लखनऊ : देश की तरक्की में अप्रवासी भारतीयों का भी बड़ा योगदान है. ये न केवल विदेश में भारत की ताकत की नजीर हैं, बल्कि विदेशी मुद्रा, तकनीक और संस्कृति को जोड़कर अपनी उपयोगिता भी साबित कर रहे हैं. अकेले UP में ही ऐसे लगभग 8 लाख अप्रवासी भारतीय रह रहे हैं. आज प्रवासी भारतीय दिवस है. ऐसे में इस अवसर पर अप्रवासी भारतीय के मायने जानने के साथ ही देश की उन्नति में ऐसे लोगों की ओर से किए जा रहे सहयोग को भी याद करना जरूरी हो जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं....
प्रदेश सरकार करती है सम्मानित : अप्रवासी भारतीय, यह शब्द सुनने में ऐसा लगता है कि ऐसे लोग जो देश छोड़कर चले गए और वापस भारत का रुख ही नहीं किया. जबकि, वास्तविकता इससे अलग है. देश की तरक्की में कहीं न कहीं ऐसे भारतीय जो विदेश में रह रहे हैं, उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है. समय-समय पर ये लोग यूपी में अपना योगदान देते हैं. ऐसे लोगों को इसी योगदान के लिए प्रदेश सरकार अप्रवासी रत्न का सम्मान भी देती है.
आज मनाया जा रहा प्रवासी भारतीय दिवस : यूपी में योगी सरकार और इससे पहले अखिलेश यादव की सरकार के समय होते रहे एनआरआई समिट के कार्यक्रमों ने प्रदेश में न केवल निवेश बल्कि शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों को बढ़ाने में भी मदद की है. अप्रवासी भारतीय दिवस गुरुवार 9 जनवरी को मनाया जा रहा है. ऐसे में कहीं न कहीं यूपी के विकास में एनआरआई के योगदान का स्मरण करना जरूरी हो जाता है.
दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद महात्मा गांधी ने किया देश का भ्रमण : अप्रवासी दिवस मनाने के पीछे बड़ी कहानी है. साल 1915 में 9 जनवरी को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे. इसके बाद उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया था. यहीं से स्वतंत्रता आंदोलन की आधारशिला रखी गई थी. इसीलिए नौ जनवरी को हर साल अप्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश अप्रवासी भारतीय विभाग के आंकड़ों के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में यूपी के करीब डेढ़ लाख लोग विदेश में रह कर अप्रवासी श्रेणी में थे.
अप्रवासी भारतीयों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयासरत यूपी सरकार : सरकार की ओर से साल 2021 तक इस संख्या को 14 लाख तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. फिलहाल लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका और अभी तक यह संख्या आठ लाख के करीब ही है. इसे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. अब से करीब 200 साल पहले अंग्रेजों के शासनकाल में खासतौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश से मजदूरों को अंग्रेजों ने अपने शासित कालोनियों में ले जाना शुरू किया था.
इन देशों में ले जाए गए थे भारतीय मजदूर : इनमें त्रिनिदाद, टोबैगो, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, फिजी, सेशेल्स जैसे देश प्रमुख थे. पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के बहुत अधिक मेहनती होने के नाते उनका उपयोग आमतौर से खेती में किया जाता था. एक एग्रीमेंट के आधार पर ये श्रमिक विदेश जाते थे. जिसको देहाती भाषा में ग्रीमेंट कहा जाता था. बाद में ऐसे मजदूरों को गिरिमिटिया मजदूर कहा जाने लगा. आजादी तक आमतौर पर इन्हीं देशों में यूपी के मजदूर रहा करते थे.
अटल बिहारी बाजपेयी ने दी थी छूट : 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत से शिक्षा के लिए इंग्लैंड और अमेरिका भी लोग जाने लगे. ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम थी. साल 1977 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जब विदेश मंत्री थे, तब उन्होंने खाड़ी देशों में जाने के लिए वीजा की शर्तों पर रियायतें करवा दी थीं. इसके बाद में खाड़ी देश खासतौर पर सऊदी अरब, यूएई, ओमान, कुवैत, बहरीन, जार्डन, इराक और इरान में यूपी से लोगों का जाना शुरू हुआ. इनमें अधिकांश मुसलमान होते थे.
