवेदन फार्म अंगदान के लिए भरा है.

एम्स अपने प्रयासों में सफल: एम्स के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कुमार सतीश रवि का कहना है कि उन्होंने बतौर विभाग अध्यक्ष एम्स में अप्रैल 2023 में ज्वाइन किया था. तब यहां अंगदान करने या बॉडी प्राप्त करने की संख्या बहुत कम थी. एम्स गोरखपुर की डायरेक्टर डॉ. सुरेखा किशोर के कुशल मार्गदर्शन में उन्होंने अपने अनुभव और तमाम संस्थाओं से संपर्क कर एम्स के छात्रों को शोध के लिए अब तक 23 बॉडी दी हैं. उनके पास लोग अंगदान के लिए पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में किसी भी विषय पर शोध करने के लिए मानव शरीर का होना बेहद जरूरी है. जिसमें एम्स अपने प्रयासों में सफल होता दिख रहा है.

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एम्स में अंगदान के लिए आए लोग

एनाटॉमी विभाग के लिए मानव शरीर बेहद जरुरी: डॉ. कुमार सतीश रवि ने कहा कि बिना शरीर के चिकित्सा विज्ञान के किसी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ा जा सकता. चाहे वह न्यूरोलॉजी हो, डर्मेटोलॉजी, यूरोलॉजी, हार्ट या फिर अन्य कोई भी विषय हो. मानव शरीर की उपलब्धता इन शोध कार्यों के लिए चिकित्सा संस्थानों के पास होना बेहद जरूरी है. उन्होंने उम्मीद जतायी है कि आने वाले समय में गोरखपुर एम्स देश के टॉप चिकित्सा संस्थानों में से एक होगा. क्योंकि यह कनेक्टिविटी की दृष्टि से बहुत ही बेहतरीन जगह पर स्थापित है. एयरपोर्ट से लेकर रेलवे स्टेशन की दूरी कुछ मिनट की है, तो यहां बिहार, नेपाल और आसपास के मरीजों की तादाद भी काफी संख्या में पहुंच रही है. ऐसे में विभिन्न प्रकार के रोगों पर शोध के लिए एनाटॉमी विभाग का रिच होना बहुत जरूरी है. जिसके लिए मानव शरीर का इस विभाग में अंगदान के रूप में प्राप्त होते रहना समय की आवश्यकता है. जिससे छात्रों को शोध करने में आसानी होगी.

इसे भी पढ़े-World Anatomy Day: मानव शरीर संरचना को जानने का विषय है एनाटॉमी, वीडियो आधारित प्रोजेक्ट छात्रों का करेंगे मार्गदर्शन

एम्स में लोगों ने भरा अंगदान का फार्म: ईटीवी भारत को इस खबर के कवरेज के दौरान दो ऐसे लोग भी मिले जो अपनी प्रेरणा और समाज को कुछ देने की नीयत से एम्स में अपने देह दान का फॉर्म भर चुके थे. ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि छात्र इस पर शोध करें. उनके जरूरी अंग किसी के जीवन को बचाने के लिए अगर उपयोगी हो सकें, तो उन्हें बहुत खुशी होगी. उन्होंने अपने शरीर के अंगदान का फॉर्म भर दिया है. स्थापना के चार वर्षों में गोरखपुर एम्स को देह दान के रूप में बड़ी सफलता मिली है. एम्स गोरखपुर को पहला शरीर कानपुर की ज्योति मां देवी के रूप में 22अक्टूबर 2019 को प्राप्त हुआ था, जिसे लेकर यहां युग दधीचि देहदान संस्थान के संस्थापक मनोज सेंगर पहुंचे थे. इसी संस्थान के प्रयास से 25 नवंबर 2022 को एम्स को दूसरा शरीर देहदान के रूप में मिला. 13 जून 2023, 20 और 29 जून 2023 तक एम्स को पांच शरीर प्राप्त हो चुके है.

सालगिरह पर 9 दंपत्ति ने देहदान किया लिया था संकल्पः अपने विवाह की वर्षगांठ पर तो 2022 में 2 जून को एक नौ दंपति ने देहदान करने का संकल्प लिया और अपना फॉर्म भरा. जिनका नाम डॉ. सौरभ और लक्ष्मी था. यह तो कुछ ही आंकड़े हैं. ऐसे और भी नाम एम्स के रिकॉर्ड में दर्ज हो चुके हैं. जिसके सहारे यहां के छात्र अपना शोध कार्य आगे बढ़ा रहे थे. अब उन्हें अपने शोध के लिए मानव शरीर की चिंता नहीं है. एम्स की डायरेक्टर सुरेखा किशोर और मौजूदा विभाग अध्यक्ष डॉ. कुमार सतीश रवि के प्रयासों से इसमें बड़ी सफलता लगातार मिल रही है.

