गोण्डा: 2010 से हुई शिक्षक नियुक्ति में गड़बड़ी की जांच का फरमान आने के बाद भी शिक्षा विभाग पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है. सूबे में बेसिक शिक्षा विभाग में हुई फर्जी तैनातियों का बड़ा असर जिले में भी रहा. जिले में अभी तक फर्जी मार्कशीट में बर्खास्त हुए अध्यापकों के ऊपर एफआईआर नहीं दर्ज कराई गई.
अधिकारियों की मिलीभगत से हुईं नियुक्तियां
खंड शिक्षा अधिकारियों और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह फर्जी अध्यापक नियुक्ति पाए थे और उन्हीं की मदद से नौकरी भी कर रहे थे. अब भी जिम्मेदारों का मोह इनसे भंग नहीं हो पा रहा है. शायद यही कारण है कि अभी तक अधिकांश बर्खास्त शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है. बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने 56 बर्खास्त अध्यापकों में से केवल 16 पर अभी तक एफआईआर दर्ज कराई है.
बर्खास्त अध्यापक अध्यापिका जिन्होंने फर्जी मार्कशीट अथवा प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी पाई थी. जांच के दौरान पोल खुल जाने पर नौकरी से बर्खास्त कर दिए गए. शासन ने इन पर एफआईआर दर्ज कराने के साथ-साथ दिए गए वेतन की वसूली के भी आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक वेतन वसूली और सभी पर एफआईआर नहीं दर्ज कराई जा सकी है, जिससे कई बर्खास्त अध्यापक फरार हो चुके हैं.
गलत पता बता रहे बर्खास्त शिक्षक
खंड शिक्षा अधिकारी को नोटिस एक ही बार भेजा गया है और बेसिक शिक्षा अधिकारी यह बता रहे हैं कि जिन बर्खास्त अध्यापकों पर मुकदमा लिखवाया जाना है वह लोग पता ही गलत लिखे हैं. ये लोग फर्जी दस्तावेज और फर्जी पते पर बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे थे.
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इस पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी. विभाग में जो भी अधिकारी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
विनय मोहन वन, सहायक शिक्षा निदेशकसभी खंड शिक्षा अधिकारी को FIR कराने के लिए निर्देशित कर दिया गया है और सभी खंड शिक्षा अधिकारी लगभग एफआईआर लिखा दिए हैं, जिस थाने में दिक्कत आ रही वहां संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी बताते हैं और फर्जी अध्यापकों के खिलाफ प्राथमिकी लिखाने और रिकवरी करवाने की कार्रवाई की जाएगी.
मनीराम सिंह, बीएसए