यूपी के सबसे अधिक लोग अमेरिका में : साल 1992 में पीवी नरसिम्हा राव जब भारत के प्रधानमंत्री थे. वैश्वीकरण के साथ आर्थिक उदारीकरण का दौर शुरू हुआ तो यूपी के लोग अमेरिका, ऑस्टेलिया, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, चीन, कोरिया जैसे देशों में भी जाने लगे. फिलहाल यूपी के एनआरआई विभाग के पास कोई भी ऐसा आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जिसमें किस देश में यूपी के अप्रवासी भारतीय अधिक हैं, ये बताया जा सके. मगर विशेषज्ञ बताते हैं कि सबसे अधिक यूपी के लोग इस वक्त अमेरिका में हैं. जापान, सऊदी अरब, यूएई में भी यूपी के लोगों की संख्या अधिक है.
विदेशी मुद्रा भेजते हैं एनआरआई : पिछले करीब 3 वर्षों में अप्रवासी भारतीयों ने प्रदेश में निवेश करने के बाबत उत्सुकता दिखाई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लांच किए गए वेबसाइट के बाद से इन मामले में तेजी आ गई है. मुख्यमंत्री द्वारा लांच की गई वेबसाइट के एनआरआई सेक्शन पर विदेशों में रह रहे 750 से अधिक अप्रवासी भारतीयों ने यूपी में निवेश करने को लेकर पड़ताल की तो प्रदेश शासन के स्तर पर निवेश करने के इच्छुक अप्रवासी भारतीयों के निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने के लिए हर स्तर पर प्रयास शुरू हुए. तमाम एनआरआई विदेशी मुद्रा भी भेजते हैं.
इन देशों में रह रहे प्रवासियों ने भेजे निवेश के प्रस्ताव : 559 अप्रवासी भारतीयों को एनआरआई कार्ड जारी किए गए है. अमेरिका, यूएई, ओमान, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, घाना, न्यूजीलैंड, रूस, इंग्लैंड आदि 18 देशों में रह रहे 32 अप्रवासी भारतीयों ने प्रदेश में निवेश करने के लिए अपने प्रस्ताव सरकार को भेजे हैं. अधिकारियों के अनुसार अमेरिका में रह रहे 4, यूएई में रह रहे 8 तथा ओमान, सिंगापुर और इंग्लैंड में रह रहे दो-दो भारतीयों में यूपी में निवेश करने संबंधी अपने प्रस्ताव शासन को भेजे.
विदेश में फैलाया कारोबार, अब यूपी में करना चाहते हैं विस्तार : विदेशों में रह रहे जिन भारतीयों ने उत्तर प्रदेश में निवेश करने की पहल ही है, उनमें 13 ऐसे हैं जिनका विदेश में उद्यम है. अब उसका विस्तार वह यूपी में करना चाहते हैं. उधर, विदेशों में बड़ी कंपनियों में जिम्मेदार पदों पर काम कर रहे 19 भारतीय अब अपना उद्यम स्थापित करने के लिए यूपी का रूख कर रहें हैं. जिन्होंने करीब एक हजार करोड़ रुपए के निवेश की इच्छा जाहिर की है.
संस्कृति और परंपरा का संरक्षण : ऐसे देश जहां भारतीय गए वहां कहीं न कहीं भारत और उत्तर प्रदेश की संस्कृति को अपने देश में विकसित कर रहे हैं. हाल ही में सऊदी अरब में मंदिर का निर्माण किया गया है. इसमें अप्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका है. इस मंदिर के निर्माण में यूपी के अप्रवासी भी अहम भूमिका निभा रहे हैं. इसी तरह से मॉरीशस और यूपी के बीच समय-समय पर भोजपुरी समाज के कार्यक्रम होते रहते हैं.
अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ राय बताते हैं कि कुछ समय पहले मॉरीशस सरकार की ओर से उनको बुलाया गया था. वहां घर में तुलसी पूजन होता है. इसी तरह से उत्तर प्रदेश सरकार भी समय समय पर मॉरीशस से संबंध रखती है. लगभग हर दूसरे साल मॉरीशस से भारतीय सम्मेलन लखनऊ में आयोजित किया जाता है. दोनों देशों के सांस्कृतिक रिश्ते मजबूत हो रहे हैं.