यह भी पढ़े-गोरखपुर एम्स में महिला के चेहरे पर चीरा लगाए बिना जबड़े के ट्यूमर का ऑपरेशन

डॉ. कुमार सतीश रवि ने अंगदान को लेकर दी जानकारी

गोरखपुर: अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने का प्रतिफल अब दिखाई देने लगा है. गोरखपुर एम्स में अंगदान के लिए लोगों की पहुंच तेज हो रही है. स्थापना के चार वर्षों में यहां करीब अब तक 23 मानव शरीर एनाटॉमी विभाग को अंगदान के रूप में प्राप्त हो चुके हैं. करीब 57 लोगों ने अपना आवेदन फार्म अंगदान के लिए भरा है.

एम्स अपने प्रयासों में सफल: एम्स के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कुमार सतीश रवि का कहना है कि उन्होंने बतौर विभाग अध्यक्ष एम्स में अप्रैल 2023 में ज्वाइन किया था. तब यहां अंगदान करने या बॉडी प्राप्त करने की संख्या बहुत कम थी. एम्स गोरखपुर की डायरेक्टर डॉ. सुरेखा किशोर के कुशल मार्गदर्शन में उन्होंने अपने अनुभव और तमाम संस्थाओं से संपर्क कर एम्स के छात्रों को शोध के लिए अब तक 23 बॉडी दी हैं. उनके पास लोग अंगदान के लिए पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में किसी भी विषय पर शोध करने के लिए मानव शरीर का होना बेहद जरूरी है. जिसमें एम्स अपने प्रयासों में सफल होता दिख रहा है.

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एम्स में अंगदान के लिए आए लोग

एनाटॉमी विभाग के लिए मानव शरीर बेहद जरुरी: डॉ. कुमार सतीश रवि ने कहा कि बिना शरीर के चिकित्सा विज्ञान के किसी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ा जा सकता. चाहे वह न्यूरोलॉजी हो, डर्मेटोलॉजी, यूरोलॉजी, हार्ट या फिर अन्य कोई भी विषय हो. मानव शरीर की उपलब्धता इन शोध कार्यों के लिए चिकित्सा संस्थानों के पास होना बेहद जरूरी है. उन्होंने उम्मीद जतायी है कि आने वाले समय में गोरखपुर एम्स देश के टॉप चिकित्सा संस्थानों में से एक होगा. क्योंकि यह कनेक्टिविटी की दृष्टि से बहुत ही बेहतरीन जगह पर स्थापित है. एयरपोर्ट से लेकर रेलवे स्टेशन की दूरी कुछ मिनट की है, तो यहां बिहार, नेपाल और आसपास के मरीजों की तादाद भी काफी संख्या में पहुंच रही है. ऐसे में विभिन्न प्रकार के रोगों पर शोध के लिए एनाटॉमी विभाग का रिच होना बहुत जरूरी है. जिसके लिए मानव शरीर का इस विभाग में अंगदान के रूप में प्राप्त होते रहना समय की आवश्यकता है. जिससे छात्रों को शोध करने में आसानी होगी.

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एम्स में लोगों ने भरा अंगदान का फार्म: ईटीवी भारत को इस खबर के कवरेज के दौरान दो ऐसे लोग भी मिले जो अपनी प्रेरणा और समाज को कुछ देने की नीयत से एम्स में अपने देह दान का फॉर्म भर चुके थे. ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि छात्र इस पर शोध करें. उनके जरूरी अंग किसी के जीवन को बचाने के लिए अगर उपयोगी हो सकें, तो उन्हें बहुत खुशी होगी. उन्होंने अपने शरीर के अंगदान का फॉर्म भर दिया है. स्थापना के चार वर्षों में गोरखपुर एम्स को देह दान के रूप में बड़ी सफलता मिली है. एम्स गोरखपुर को पहला शरीर कानपुर की ज्योति मां देवी के रूप में 22अक्टूबर 2019 को प्राप्त हुआ था, जिसे लेकर यहां युग दधीचि देहदान संस्थान के संस्थापक मनोज सेंगर पहुंचे थे. इसी संस्थान के प्रयास से 25 नवंबर 2022 को एम्स को दूसरा शरीर देहदान के रूप में मिला. 13 जून 2023, 20 और 29 जून 2023 तक एम्स को पांच शरीर प्राप्त हो चुके है.

सालगिरह पर 9 दंपत्ति ने देहदान किया लिया था संकल्पः अपने विवाह की वर्षगांठ पर तो 2022 में 2 जून को एक नौ दंपति ने देहदान करने का संकल्प लिया और अपना फॉर्म भरा. जिनका नाम डॉ. सौरभ और लक्ष्मी था. यह तो कुछ ही आंकड़े हैं. ऐसे और भी नाम एम्स के रिकॉर्ड में दर्ज हो चुके हैं. जिसके सहारे यहां के छात्र अपना शोध कार्य आगे बढ़ा रहे थे. अब उन्हें अपने शोध के लिए मानव शरीर की चिंता नहीं है. एम्स की डायरेक्टर सुरेखा किशोर और मौजूदा विभाग अध्यक्ष डॉ. कुमार सतीश रवि के प्रयासों से इसमें बड़ी सफलता लगातार मिल रही है.

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