10 हजार युवा अप्रवासी भारतीय बनने की राह पर : उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह एनआरआई विभाग विदेशों में रोजागार बढ़ाने के लिए यूपी के प्रयासों के संबंध में नौ जनवरी को एक प्रस्तुतिकरण भी देखेंगे. इसमें किस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार विदेश में यूपी के लोगों को नौकरी दिलाने पर काम कर रही है, इसकी जानकारी दी जाएगी. मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह बताते हैं कि हम अधिक से अधिक यूपी के युवाओं को विदेश में रोजगार दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.
हमारे अप्रवासी भारतीय विभाग की वेबसाइट https://nri.up.gov.in/hi के माध्यम से दो अभियान चला कर पिछले साल करीब 10 हजार युवाओं को विदेश में नौकरी दिलाई गई है. शैक्षणिक सहयोग के लिए अप्रवासी भारतीय कहीं न कहीं बड़ी कड़ी बन रहे हैं. अंतरराष्टीय विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में आ सकें इसको लेकर हाल ही में यूपी सरकार ने बदलाव भी किया है. निजी विश्वविद्यालय अधिनियम में बदलाव के बाद अब विदेशी विश्वविद्यालय भी यूपी में आसानी से अपने परिसर खोल सकेंगे. जिसमें इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और रूस की मास्को यूनिवर्सिटी के परिसर भी शामिल हो सकते हैं.
यूपी में कैंपस खोलने के लिए करेंगे आमंत्रित : ऑक्सफोर्ड और मास्को यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधियों ने कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश सरकार से संपर्क किया. इसके बाद में सरकार ने पहले कैबिनेट में और बाद में उत्तर प्रदेश विधानसभा में संशोधन का विधेयक पारित कर लिया. प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि दोनों विश्वविद्यालयों से संपर्क करके उन्हें यूपी में कैंपस खोलने के लिए आमंत्रित किया जाएगा.
विधानसभा में उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय सातवां संशोधन अधिनियम पारित कराया गया है. इस अधिनियम के बाद दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड शिक्षण संस्थान भी यूपी में विश्वविद्यालय स्थापित कर सकेंगे. अभी तक केवल यूपी में पंजीकृत संस्थाओं को ही यूपी में विश्वविद्यालय स्थापित करने की अनुमति मिलती थी.
पर्यटन और सांस्कृतिक पर्यटन : अप्रवासी भारतीयों को जरिए उत्तर प्रदेश में पर्यटन का जबरदस्त विकास हो रहा है. कुंभ 2019 में अप्रवासी भारतीयों निवेशकों ने त्रिवेणी में डुबकी लगाई थी. जबकि राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद दोनों जगह लगभग 2 लाख अप्रवासी भारतीय दर्शन के लिए आ चुके हैं. जबकि आगरा, मथुरा तो पहले से ही अप्रवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं.
निवेश और वित्तीय प्रोत्साहन : उत्तर प्रदेश सरकार अप्रवासी भारतीयों को निवेश के अवसर लगातार दे रही है. 500 के करीब निवेशक पिछले तीन साल में सामने भी आए हैं. एनआरआई विभाग की वेबसाइट पर इस संबंध में ऑन पंजीकरण की व्यवस्था है. सिंगल विंडो सिस्टम के तहत उद्योग लगाने संबंधित एनओसी दी जा रही हैं. प्रदेश के औद्येगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने बताया कि विदेशी निवेश लगातार बढ़ रहा है. यूपी में पिछले करीब सात साल में लगभग 50 हजार करोड़ का विदेशी निवेश हो चुका है. जिसमें बड़ी तादाद में निवेश अप्रवासी भारतीयों का हुआ.
यूपी सरकार के एनआरआई विभाग के जरिये एनआरआई कार्ड जारी किया जा रहा है जो कि निवेश के लिए विशेष मदद प्रदान करता है. 559 कार्ड बनाए जा चुके हैं. 750 के करीब पंजीकरण किए गए हैं. फार्मा और चिकित्सा क्षेत्र में काम कर रहे आगरा के रहने वाले राम उपाध्याय स्वीडन में रह रहे हैं.
यूपी सरकार कर रही मदद : ईटीवी भारत से बातचीत में अप्रवासी भारतीय व उद्यमी राम उपाध्याय ने बताया कि एनआरआई बहुत बड़ा योगदान यूपी के विकास में दे रहे हैं. वे खुद आगरा के रहने वाले हैं, जबकि स्वीडन में रहते हैं. वह बताते हैं कि वे बहुत सारी विशेषज्ञता और ग्लोबल कंटेंट यूपी में ला रहे हैं. उन्होंने बताया कि यही नहीं उत्तर प्रदेश सरकार भी हमारी भरसक मदद कर रही है. सिंगल विंडो सिस्टम है. अनेक प्रोत्साहन योजनाएं हैं. काफी मदद की जा रही है.
उत्तर प्रदेश मूल के ऐसे प्रवासी भारतीयों को जिन्होंने उत्तर प्रदेश/विदेश में विनिर्दिष्ट विधाओं में विशिष्ट कार्य किए हों, उन्हें सम्मान स्वरूप 'प्रवासी भारतीय उत्तर प्रदेश रत्न पुरस्कार' से पुरस्कृत करने के लिए वर्ष 2015 में व्यवस्था शुरू की गई थी. प्रवासी भारतीयों को 'उप्र. रत्न पुरस्कार' अलग अलग विधाओं में विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किए जाते हैं. इनमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, चिकित्सा, शिक्षा, जनसेवा, वाणिज्य व अन्य क्षेत्र जिसे राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर चिन्हित किया जाए.
यूपी मूल के इन 40 अप्रवासी भारतीयों को मिल चुका सम्मान : अलग-अलग सम्मान समारोह में अब तक यूपी मूल के 40 अप्रवासी भारतीयों को एनआरआई रत्न सम्मानित किया जा चुका है. इनमें प्रोफेसर डॉ. पीयूष गोयल (यूके विज्ञान), ज्ञानेंद्र कुमार सिंगापुर (प्रौद्योगिकी), अदिति श्रीवास्तव यूएसए (संस्कृति) अजेश महाराज साऊथ अफ्रीका (चिकित्सा) शेर बहादुर सिंह, यूएसए ( शिक्षा) तबस्सुम मंसूर लीबिया ( शिक्षा) श्रीकृष्ण पाण्डेय यूएसए, ( जनसेवा) प्रतिभा शालिनी तिवारी यूएसए (जनसेवा), वीना भटनागर फिजी (जनसेवा) जतिन के अग्रवाल यूएसए (वाणिज्य) विनोद गुप्ता यूएसए (वाणिज्य), वीएस नाय पाल त्रिनिदाद एवं टोबागो (लेखक), राजीव भामरी यूएसए (पत्रकारिता) सुरेश चन्द्र शुक्ला नार्वे (पत्रकारिता) डॉ. सतीश राय ऑस्ट्रेलिया (शिक्षा), डॉ. सुधीर राठौर यूके, अलका भटनागर यूएसए अशूक के, रामसरन यूएसए, बासदेव पाण्डेय त्रिनिदाद, अतात आर खान सऊदी अरब, कृष्ण कुमार यूएसए, नंदिनी टंडन यूएसए, डॉ. राजेन प्रसाद न्यूजीलैंड, डॉ. राजिन्द्रे तिवारी नीदरलैंड, श्रीनाथ सिंह यूएसए फ्रैंक एफ इस्लाम, यूएस नदीम अख्तर तरीन यूएई, प्रो. राजेश चन्द्र फिजी, सुमन कपूर न्यूजीलैंड, तलत एफ हसन यूएसए, कंवल रेखी यूएसए, लार्ड खालिद हमीद, योशिता सिंह, हरि बी बिंदल यूएसए (पर्यावरण, प्रौद्योगिकी) धनन्जय सिंह प्रयागराज प्रौद्योगिकी, अरिफुल इस्लाम, साउथ कोरिया (जनसेवा), जमाल अहमद बोत्सवाना (वाणिज्य), संजीव राजौरा गाजियाबाद यूएसए (राजनीति), डॉ रामेश्वर सिंह, एस मित आई (जनसेवा).
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